बायोगैस क्या हैं? पशुओं के अपशिष्ट से बायोगैस बनाने की पूरी जानकारी

0
210

बायोगैस क्या हैं? पशुओं के अपशिष्ट से बायोगैस बनाने की पूरी जानकारी

दुनिया की बढ़ती जनसंख्या में ऊर्जा की आपूर्ति करना एक बड़ी समस्या बनी हुई है. आज ऊर्जा को अनेक रूपों में परिवर्तित कर इस्तेमाल किया जा रहा है. आज मनुष्य की जिंदगी उर्जा आधारित संयंत्रों पर पूर्ण रूप से आधारित हो चुकी है. लेकिन उर्जा की कमी की पूर्ति करना काफी मुश्किल काम होता जा रहा है. ऐसे में बायोगैस ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता हैं. जिसे लोग अपने इस्तेमाल होने वाली हर चीजों में उपयोग में ले सकते हैं. बायोगैस के इस्तेमाल से आज लोग बिजली उपकरणों से लेकर पानी मोटर को भी चला सकते हैं. आज हम आपको बायोगैस क्या है और इसको कैसे बनाया जाता है इसके बारें में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं.

बायोगैस क्या है.

बायोगैस उर्जा वो स्रोत है जिसे बार बार इस्तेमाल लिया जा सकता है. जिसे मृत और जीवित जैव अपशिष्टों को मिलाकर बनाया जाता है. बायोगैस विभिन्न गैसों का वो मिश्रण हैं जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैविक सामग्री के विघटन के फलस्वरूप उत्पन्न होती हैं. जिसमें हाइड्रोकार्बन मुख्य घटक के रूप में कार्य करता हैं. जो ज्वलनशील होता है. जिसके इस्तेमाल से बिजली और ऊष्मा ऊर्जा का निर्माण किया जा सकता है.
बायोगैस का उत्पादन जैव रासायनिक क्रिया के माध्यम से होता है. जिसमें पशुओं और फसलों के अपशिष्ट का इस्तेमाल किया जाता हैं. इन अपशिष्टों में शामिल बैक्टीरिया इसे जैविक रूप में परिवर्तित कर देते हैं. जिससे बायोगैस का निर्माण होता हैं.

बायोगैस के मुख्य घटक

बायोगैस में मुख्य घटक के रूप में मीथेन गैस का इस्तेमाल किया जाता हैं. मीथेन गैस के अलावा कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी इसमें ज्यादा पाई जाती हैं. इन दोनों गैसों के अलावा हाइड्रोजन सल्फाइड, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन और अमोनिया जैसी गैसें भी पाई जाती है.

बायोगैस बनाने के लिए आवश्यक तत्व

बायोगैस का निर्माण करना काफी सुविधाजनक होता है. बायोगैस का निर्माण कर किसान भाई अपनी जरूरत की ऊर्जा खुद फ्री में उत्पन्न कर सकता हैं. इसको बनाने के लिए कुछ तत्वों की जरूरत होती हैं.

टैंक या डाइजेस्टर

READ MORE :  बायोगैस संयंत्र का निर्माण एवं उसके लाभ

डाइजेस्टर बायोगैस बनाने के लिए महत्वपूर्ण भाग है. जो ईंट और मसाले से बनी दीवार का होता है. यह जमीन में गड्डा खोदकर बनाया जाता है. जिसका आकार एक गैस के सिलेंडर की तरह दिखाई देता है. जिसमें बायोगैस के निर्माण की प्रक्रिया होती हैं. इस आवरण में सभी अपशिष्ट पदार्थ भरे होते हैं.

गैस होल्डर

गैस होल्डर का निर्माण स्टील या लोहे की धातु से किया जाता हैं. गैस होल्डर टैंक में फिक्स नही किया जाता इसे टैंक में उल्टा रखा जाता हैं. जिससे ये गैस के दाब के अनुसार ऊपर नीचे होता रहता है. गैस होल्डर के सिरे पर एक वोल्व लगा होता है. जिसके माध्यम से गैस होल्डर से बाहर निकाली जाती है. गैस होल्डर दो प्रकार के होते हैं.

