गर्मी एवं बरसात के मौसम में पशुओं में होने वाले रोग , और उनसे बचाव हेतु सुरक्षात्मक उपाय

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डॉ संजय कुमार मिश्र
पशु चिकित्सा अधिकारी चोमूहां मथुरा

गर्मी के मौसम में पशुओं में होने वाले मुख्य रोग, एवं उनसे बचाव:

1 अत्याधिक गर्मी के कारण लू लगना
2.गर्मी के कारण स्ट्रेस यानी व्याकुलता
3 पशुओं में किलनी कलीली आदि का लगना
4 पशुओं के पेट में कीड़े पड़ना
5 पशुओं में दस्त एवं निर्जलीकरण यानी शरीर में पानी की कमी होना
6.पानी की कमी के कारण सामान्य रूप से पूरी तरह ना बढ़ पाए जहरीले चारे को खा लेने से विषाक्तता होना ।
७.सर्रा का रोग होना जिसमें रोगी पशु गोल घुूमा रहता है

।। गर्मी में पशु रोगों से बचाव हेतु सुरक्षात्मक उपाय ।।

१.बरसात से पहले गर्मी के मौसम मुख्यतया जून जुलाई में ही गलाघोटू ,खुरपका मुंह पका एवं फड़ सूजन का टीका पशुओं में लगवा देना चाहिए । पीपीआर जो भेड़ बकरी आदि में होता है इसका टीका अप्रैल-मई तक लगवा लेना चाहिए।
२.अंतः परजीवी कीड़ों से बचाव हेतु मई-जून तक कृमि नाशक दवा पिला देनी चाहिए।
३.पशुशाला में बोरे का पर्दा तथा उसे पानी छिड़ककर ठंडा रखें। तेज धूप से काम करके आए पशुओं को तुरंत पानी ना पिलाए आधा घंटा सुस्ताने के बाद पानी पिलाएं। ४.चरी या मकचरी वह गर्मी के मौसम में फूल वाली अवस्था में आने से पहले पशुओं को खाने से रोके अन्यथा विषाक्तता हो सकती है।
५.गर्मी में हरे चारे की कमी हो जाती है जिससे गर्मी के मौसम से पूर्व साइलेज बनाकर चारा संरक्षित करें।
६.कोई भी पशु रोग होने पर पास के पशु चिकित्सालय से सलाह लेकर पशु को दवा दें।

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।। बरसात के मौसम में होने वाले पशु रोग।।

१.पानी में अत्याधिक भीगने से न्यूमोनिया तथा ब्रोंकाइटिस का होना । २.गलाघोटू ,खुरपका मुंहपका एवं फड़ सूजन का रोग होना। ३.पेट फूलना व दस्त होना। ४.किलनी कलीली के कारण त्वचा रोग होना।
५.अत्याधिक समय तक पानी या कीचड़ में रहने से फूंटराट यानी पैर सड़ने का रोग होना। ६.अफलाटॉक्सिन यानी चारे में फफूंद लग जाने से पशु के खाने पर विषाक्तता होना।

।। बरसात में रोगों से बचाव हेतु सुरक्षात्मक उपाय।।
१.पशुशाला को बरसात के पानी से बचाकर रखने के उपाय करने चाहिए।
२.पशु आहार चारा को सूखा रखने के उपाय करें जिससे उसमें नमी ना आए।
३.भीगे पशुओं को कपड़े से पोंछ कर हवादार स्थान में रखें।
४पशुओं को अधिक मात्रा में हरा चारा न खिलाएं। अगर भूसे में धुंध या जाला लग गया हो तो अच्छी तरह धोकर एवं सुखाकर ही खाने को दें। यदि संभव हो तो उसे यूरिया मोलासीस से उपचारित करके ही दें।
५.यदि उस क्षेत्र में गला घोटू रोग फैला हो तो इस रोग के टीके की दूसरी खुराक अवश्य लगवा दें।
६.खुरपका मुंहपका का टीका यदि अभी न लगवाया हो तो तुरंत लगवा दें।
७.बरसात के अंत में अंतः क्रमी के लिए कृमि नाशक दवा दें।
८.पशु के रोगी होने पर पशु चिकित्सालय से संपर्क करें

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