ठंडी में मुर्गियों में होने वाले प्रमुख रोग : सर्दियों में मुर्गी पालन में सावधानी

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Innovations in Poultry Production and Processing Technologies for Sustainable Poultry Farming

ठंडी में मुर्गियों में होने वाले प्रमुख रोग : सर्दियों में मुर्गी पालन में सावधानी

मुर्गी पालन का व्यवसाय हमारे देश में बहुत तेजी से बढ़ रहा है और लाखों लोगों की आजीविका का साधन बन गया है. गरीबी और बेरोजगार युवाओं के लिए यह एक अच्छा व्यवसाय साबित हो रहा है. मुर्गी पालन हमेशा से ही पशुपालको के लिए एक मुनाफे वाला व्यवसाय रहा है। अण्डा और मांस उत्पादन के लिए मुर्गी पालन एक प्रमुख व्यवसाय माना जाता है। चूंकि मांस के लिए पाली जाने वाली मुर्गियां लगभग 30 से 35 दिनों में तैयार हो जाती हैं इसलिए यह व्यवसाय जल्द ही फलीभूत होने लगता है और कमाई शुरू हो जाती है। कई बार मुर्गी पालकों की शिकायत रहती है कि सर्दियों के मौसम में मुर्गियां काफी प्रभावित होती हैं। इसके अलावा इस मौसम में मुख्य रूप से चूजों को सुरक्षित रखने के लिए विशेष सावधानी बरतनी होती है। ऐसे में आज हम आपको सर्दियों के मौसम में मुर्गियों को सुरक्षित रखने के लिए कुछ सावधानियां और उपाय बताने जा रहे हैं।

सर्दियों के मौसम में मुर्गीपालन में चूजों को ठण्ड लगने से सर्दी-खांसी की बीमारी होने का डर रहता है इसलिए सर्दियों में मुर्गियों को अधिक से अधिक ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। इसके लिए आप चूजों को ठंड से बचाने के लिए गैस ब्रूडर, बांस के टोकने के ब्रूडर, चद्दर के ब्रूडर, पट्रोलियम गैस, सिगड़ी, कोयला, लकड़ी के गिट्टे, हीटर इत्यादी की तैयारी चूजे आने के पूर्व ही कर लेना चाहिए। जनवरी माह में अत्यधिक ठंड पड़ती है अत: इस माह में चूजा घर का तापमान ९५ डिग्री फेरनहाईट होना अतिआवश्यीक है। फिर दूसरे सप्ताह से चौथे सप्ताह तक ५-५ डिग्री तापमान कम करते हुए ,ब्रूडर का तापमान उतना कर देना चाहिए की चूजें ठंढ से बचे रहें और उन्हें ठंढ ना लगे। सामान्यतः ब्रूडर का तापमान कम करते हुए ८० डिग्री फारेनहाइट तक कर देना चाहिए। सर्दियों के मौसम में मुर्गीपालन करते समय चूजों की डिलीवरी सुबह के समय कराएं, शाम या रात को बिलकुल नहीं कराएं चूंकि शाम के समय सर्दी बढ़ जाती है। शेड के परदे चूजों के आने के 24 घंटे पहले से ही ढक कर रखें।चूजों के आने के कम से कम २ से ४ घंटे पहले ब्रूडर चालू किया हुआ होना चाहिए।

पानी पहले से ही ब्रूडर के नीचे रखें, इससे पानी भी थोडा गर्म हो जायेगा। अगर ठण्ड ज्यादा हो तो ब्रूडर को कुछ समय के लिए पोलिथीन के छोटे गोल शेड से ढक कर, हवा निरोधी भी आप बना सकते हैं।

देशी मुर्गी आप दो तरह से पाल सकते हो।

  • एक तो अंडों के लिए
  • दूसरी है मीट प्रोडक्शन के लिए
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जैसे ही आप इसे अंडों के लिए पाल रहे हो तो इसका अंडा काफी ज्यादा डिमांड में रहता है। क्यों कि ये दूसरे अंडों के मुकाबले काफी ज्यादा फायदेमंद रहता है। सेहत के लिए।
तो इसका इस्तेमाल सर्दियों में किया जाता है। इसके अंडे के मूल्य भी काफी ज्यादा मिलेगा,

बात करें इसके मीट प्रोडक्शन की, मीट भी इसका काफी ज्यादा डिमांड में रहता है। ये भी मीट काफी ज्यादा फायदेमंद होता है।सेहत के लिए। इसके मीट में प्रोटीन भी काफी ज्यादा मात्रा में होता है।ज्यादा डिमांड के चलते हुए इसका मूल्य भी काफी ज्यादा होता है। इसका मूल्य 1000 रुपए 1500 रुपए इस तरह से इसके मुर्गे मार्केट में मिलते है। अगर आप इस बिजनेस को करना चाहते हैं तो मेरी एडवाइज है ।आप इसको बीस या तीस यूनिट के हिसाब से शुरू कर सकते हो।आप जिसको घर पर या कहीं और जगह खाली हो वहां पर इसको पाल सकते हो। वहीं बात करे ग्रोथ की तो, इसकी ग्रोथ काफी धीमी होती है। ये मुर्गा तीन महीने का समय ले लेता है दो किलो का होने में देशी मुर्गे में बीमारियां बहुत कम आती है। ये काफी हद तक बीमारियों का सह लेता है।