फ्लोटिंग गैस होल्डर

फ्लोटिंग गैस होल्डर वो होता है जो गैस के निर्माण के दौरान खुद अपने आप गैस के दबाव के आधार पर कार्य करता हैं. गैस के बढ़ने की स्थिति में ये ऊपर की तरफ उठ जाता हैं. जबकि गैस के कम होने की स्थिति में यह नीचे की तरफ बैठ जाता हैं.

फिक्स डोम गैस होल्डर

फिक्स डोम गैस होल्डर का निर्माण टैंक के निर्माण के दौरान स्थाई रूप से किया जाता हैं. इसके ऊपरी भाग में गैस एकत्रित होती रहती हैं. जिसमे गैस का दाम बीस घन मीटर से ज्यादा नही होना चाहिए. इसका निर्माण करवाते वक्त दाब मीटर जरुर लगा दें. ताकि टैंक में मौजूद गैस का पता चलता रहे. लेकिन वर्तमान में इसका इस्तेमाल नही किया जाता.

मिक्सिंग टैंक

मिक्सिंग टैंक का निर्माण अपशिष्टों को टैंक में डालने के लिए किया जाता हैं. जिसमें लगी पाइप के माध्यम से अपशिस्ट को डाइजेस्टर में डाला जाता हैं.

ओवरफ्लो टैंक

ओवरफ्लो टैंक का निर्माण टैंक में मौजूद अपशिष्ट को बाहर निकालने और उसका लेवल बनाए रखने के लिए किया जाता है.

आउटलेट टैंक

आउटलेट चेम्बर में मौजूद अपशिष्ट को निकालकर सीधा खेतों में डालने के लिए उपयोग में लिया जाता हैं. आउटलेट चेंबर में मौजूद अपशिष्ट सुखा हुआ होता है.

गैस वितरण पाइप लाइन

गैस वितरण पाइप लाइन के एक सिरे को गैस होल्डर में लगे वोल्व से जोड़ा जाता है. जबकि इसका दूसरा सिरा स्टोव से जुड़ा होता हैं. जिसको चलाने पर उर्जा उत्पन्न होती हैं.

READ MORE :  बायोगैस संयंत्र का निर्माण एवं उसके लाभ

जैविक अपशिष्ट

जैविक अपशिष्ट के रूप में जानवरों का गोबर मुख्य घटक के रूप में कार्य करता है. गोबर के अलावा खेती का जैविक कचरा और मुर्गियों की बिट भी मुख्य अपशिष्ट के रूप में काम में लिया जाता है. जिसे बाद में आसानी से खेतों में जैव उर्वरक के रूप में खेतों में डाल सकते हैं.

गैस का निर्माण

गैस का निर्माण करने के लिए पशुओं और फसल के जैविक अपशिष्ट को आपस में पानी के साथ मिलाकर टैंक में डाल दिया जाता है. बायोगैस निर्माण की प्रकिया दो चरणों में पूर्ण की जाती हैं.

प्रथम चरण

प्रथम चरण को एसिड फॉर्मिंग स्तर कहा जाता है. इस चरण में गोबर में मौजूद अमल का निर्माण करने वाले बैक्टीरिया के समूह के द्वारा कचरे में मौजूद बायो डिग्रेडेबल कॉम्प्लेक्स ऑर्गेनिक कंपाउंड को सक्रिय किया जाता है. जिसमें प्रमुख उत्पादक के रूप में ऑर्गेनिक अम्ल कार्य करता हैं. इसलिए इसे अम्ल निर्माण स्तर के नाम से भी जाना जाता हैं.

दूसरा चरण

दूसरा चरण मीथेन निर्माण का कार्य करता है. जो बायोगैस का मुख्य घटक हैं. इस स्तर में मिथेनोजेनिक बैक्टीरिया को मीथेन गैस के निर्माण के लिए ऑर्गेनिक एसिड के ऊपर सक्रिय किया जाता हैं. जिसे मीथेन गैस का निर्माण होता है.

