घोड़ो का आवास एवम पोषण  प्रबंधन

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घोड़ो का आवास एवम पोषण  प्रबंधन

मीसम रज़ा1, राकेश ठाकुर1 एवम अंकज ठाकुर1

1सहायक प्राध्यापक डॉ जीसी नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, चौ.स.कु. हि.प्र.कृषि विष्वविद्यालय, पालमपुर

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HOUSING  & FEEDING MANAGEMENT OF HORSES

घोड़े सदियों से मानव संस्कृति का हिस्सा रहे हैंं। भारत देश घोड़ो कि कुछ उत्तम प्रजातियों का घर भी है। अधिकांश घोड़ों का उपयोग एथलेटिक प्रतियोगिताओं जैसे पोलो खेलने, घुड़दौड़ और घुड़सवारी के लिए किया जाता है, लेकिन वे विभिन्न कृषि और जैव चिकित्सा शोध प्रयासों में भी काम आते हैं। अस्व प्रजाति के अन्य जानवर (घोड़े, टट्टू, गधे और खच्चर) अभी भी आमतौर पर दुनिया भर में जुताई और परिवहन के लिए ड्राफ्ट जानवरों के रूप में उपयोग किए जाते हैं। घोड़ो से उचित लाभ हेतू उनके पोषण और आवासीय प्रबंधन पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। इस लेख में इन दोनों विषयों पर चर्चा की गयी है।

घोड़े पालन के मूलभूत सिद्धांत

घोड़े पालने का अर्थ है, वर्ष के 365 दिन उनकी देखभाल, निरीक्षण, साफ-सफाई, उनके पोषण और समस्याओं का समाधान करना। पालतू घोड़े का औसत जीवनकाल 30 वर्ष होता है। एक औसत घोड़ा दो वर्ष की आयु में वयस्क हो जाता है। दौड़ने वाले घोड़ों पर आमतौर पर 1-1.5 वर्ष में सवारी शुरू कर दी जाती है, और इसीलिए आमतौर पर उन्हें 6 वर्ष की आयु में सेवामुक्त कर दिया जाता है। इसके अलावा, यदि आपके पास विशेष आवश्यकताओं वाले घोड़े हैं और खेत में वर्ष के ज्यादातर समय पर्याप्त चारा नहीं उगता तो आपको अपने प्रत्येक घोड़े को खिलाने के लिए प्रति माह रू 400-500 अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे। उचित आवास के निर्माण और रखरखाव से संबंधित लागतों के साथ घोड़े खरीदने की लागत, चिकित्सा की लागत (सामान्य और आपातकालीन), घोड़े के विभिन्न उपकरणों की लागत जोड़ने की भी जरुरत होती है।

घोड़ों का आवास प्रबंधन  आवास के अंर्तगत घोड़ों के लिए एक सुरक्षित आंतरिक ढका आश्रय, एक बाहरी आश्रय, एक चरागाह और टहलने का स्थान, विभिन्न प्रकार के चारे रखने के लिए और तैयार करने के लिए स्थान, दवाएं और प्राथमिक चिकित्सा किट रखने के लिए एक कमरा और विशेष मेड़ की जरुरत होती है ताकि हमारे घोड़े बाहर ना निकलें। घोड़ों के आवास में कोई नुकीली चीज अथवा कोने नही होने चाहिए।

चरागाह के चारो ओर मेड़ होनी चाहिए। पेशेवर तरीके से निर्मित विद्युत मेड़ आपके घोड़े को एक तेज लेकिन सुरक्षित बिजली का झटका देगा, जो शारीरिक, दृश्यात्मक और मानसिक बाधा का काम करेगा। पहले अनुभव के बाद, घोड़े संभवतः मेड़ को याद रखेंगे।

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बाहरी आश्रय वो स्थान है जहाँ घोड़ा बहुत ज्यादा गर्म दिनों में रहेगा। इसी स्थान पर घोड़े को ताजा-साफ पानी और सूखी घास भी मिलती है। औसतन, बाहरी आश्रय में हमें प्रत्येक घोड़े के लिए लगभग 170 वर्ग फुट (16 वर्ग मीटर) स्थान की जरुरत पड़ती है।

