कैसे पहचाने बीमार पशुओ के लक्षण ??

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कैसे पहचाने बीमार पशुओ के लक्षण ??

बीमारी को पहचानना व उसकी रोकथाम करने के लिए सबसे जरूरी है बीमार पशु की पहचान करना। इससे किसान को दो फायदे होंगे एक तो बीमारी फैलेगी नहीं क्योंकि बीमार पशु को बाकि पशु से अलग करके ऐसा किया जा सकता है और दूसरा फायदा होगा जल्दी पता चलने से इलाज भी जल्दी शुरू होगा जो पशु के जल्दी स्वस्थ्य होने के लिए लाभदायक रहेगा।
कुछ ऐसे लक्षण होते है जिन्हें आराम से किसान देख के पता लगा सकते है कि पशु बीमार है या स्वस्थ। लक्षणों को देखकर यह भी बताया जा सकता है कि पशु को शरीर में कौन-से हिस्से में तकलीफ है। लक्षण व उनका विवरण कुछ इस प्रकार है-
1. बीमार पशु सबसे अलग, सुस्त और झुंड से अलग खड़ा मिलेगा। यह एक ऐसे लक्षण होता है जो सब बीमारियों में न भी मिलें।
2. बीमार पशु दाना, हरा चारा व तुड़ी कम खाता है। इस लक्षण को पहचानने के लिए किसान को चाहिए की वह हिसाब रखे की कितना चारा डाला और कितना बचा हुआ रहा ताकि यह अंदाजा लगाया जा सके की पशु ने कितना खाया। ऐसे नहीं है कम खाना ही बीमारी का अन्देशा देता है बल्कि जब पशु सिर्फ दाना खाता है और तूड़ी नहीं खाता तब भी वो एक बीमारी जिसका नाम कीटोसिस होता है उससे ग्रसित होता है। कई बीमारियाँ ऐसी भी होती है, जिसमें पशु के आहार में कोई भी गिरावट नहीं आती है, परन्तु वो फिर भी कमजोर होता जाता है जैसे दस्त। चबाने या निगलने में तकलीफ भी एक कारण हो सकता है पशु का कम खाना। चबाने में तकलीफ होना दाँतों में समस्या का अन्देशा देता है और कई बार पशु के मुँह में भी चारा मिलता है या बीच-बीच में पशु चारा चबाना बंद कर देता है ऐसी अवस्था में पशु को दिमागी समस्या होने का अन्देशा होता है। निगलने में पशु दर्द महसूस करे या मुँह से आधा चबाया हुआ चारा बाहर निकाले तो यह संकेत होते है कि पशु के गले में इन्फेक्शन या कोई चोट है जो कि गलत तरीके से नाल देने की वजह से भी हो सकता है या कोई नुकीले चीज के गले में अटके होने के कारण भी हो सकता है।
3. गोबर का पतला होना या बन्धा लगना भी पशु के बीमारी का एक मुख्य लक्षण होता है। स्वस्थ पशु 10 से 16 बार गोबर कर सकता है परन्तु अगर गोबर पतला और पानी की तरह और इससे ज्यादा बार करे तो यह बीमारी का लक्षण होता है। दस्त लगना पशु में बैक्टीरियल, वाॅयरल या पैरासिटिक बीमारी का संकेत होता है। दस्त का रंग, उसमें खून का होना, बदबू का आना अलग-अलग बीमारियों के होने का अन्देशा देता है जैसे कि अगर गोबर में खून आ रहा है या खूनी दस्त लगे है तो यह कॉक्सीडीओसिस होने के संकेत हो सकते है जिसकी पुष्टि गोबर की जाँच करा कर किया जा सकता है। ऐसे ही सफेद रंग के पानी जैसा दस्त आना ईकाॅली से होने वाली बैक्टीरियल बीमारी के संकेत होते हैं।
4. पेशाब को देख के भी बीमारी का अंदाजा लगाया जा सकता है जैसे अगर पेशाब में खून आ रहा है तो यह तीन कारण से हो सकता है बबैसिओसिस नाम के रोग में भी पेशाब का रंग लाल होगा इसके साथ पशु को बुखार मिलेगा और चिचड़ भी शरीर पर होंगे या पहले से लगे हुए होंगे। खून की जाँच करा कर बबैसिओसिस की पुष्टि की जा सकती है। Post Parturient Haemoglobinuria में भी पेशाब का रंग लाल हो जाता है पर इसमें पशु को बुखार नहीं मिलेगा साथ ही इसमें फास्फोरस की कमी मिलेगी। फॉस्फोरस के लेवल की जाँच करवा कर रोग की पुष्टि की जा सकती है। किडनी के रोगों में भी पेशाब का रंग लाल हो जाता है और पथरी की समस्या हो तो पशु बार-बार और जोर लगा कर पेशाब करता है। ऐसे में पेशाब की जाँच करवा कर या अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए। पेशाब का रंग अधिक पीला होना भी जिगर की बीमारी होने का लक्षण है।
5. पशु को ज्यादा ठंडा पसीना आना भी बताता है कि वह दर्द में है और इसके साथ किसान देखते है कि पशु बार-बार उठक-बैठक करेगा। पसीने का गर्म होना भी यह बताता है कि पशु को बुखार है।
6. पशु की आँख की परत (झिली) को देख के बीमारी का पता लगाया जा सकता है। पशु में खून की कमी मे आँख की झिली का रंग फीका पड़ जाता है जैसे (theileriois, babesiosis) चिचड़ से होने वाली बीमारी का अन्देशा होता है। पशु की आँख का रंग पीला पड़ना पीलिया होने की सम्भावना जताता है। बैक्टीरियल इन्फेक्शन में यही झिली का रंग अधिक लाल हो जाता है।
7. पशु के आँख, नाक व बच्चेदानी से रेशा या मवाद आना भी बीमारी होने के संकेत होते है। नाक से अधिक पानी, रेशा, बुखार होना व खांसी करना पशु में नीमोनिया होने के लक्षण होते है। बच्चेदानी से मवाद आना बच्चेदानी में इन्फेक्शन होने के लक्षण होते है ऐसे में न तो पशु दोबारा गर्मी में आता और साथ ही दूध उत्पादन में भी गिरावट आ जाती है इस अवस्था में पशु को अति तीव्र बुखार मिलेगा।
8. पशु को उठने-बैठने में व पानी पीने के लिए झुकने में दर्द का अहसास होना भी बीमारी के लक्षण होते हैं।
9. व्यवहारिक लक्षण- किसी पशु के व्यवहार में किसी भी तरह का बदलाव आना जैसे कि पशु का अति सक्रिय, सुस्ती या किसी अन्य असामान्य लक्षण जैसे कि अत्यधिक सिर हिलाने, खरोंच करना (मारना) या शरीर के कुछ हिस्सों का काटने भी बीमारी के लक्षण होते है।
10. श्वसन की दर और जिस तरह से पशु साँस लेते हैं व भी बीमारी के बारे में बता सकते है। इसके अलावा दर्द या संक्रमण के साथ श्वास अधिक तेजी से हो जाता है।
11. थोड़ा बढ़ा हुआ पल्स दर दर्द का सुझाव देती है, जबकि एक तेज पल्स से बुखार का पता चलता है। एक अनियमित पल्स दिल की समस्या का संकेत कर सकता है।

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