बबुल के औषधीय गुण एवं उपयोगिता
गायत्री देवांगन, एव डॉ. स्वाति कोली
पशु भैषज एवं विष विज्ञान विभाग, पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन, महाविद्यालय महू,
परिचय
बबूल का पेड़ भारत का एक मुख्य औषधीय पौधा है । बबूल का पेड़ भारत के मरुस्थल भूमि पर पाया जाता है । बबूल का पेड़ कम पानी में भी अच्छी तरह से फूलता और फलता है। इस पौधे को हिंदी में बबूल और कीकर के नाम से जानते हैं । इसकी पत्तियां बहुत छोटी होती हैं । इस पेड़ में कांटे होते हैं । गर्मी के मौसम में बबूल के पेड़ (babool tree) पर पीले रंग के गोलाकार गुच्छों में फूल खिलते हैं । ठंड के मौसम में फलियां आती हैं । बबूल की छाल और गोंद का व्यवसाय किया जाता है । बबूल की पत्तियां, गोंद, फली और छाल सभी चीज़ें शरीर के लिए बड़े ही काम की होती हैं और इसका इस्तेमाल करने से कई रोगों को जड़ से खत्म किया जा सकता है ।
बबुल
बबुल के रासायनिक संगठन
- छाल में बीटा ऐमीरीन, गैलीक अम्ल, टैनिन, कैटेचीन, क्वेरसेटिन, ल्युकोसायनीडीन पाये जाते हैं ।
- फल में गैलिक अम्ल, कैटेचीन, क्लोरोजैनिक अम्ल पाये जाते हैं ।
- गोंद में गैलेक्टोज़, एरेबीक अम्ल, कैल्सियम एवं मैग्नेशियम के लवण, इसके बीज में ऐस्कोरबीक अम्ल, नियासिन, थायमीन एवं एमिनो अम्ल पाये जाते हैं ।
बबुल के औषधीय उपयोग
- बबूल में औषधीय भाग इसका पत्तियां, फली, तना और टहनियां है ।
- बबूल की पत्तियों का प्रयोग घाव को भरने के लिए किया जाता है। बबूल की पत्तियों को पीसकर घाव में लगा लिया जाए, तो घाव भर जाता है ।
- बबूल की पत्तियों का प्रयोग चोट लगने पर खून के बहने को रोकने के लिए भी किया जाता है । बबूल की पत्तियों के पेस्ट को, जहां खून बह रहा हो, वहां लगा दिया जाए, तो इससे खून बहना बंद हो जाता है और संक्रमण नहीं होता है ।
- बबूल की फलियों का प्रयोग पाउडर बनाकर सेवन दस्त के लिए कर सकते हैं ।
- बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का चूर्ण बनाएं। इसके 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी में लाभ होता है। इसी तरह 1 ग्राम बबूल के चूर्ण का सेवन करने से भी खांसी ठीक होती है ।
- अगर पेट में दर्द हो रहा हो और मरोड़ पड़ रहे है, तब इसकी फलियों का प्रयोग किया जा सकता है, जिससे आराम मिलता है ।
- बबूल की पतली कोमल, नवीन शाखाओं से दातुन की जाती है । बबूल की छाल, पत्ते, फूल, फलियों के सूखे पाउडर को मिला कर जो चूर्ण बनता है उससे दांतों के पाउडर की तरह प्रयोग कर, दांतों की विभिन्न समस्याओं से बचा जा सकता है ।
- बबूल की छाल को सुखाकर चूर्ण बना लेना चाहिए और मुंह में छाले होने पर, इसे लगाना चाहिए। जिससे आराम मिलता है ।
- बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर पिया जा सकता है ।
- डायरिया की समस्या के जोखिम को कम करने के लिए बाबूल गोंद फायदेमंद होता है ।
- कुछ अध्ययन के अनुसार बबूल गोंद शरीर में पानी व इलेक्ट्रोलाइट का अवशोषण करता है ।
उपरोक्त दिए गए उपायों का उपयोग डॉक्टर के परामर्श से ही करें