शरद ऋतु के रोग ग्रीष्म ऋतु के रोग
श्वसन शोथ कुक्कुट चेचक
साल मोनिला चिचड़ी ज्वर
अभिशीतन आदि | कृमि रोग आदि |

गर्मी में मुर्गियों में होने वाले प्रमुख रोग – रोकथाम तथा उपचार

मुर्गियों का खाना

इसलिए इसमें खर्च बहुत कम होता है। अब करें बात फ़ीड की, तो आप इसे फ़ीड भी घर पर बना दे सकते हैं। जैसे मक्का,बाजरा इस तरह के फ़ीड बनाकर आप दे सकते हो। अगर हम बात करे ब्रॉयलर मुर्गे की तो आपको ब्रॉयलर मुर्गे को आपको मार्केट से ही फ़ीड परचिस करके देना पड़ेगा।
वो फ़ीड काफी ज्यादा महंगा होता है। तो इस वजह से poultry farming काफी ज्यादा नुकसान में चला जाता है। अगर आपके यहां फ़ीड सस्ता मिल रहा है तो आप ब्रॉयलर farming भी अच्छे से कर सकते हैं।

मुर्गे पर मौसम का प्रभाव

अगर हम बात करें मौसम की तो मौसम का ज्यादा प्रभाव देशी मुर्गे पर नहीं पड़ता है। क्योंकि इसकी इम्यूनिटी काफी अच्छी होती है। इसलिए मौसम का कोई भी असर इस पर जल्दी से नहीं पड़ता है। अगर आप ब्रॉयलर farming  करते तो मौसम का ज्यादा ध्यान रखना होता है। खासतौर कर परदों का कब खोलने है और कब टाइम से बंद करनें है। वहीं बात करे हम देशी मुर्गो कि तो देशी मुर्गो में ये नहीं करना होता है।आपको थोड़ा बहुत ही ध्यान रखना है बारिश का या ज्यादा ठंड का इसको आप खुले में भी छोड़ सकते हैं।ये काफी ज्यादा एक्टिव भी होता है। ब्रॉयलर मुर्गे के मुकाबले

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ठंडी में मुर्गी के रोग –

ठंडी में मुर्गी पालन में सबसे ज्यादा बीमारी  आतीं हैं |  जिससे हमें सबसे ज्यादा कंफ्यूज़न होती है कि कौन सा उपचार किया जाए मुर्गी का और बहुत सारा हमारा नुकसान हो जाता है। तो उसी के बारे में आज हम बात करेंगे कौन सी वे दो बीमारियां है
सबसे पहले जो बीमारी है सर्दियों के मौसम में
मुर्गो का ज़ुकाम होता है।
और दूसरा जो है सीआरडी (CRD)

गर्मी में मुर्गियों में होने वाले प्रमुख रोग – रोकथाम तथा उपचार

मुर्गो का ज़ुकाम और सीआरडी (CRD)

उसी के बारे में आज हम बात करते हैं किस तरह हम सीआरडी (CRD) की बीमारी और जुकाम को पहचान सकते हैं।
ठंडी के मौसम में सबसे पहले एक दम से मौसम बदल जाता है।
ठंडी के मौसम में सुबह के टाइम परदे लेट खोलना चाहिए

  • शाम के टाइम जल्दी बंद कर देना चाहिए जिससे हमारे सैंड का मेंनटेन सही रहता है।
  • टेम्परेचर मेंनटेन रखने के लिए सैंड में आप बल्ब का भी यूज कर सकते हैं। हैलोजेन का भी यूज कर सकते हो |

रोग के लक्षण

मुर्गों को जब सर्दी होती है तो मुर्गी चीक मारती है और उनकी नाक से पानी गिरता है और थोड़ी बहुत मुर्गी सुस्त भी हो जाती है। लेकिन हमें कंफ्यूजन होता है कि हमारी मुर्गी को सीआरडी (CRD) हो गई है | अगर सीआरडी (CRD) हो जाती है तो हमें लगने लगता मुर्गियों को नॉर्मल सा जुकाम हो गया है।

हमें लगता है कि ये क्लाइमेट चेंज होने की वजह से हो गया है। और हम उतना केयर नहीं करते हैं । हमें फिर जो है उसका नुकसान होता है।

