मवेशियों में नाइट्रेट विषाक्तता: कारण एवं समाधान

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मवेशियों में नाइट्रेट विषाक्तता: कारण एवं समाधान

डॉ अशोक कुमार पाटिल, डॉ नरेश कुरेचिया, प्रिया जगोता एवं नेहा राठोर

पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविधालय, महू (म॰ प्र॰)

 

 

किसान भाइयो अपने सुना होगा की ज्वार का हरा चारा खाकर पशु तड़पने लगा ओर कुछ ही देर मे उसकी मृत्यु हो गई, ऐसी घटनाये समान्यत: गांवो मे सुनने को मिलती है जिसके कई कारण हो सकते है। परंतु ज्वार की आपरिपक्व फसल या यू कहे की फसल जिसकी उचाई हमारे घुटने इतनी होती है,  मे अगर पशु चर लेता है तो निश्चित ही उसे ऐसी विषाक्तता का सामना करना पड़ता है । ज्वार चारे की बुवाई जायद और खरीफ के मौसम में की जाती है , जायद मौसम में लगाई गई ज्वार चारा में अक्सर विषाक्तता के कारण पशुओं की मृत्यु होती है। ज्वार, बाजरा व चरी की जो पत्तियां सूखकर मुरझाने से पीली पड़ जाती है, उसमें सायनाइड की मात्रा अधिक होती है।

ज्वार मे  जहर-  ज्वार के तनो तथा पत्तियों  मे धूरिन नामक एक  तत्व पाया जाता है , जुगाली करने वाले पशुओ के रुमेन मे किण्वन क्रिया के दौरान यह  हाइड्रोजन सायनाइड में परिवर्तित हो जाता है । ओर इस जहर का सीधा प्रभाव पशु के स्वसन ओर तंत्रिका तंत्र पर पड़ता है।

लक्षण

  • पशु की सांस लेने में तकलीफ
  • सांस की गति बढ़ जाने से मुंह से सांस लेना
  • लड़खड़ाहट
  • पशुओं के मुंह के अंदर की श्लेष्मा का नीला पड़ना
  • पशु के मुंह से अधिक लार गिरना
  • पशु का पेट फूलना
  • पशु के रक्त का रंग चेरी जैसे लाल हो जाता है
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 पशु को ज्वार का हरा चारा खिलाते समय निम्न सावधानिया अपनाना चाहिए

  1. अपरिपक्व चारा नहीं खिलाना – ज्वार हरा चारा परिपक्व होने के बाद अर्थात 70 से 75 दिन पर कटाई कर खिलाना चाहिए ।
  2. छोटे/कम दिन के या घुटने तक की ऊंचाई वाले ज्वार का हरा चारा देने पर पशु में विषाक्त होने की संभावना अधिक रहती है।
  3. बांसी या एक-दो दिन पुराना ज्वार हरा चारा ना दें इसमें हाइड्रोजन सायनाइड की मात्रा बढ़ जाती है।
  4. ज्वार की सिंचाई समय-समय पर करते रहें कटाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। क्योंकि सूखे खेत में हाइड्रोजन सायनाइड होने की संभावना बढ़ जाती है, 15 दिन से अधिक समय पर सिंचाई होने पर जहर बनने की संभावना बढ़ जाती है।

उपचार-

  • जहर का आभास होने पर पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें
  • सायनाइड विषाक्तता के लक्षण दिखाई देने पर 150 से 200 ग्राम सोडियम थायो सल्फेट पशु को दें तथा तथा प्रति घंटे अंतराल पर 30 ग्राम सोडियम थायो सल्फेट देते रहे हैं, सुधार होने तक।
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