आंतरिक आश्रय (जिसे अक्सर कॉल्ड बॉक्स कहते हैं) वो स्थान है जहाँ घोड़ा आराम करता है। प्रत्येक घोड़े के लिए औसतन 170 वर्ग फीट (16 वर्ग मीटर) स्थान की जरुरत होती है। घोड़े की कोठरी अथवा आवास में अक्सर लकड़ी के बुरादे का प्रयोग बिछावन हेतू किया जाता है। कोठरी के अंदर घोड़े के पास निरंतर सूखी घास और ताजा पानी मौजूद होना चाहिए। कोठरी हवादार और साफ-सुथरी होनी चाहिए। कोठरियों में आमतौर पर एक मुख्य दरवाजा होता है, जिसका ऊपरी आधा हिस्सा खिड़की की तरह खुलता है, ताकि घोड़े का मालिक उसे बाहर निकाले बिना अंदर देख सके।

बाहरी चरागाह एवं टहलने का स्थान घोड़े के स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित है। टहलने वाले स्थान से पत्थर और अन्य बाहरी चीजों को सावधानी से हटा देना चाहिए, क्योंकि इससे घोड़े को चोट लग सकती है। आपको एक सूखे और छायादार स्थान की भी जरुरत होगी, जहाँ सूखी घास रखी जाएगी और साथ ही आपको व्यावसायिक चारा रखने के लिए भी एक कमरे की जरुरत होती है। अंत में, आपको एक अलग कमरे की जरुरत होगी जहाँ आप उपकरणष् दवाएं और स्वास्थ्य सहायता किट रखेंगे।

घोड़े का पोषण प्रबंधन  यह सच है कि घोड़ों ने जंगलों में केवल घास खाकर और पानी पीकर ही सदियों तक अपना जीवन व्यतीत किया है। लेकिन, जंगल में घोड़े का जीवनकाल अपेक्षा से कहीं कम होता है। इसलिए घोड़ों की उचित बढ़वार और कार्यकक्षता हेतू चारे के अतिरिक्त फीड व दाना उपलब्ध करवाना भी आवष्यक है। घोड़ों के पास 24 घंटे ताजा पानी और घास मौजूद होना चाहिए। सामान्यतः, घोड़े के पेट का आकार इसके बड़े षरीर की तुलना में काफी छोटा है। इसलिए, घोड़ों को निरंतर लेकिन संयमित मात्रा में खाने की थोड़ी-थोड़ी खुराक प्रदान करनी चाहिए, ताकि वे दिन भर में 2-3 बार ज्यादा खाने के बजाय अपनी गति के अनुसार थोड़ा और समय-समय पर खा सकें। हालाँकि, इस बात को ध्यान में रखें कि कठोर परिश्रम से तुरंत पहले और तुरंत बाद (उदाहरण एक लिए सवारी), घोड़े को चारा व पानी नहीं देना चाहिए, क्योंकि इसकी वजह से उनको कोलिक अर्थात तेज पेट दर्द हो सकता है।

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एक घोड़ा प्रतिदिन अपने शरीर के वजन का 1 प्रतिषत से ज्यादा घास खा सकता है। यदि आपके पास केवल युवा और पुष्ट घोड़े हैं और यदि आपके मैदान में वर्ष भर विभिन्न प्रकार का चारा उगता है तो आप अपने घोड़े के पोषण को ताजा और सूखी घास पर आधारित कर सकते हैं और व्यावसायिक चारे व फीड पर खर्च करने से बच सकते हैं। चारे से अर्थ पौधों की प्रजातियों की एक व्यापक श्रृंखला से है, जैसे घास, दूब, अल्फल्फा (मेडिकागो सैटिव), फलियां, ब्रासिका आदि। टिमोथी, अल्फाल्फा, जई और बरसीम (ताजा या सूखी घास के रूप में) घोड़ों के पोषण के लिए अच्छा आहार हैं। ज्वार अथवा चरी प्रजातियां घोड़ों के लिए विषाक्त होती हैं और इनसे बचना चाहिए। घोड़े पालने वाले व्यक्ति को स्थानीय रूप से पाए जाने वाले जहरीले पौधों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए ताकि उनसे घोड़ो को बचाया जा सके।

उपरोक्त वर्णित नियम सामान्य हैं और ज्यादातर स्वस्थ घोड़ों पर लागू होते हैं। लेकिन, कोई भी दो घोड़े समान नहीं होते, और ना ही उनकी शारीरिक क्षमता और आवश्यकताएं समान होती हैं। उदाहरण के लिए, बूढ़े घोड़ों को अक्सर दांत या गतिशीलता से संबंधित समस्याएं होती हैं। इसलिए, वे अपने खाने की तलाश में दिन के 15 घंटे नहीं घूम सकते हैं। इसलिए, हमारे पास विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक चारों का भंडार होना चाहिए। घोड़ों के पोषण को पूरा करने के लिए भूसी, जई, बाजरा, कटी हुई घास और विटामिन का प्रयोग किया जाता है। अनाज ज्यादातर तब प्रयोग किये जाते हैं जब हम घोड़ों का वजन बढ़ाना चाहते हैं। हालाँकि, थोड़ी मात्रा में अनाज अच्छा काम करता है, लेकिन, हमें सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि इसकी अत्यधिक मात्रा से जानलेवा परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। नियमानुसार, बड़े, स्वस्थ और पुष्ट घोड़े सूखी घास और चारा खा सकते हैं, जबकि बूढ़े, चोटिल और परिश्रमी घोड़ों के लिए ज्यादा प्रोटीन और विटामिन की जरुरत पड़ती है।

यदि घोड़ा भारी काम करता है तो उसे व्यावसायिक मिश्रित चारे भी खिला सकते हैं, जिसमें प्रोटीन की उच्च मात्रा मौजूद होती है। कटी हुई घास के उत्पादों को अक्सर दांत की समस्याओं वाले बूढ़े जानवरों को प्रदान किया जाता है। जौ के भूसे में बहुत कम प्रोटीन (लगभग 5 प्रतिशत) और बहुत ज्यादा मात्रा में फाइबर मौजूद होता है। बरसीम और अन्य संबंधित पौधों वाले खेत की पहली कटाई भी फाइबर का बहुत अच्छा स्रोत है। जई की घास भी बड़े घोड़ों और घोड़ियों की प्रारंभिक गर्भावस्था के समय के लिए उपयुक्त चारा है। घोड़े के मालिकों को नाइट्रेट के स्तरों का पता लगाने के लिए जई की घास का परीक्षण करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की चारा सुरक्षित है। घोड़ों के कुल आहार में नाइट्रेट का स्तर 0.5 प्रतिशत  से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

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अक्सर घोड़े के मालिक घोड़े के आवास में नमक के टुकड़े रखते हैं। इस तरह, घोड़ा अपनी इच्छानुसार नमक चाटकर अपनी सोडियम और क्लोराइड की जरूरतों को पूरा कर सकता है। घोड़ों को नमक के टुकड़े प्रदान करने के बारे में अपने स्थानीय पशु चिकित्सक से भी चर्चा कर सकते हैं।

पहली बार उचित वार्षिक आहार योजना बनाने के लिए और क्षेत्र में सामान्य तौर पर पाए जाने वाले जहरीले पौधों और झाड़ियों के बारे में जानने के लिए घोड़े के मालिक को स्थानीय विशेषज्ञों, पशु चिकित्सकों और कृषि वैज्ञानिकों से परामर्श लेना चाहिए। कई मामलों में, क्षेत्र की वनस्पति और मौसमी स्थितियां अंतिम समीकरण के लिए महत्वपूर्ण पैमाने होते हैं। पशु चिकित्सक और घोड़े के मालिक को घोड़े के शरीर और दांत की स्थिति का भी समय समय पर निरीक्षण करना चाहिए। पशु चिकित्सक के निरीक्षण में, घोड़े के पोषण प्रबंधन में कुछ विटामिन भी शामिल किये जा सकते हैं। विशेष रूप से यदि आपके पास अलग-अलग उम्र के, विभिन्न आवश्यकताओं वाले 3-4 से ज्यादा घोड़े, जिनमें से कुछ को दांत की समस्याएं आदि हैं तो घोड़ों को प्रतिदिन अपनी स्मृति के अनुसार खिलाना असंभव हो जाता है, इसलिए आवश्यक है की आप अपने अस्तबल में एक श्यामपट रखे जिसमे प्रत्येक घोड़े की खुराक का वर्णन किया जा सके। अपने सभी घोड़ों के नाम और प्रत्येक चारे की मात्रा वाले स्तंभों के साथ सारणी बनाने से यह सुनिश्चित होता है कि आप प्रत्येक घोड़े की दैनिक और साप्ताहिक आहार योजना का हमेशा निरीक्षण कर पाएंगे।

निष्कर्ष : घोडा पालकों को अपने घोड़ो की देखभाल में उनके रहने का स्थान एवम उनके पोषण पर खास ध्यान देना चाहिए । इसलिए यह आवशयक होता है की अश्व प्रबंधन की मूल भूत जानकारी और वैज्ञानिक तरीको से घोडा पालक अवगत हों।

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