सीआरडी (CRD) के लक्षण है
पूरा नाम – Chronic respiratory disease (CRD)
सीआरडी (CRD) एक सांस लेने की बीमारी है | इसके अंदर तीन से चार लक्षण होते हैं जिसको हम देखकर पता लगा सकते हैं कि हमारी मुर्गियों को Chronic respiratory disease (CRD)  की बीमारी हो चुकी है।
तो सबसे पहले लक्षण है मुर्गी अपना मुंह खोलकर सांस लेती है।, मुर्गियां जो खर- खर की आवाज करती है। अगर आप नये फार्मर हैं तो उतना आपको पता नहीं होता है।

सीआरडी (CRD) का उपचार –
आप उनको लिंगजर पाउडर भी दे सकते हैं |  महीने में या सप्ताह में एक दो बार जरूर देना चाहिए । इससे क्या होता है कि आपकी मुर्गियों को जो ठंडी की बीमारी है। कोई इंफेक्शन. बक्टैरिया ये बीमारी नहीं आएगी।

तो इस तरह से आप मुर्गी पालन में इन विशेष बातों का ख्याल रखकर सफल किसान बन सकते हैं | मुर्गी पालन में रोगों के साथ साथ मुर्गियों की नस्लों का भी विशेष ख्याल रखना होता है | तो दोस्तों आशा करते हैं आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी |

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गर्मी में मुर्गियों में होने वाले प्रमुख रोग – रोकथाम तथा उपचार

10 दिन के चूजों के रोग 6 सप्ताह के चूजों के रोग 8 सप्ताह के चूजों के रोग
अभिशीतन रानीखेत कृमि
पीतक कॉक्सीडियोसिस चिचड़ी ज्वर
प्रचूणस्यन श्वसन शोथ फीताकृमि

 

मुर्गियों को रोग से बचाने के लिए निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बीमार मुर्गियों की देखभाल
(1) स्वच्छता
(i) पक्षियों की सफाई,
(ii) उपयोग में आने वाले वस्त्रों की सफाई,
(iii) कुक्कुटशाला की सफाई।
(1) बीमार पक्षी को तुरन्त झुण्ड से अलग कर देना चाहिए तथा उनकी देखभाल भी अलग व्यक्ति द्वारा करनी चाहिए।
(2) उचित आवास व्यवस्था (2) अधिक संक्रामक रोग वाले पक्षी को तुरन्त मार देना चाहिए तथा उसका रक्त न फैलने दें।
(3) सन्तुलित भोजन (Balanced Diet), (3) मरे पक्षी को जमीन में गहराई में गाढ़ देना चाहिए या जला दें।
(4) पृथक्ता (Seggrigation), (4) बीमार पक्षी में संलग्न व्यक्ति बिना जीवाणुओं के हनन किये स्वस्थ पक्षियों को न छूए।
(5) बिछावन प्रबन्ध (Litters management), (5) पीने के पानी में पोटैशियम परमैंगनेट मिलाकर पिलाना चाहिए।
(6) वायु प्रबन्ध (Ventilation), (6) दड़बे के सभी उपकरणों को जीवाणु रहित कर लेना चाहिए।
(7) ताजा, शुद्ध जल (Fresh, pure water), (7) बीमार पक्षी के बारे में डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
(8) रोग निरोधक टीके (Vaccination),
(9) कीटाणु नाशक दवाओं का छिड़काव (Spraying of antiseptic),
(10) दवाओं का प्रबन्ध (Arrangement of medicines),
(11) रोग ग्रस्त मुर्गियों को अलग रखना (Separation of diseased hen)।

 

  1. मुर्गी पालन की सबसे अच्छी नस्ल कौन सी रहेगी किसानों के लिए ?
    उत्तर – मुर्गियों की नस्लों का चुनाव कृषि वैज्ञानिक और अपने क्षेत्र की जलवायु परिवर्तन के अनुरूप ही करना चाहिए |
    मुर्गी पालन में अण्डा उत्पादन के लिए मिनोरका, एनकोना, व्हाइट लेगहार्न, कैम्पियस आदि नस्लें आती हैं | मांस वाली नस्लों में ब्रम्हा, कोचीन, चिटगांव आदि नस्लें आती हैं |
  2. क्या मुर्गी पालन में सफल हो सकते हैं?
    उत्तर – जी हाँ मुर्गी पालन में अपार संभावनाएं हैं | मुर्गी पालन से आप लाख रुपये महीना तक पैसे कमाने सकते हैं |
  3. मुर्गियों में गर्मियों में रोग आतें हैं क्या?
    उत्तर – जी हाँ, मुर्गियों में सर्दियों के साथ साथ गर्मियों में भी रोग आते हैं |

Compiled  & Shared by- This paper is a compilation of groupwork provided by the Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)

 Image-Courtesy-Google

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