बायोगैस के निर्माण के दौरान ध्यान में रखने योग्य बातें.

बायोगैस निर्माण के दौरान कई तरह की बातों का ध्यान रखना काफी महत्वपूर्ण होता हैं. जिससे बाद में किसी तरह की समस्याओं का सामना ना कराना पड़े.

1. बायोगैस के लिए टैंक का निर्माण उस समतल जगह पर करें जो थोड़ी ऊंचाई पर हो. ताकि बारिश के मौसम में किसी तरह के जलभराव की समस्या का सामना ना करना पड़े.
2. जिस मिट्टी में इसका संयंत्र लगाना हो वो मिट्टी मजबूत होनी चाहिए.
3. टैंक का निर्माण इस्तेमाल होने वाली जगह के बिलकुल पास करना चाहिए. इसके अलावा ये भी ध्यान रखे की इसमें उपयोग आने वाले अशिष्ट के लिए पशुओं का स्थान भी नजदीक होना चाहिए.
4. जिस जगह टैंक का निर्माण किया जाए उस जगह पानी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. क्योंकि टैंक में डाले जाने वाले घोल को पहले पानी में ही मिलाया जाता हैं. जिसके बाद उसे टैंक में डाला जाता हैं.
5. इसका टैंक किस भी पानी के संसाधन से दूर बनाना चाहिए. और टैंक के पास किसी पेड़ को नही लगाना चाहिए.
6. कच्चे पदार्थ के रूप में गोबर या अन्य आवश्यक जैविक अपशिष्ट की मात्रा पर्याप्त रखने के लिए पशुओं की जरूरत होती हैं. तीन घन लीटर टैंक के लिए रोजाना कम से कम 75 किलो के पास अपशिष्ट की जरूरत होती है.

READ MORE :  बायोगैस संयंत्र का निर्माण एवं उसके लाभ

बायोगैस के लाभ

बायोगैस पूर्ण रूप से प्राकृतिक अपशिष्टों से तैयार की हुई गैस है. इसके कई लाभकारी फायदे हैं.

1. बायोगैस का सबसे बड़ा लाभ यह पर्यावरण के अनुकूल हैं. इसके निर्माण से वातावरण में प्रदूषण नही फैलता.
2. बायोगैस किसान भाई आसानी से घर पर बना सकते हैं. इसके टैंक निर्माण के बाद इसमें किसी तरह के खर्च की आवश्यकता नही होती. इसके लिए आवश्यक अपशिष्ट गावों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं.
3. बायोगैस का निर्माण करने पर पेड़ों की कटाई की जरूरत नही होती. क्योंकि यह उर्जा की आवश्यकता को पूरा कर देती हैं.
4. ग्रामीण क्षेत्रों में गोबर को सुखाकर उसका इस्तेमाल आग जलाने में किया जाता है. जिससे धुआँ काफी ज्यादा मात्रा में निकलता है. जबकि बायो गैस के निर्माण करने पर धुँआ से बचा जा सकता हैं.
5. साधारण रूप से गोबर गाँवों में खुले में पड़ा होता है. जिससे उसमें कई तरह के कीटाणु उत्पन्न हो जाते हैं. जबकि बायोगैस के निर्माण के बाद मिलने वाला गोबर पूरी तरह खेत में डालने योग्य होता हैं.
6. बायोगैस के निर्माण के दौरान इस्तेमाल होने वाला ठोस पदार्थ का लगभग 25 प्रतिशत गैस के रूप में परिवर्तित हो जाता है. जबकि बाकी बचा भाग उत्तम गुणवत्ता के उर्वरक में बदल जाता है. जिसमें पोषक तत्त्वों की उपस्थिति सामान्य खेत में डालने वाली गोबर की खाद से ज्यादा होती है. जिससे फसल का उत्पादन भी अच्छा होता है.

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON