मुर्गी पॉक्स रोग

0
989

मुर्गी पॉक्स रोग

डॉ विक्रम पूनिया, डॉ मनोज कुमार ढाका, डॉ श्रीपाल सियाग एवं डॉ प्राची सिंह

पीएचडी शोध छात्र I

भारत में मुर्गियाँ लघु स्तर पर ही नहीं अपितु व्यवसायिक स्तर पर भी पाली जाने लगी हैं I ऐसे में मुर्गीपालकों के लिए उनसे जुडी बिमारियों की सामान्य जानकारी रखना अत्यावश्यक है I मुर्गियाँ में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं I इन्ही रोगों में एक रोग है – मुर्गी पॉक्स रोग I आज हम जानेंगे कि यह रोग क्या है, किससे होता है, किसमें होता  है, कैसे फैलता  है तथा यदि यह रोग हो जाए तो इसके लक्षण, निदान ,उपचार एवं रोकथाम कैसे संभव है ?

मुर्गी पॉक्स रोग क्या है मुर्गी पॉक्स मुर्गियों में सभी उम्र में पाया जाने वाला, विषाणु जनित संक्रामक रोग है I

कारक – यह रोग मुर्गी पॉक्स विषाणु से होता है I

कारण – यह रोग संक्रमित मुर्गी, क्यूलेक्स मच्छर, व्येओमीया मच्छर, डर्मेनिसस गैलिनी, आर्गस पर्सिकस किलनी इत्यादि से फैल सकता है |

 रोगोद्भवन अवधि – इस रोग की रोगोद्भवन अवधि लगभग 4 से 10 दिवस तक है I

लक्षण — इस रोग के त्वचीय रूप में कलगी, पलक तथा शरीर के अन्य पंख रहित हिस्सों में गांठ ,श्वसन रूप में मुंह, ग्रासनली तथा श्वासनली पर पीले दाने, खांसी, सांस लेने में परेशानी, कमजोरी, कम वृद्धि दर अंडा उत्पादन में कमी  इत्यादि लक्षण देखने को मिल सकते हैं |

परिगलन निष्कर्ष – त्वचीय रूप में  गांठ के साथ स्थानीय बाह्य त्वचीय अतिवृद्धि तथा श्वसन रूप में मुकोसा झिल्ली पर सफेद अपारदर्शी गांठ , पीला पनीर के जैसी गली हुई छद्म डिप्थीरिया झिल्ली इत्यादि देखने को मिल सकते हैं |

READ MORE :  देसी मुर्गी पालन की आधुनिक पद्धति

सूक्ष्मदर्शी  निष्कर्ष – प्रभावित बाह्य त्वचीय कोशिकाओं में बड़ी सदृश इओसिनरागी आंतरकोशिकाद्रव्य अंतर्वेशकाय मिलती हैं | इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से अंतर्वेशकाय देखने पर उनमें परिपक्व बोरेल निकाय तथा अपरिपक्व विषाणु के कण मिलते हैं |

निदान – इस  रोग का निदान लक्षणों के आधार पर , परिगलन निष्कर्ष के आधार पर इत्यादि से किया जा सकता है I

 

उपचार – मुर्गी पॉक्स विषाणु जनित रोग है तथा इसका कोई सटीक उपचार नहीं है |

रोकथाम के उपाय

  • संक्रमित मुर्गियों को अन्य मुर्गियों से दूर रखें I
  • टीकाकरण – मुर्गियों को प्रथम टीका 6 सप्ताह की उम्र पर तथा दूसरा टीका 13 सप्ताह की उम्र पर लगवाना चाहिए I

उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर हमारे मुर्गीपालक भाई अपनी मुर्गियों को इस  रोग से बचाकर नियमित आय प्राप्त कर सकते हैं और अपने परिवार के साथ प्रसन्नतापूर्वक जीवन व्यतीत कर सकते हैं I

https://www.theruralindia.in/2021/07/diseases-in-chickens-and-their-treatment-in-hindi.html

https://www.pashudhanpraharee.com/%E0%A4%AA%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%93%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%9F%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%95/

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON