ब्रायलर मुर्गी पालन का आधुनिक तरीका

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MODERN PRACTICES OF BROILER POULTRY FARMING IN INDIA

ब्रायलर मुर्गी पालन का आधुनिक तरीका

मुर्गी पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसको कम लागत में शुरू करके हर महीने हजारों रुपए कमाए जा सकते हैं। अगर कोई किसान 500 मुर्गी से इस व्यवसाय को शुरू करता है तो एक महीने में 5 से 7 हजार रुपए की अतिरिक्त आय कमा सकता है। इस व्यवसाय में पशुपालक को बहुत ज्यादा पैसे की जरूरत नहीं होती है। अगर कोई व्यक्ति इस व्यवसाय को शुरू करना चाहता है तो वह 500 ब्रायलर मुर्गियों से शुरुआत कर सकता है। पुराने दौर में मुर्गे लड़ाए जाते थे, लोग खूब मजे लेते थे और मुर्गे लहूलुहान हो जाते थे। बाजी लगा करती थी, हारने वाला मुर्गा अक्सर कटकर कड़ाही में पककर थाली में सज जाता था। नए जमाने में मुर्गे मजेदार नहीं रहे। ब्रायलर के दौर में देशी मुर्गो को कौन पूछे। मुर्गो की लड़ाई तो दूर सुबह-सबेरे उनकी बाग तक सुनाई नहीं पड़ती। कारण देशी मुर्गे पर ब्रायलर मुर्गा हावी हो गया है। देशी मुर्गे की तरह वह एक साल में नहीं महज 24 दिन में ही तैयार हो जाता है।

पुराने समय से ग्रामीण इलाकों में मुर्गियों को पाला जाता रहा है लेकिन आज के समय मे मुर्गी पालन एक बड़े व्यवसाय के रुप में उभर रहा हैं । जिसमें किसान खेती के साथ अतिरिक्त आय के लिए यह व्यवसाय कर सकता हैं. आइए जानते हैं Broiler Poultry Farm (ब्रायलर मुर्गी पालन) के बारे में-
मुर्गीपालन दो प्रकार के होते हैं –
ब्रायलर मुर्गी पालन -मांस के लिए किया जाता है ।
लेयर मुर्गी पालन -अंडे के लिए किया जाता है ।

मुर्गी पालन के लिए मुर्गियों के प्रकार 

यदि आप मुर्गी पालन व्यवसाय को शुरू करने के बारे में ठान लिया है तो इसके बारे में भी जानना बहुत जरूरी है कि मुर्गी कितने प्रकार की है तभी आप देखकर पता लगा सकते हैं कि किस व्यवसाय में या किस मुर्गियों में अधिक ज्यादा पैसे कमा सकते हैं आइए जानते हैं उन मुर्गियों के बारे में वैसे देखा जाए तो मुर्गियां तीन प्रकार की होती है लेयर मुर्गी ब्रायलर मुर्गी और देसी मुर्गी आदि

लेयर मुर्गी

यदि आप अधिक मात्रा में अंडे का बिजनेस करना चाहते हैं तो लेयर मुर्गी आपके लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होती है क्योंकि यह मुर्गी 4 से 5 महीने के अंदर ही अंदर देना शुरू कर देती है उसके बाद यह 1 साल तक अंडे देती है जब इसकी उम्र 16 months की हो जाती है तो यह मांस के लिए काम आती है अर्थात इस मुर्गी को बेचकर अन्य मुर्गी को तैयार कर सकते हैं और अच्छे खासे पैसे कमा सकते हैं

ब्रायलर मुर्गी

ब्रायलर मुर्गी को अधिकतर मांस के लिए यूज किया जाता है क्योंकि इस मुर्गी में काफी अधिक मात्रा से growth मिलती है यह बहुत ही कम समय में growth करती है इसलिए इस मुर्गी का इस्तेमाल मास के लिए किया जाता है उसकी डिमांड बाजार में बहुत ही ज्यादा है इस प्रकार की मुर्गियों का पालन करके आप अपने बिजनेस को काफी हद तक पढ़ा सकते हैं

देसी मुर्गी

देसी मुर्गी इसकी डिमांड मार्केट में काफी अच्छी देखने को मिलती है क्योंकि देसी माल हमेशा ही देसी होता है इसलिए इसकी मार्केट में डिमांड अच्छी है और क्वांटिटी कम है यह मुर्गियां दोनों तरीके से फायदेमंद है यह मुर्गी अंडे भी देती है और मांस के लिए भी यूज़ की जाती है इसमें आपको तय करना है कि आप किस प्रकार की मुर्गियों का पालन करते हैं। यदि आप इन तीनों मुर्गियों का पालन करते हैं तो आप हमेशा अपने बिजनेस की ओर आगे बढ़ाने के बारे में तो समझना होगा और इसके बारे में पूरा मेंटेनेंस को देखना पड़ेगा तभी आप इस बिजनेस को बढ़ा पाएंगे और अच्छा से पैसा कमा सकते हैं।

आज भारत में ब्रायलर फार्मिंग एक सुविकसित व्यवसाय के रूप में उभर चूका है। ब्रायलर मुर्गी पालन कम समय में अधिक से अधिक पैसे कमाने का व्यवसाय है। इसे छोटे किसान भी छोटे गाँव में कर सकते हैं बस उन्हें सही गाइड की आवश्यकता है।

ब्रायलर पोल्ट्री फार्म क्या हैं? What is Broiler Poultry Farm in Hindi?

भारत में पोल्ट्री फार्मिंग में ब्रायलर चिकन सबसे लोकप्रिय पक्षी है, इन मुर्गियों का पालन माँस उत्पादन के लिए किया जाता हैं । ब्रायलर छोटी मुर्गीयां होती हैं जो 5 से 6 सप्ताह की होती हैं । ब्रायलर प्रजाति के मुर्गा या मुर्गी अंडे से निकलने के बाद 40 से 50 ग्राम के ग्राम के होते हैं जो सही प्रकार से दाना- दवा खिलाने और सही रख-रखाव के बाद के बाद 6 हफ्ते में लगभग 2 किलो से 2.5 किलो के हो जाते हैं । आज ब्रायलर पोल्ट्री फार्मिंग एक सुविकसित व्यवसाय के रूप में उभर चूका है. ब्रायलर मुर्गी पालन कम समय में अधिक से अधिक पैसे कमाने का व्यवसाय है, इसे छोटे किसान भी छोटे गाँव में कर सकते हैं. ब्रायलर पोल्ट्री फार्म के लिए बहुत कम निवेश की आवश्यकता होती है क्योंकि उन्हें छह सप्ताह के भीतर विकसित कर बेचा जा सकता है ।

ब्रॉइलर फार्म के लिए शेड कैसे बनाएं?

फार्म के लिए जगह का चयन

जगह समतल हो और कुछ ऊंचाई पर हो, जिससे की बारिश का पानी फार्म में जमा ना हो सके।

  • मुख्य सड़क से ज्यादा दूर ना हो जिससे लोगों का और गाड़ी का आना जाना सही रूप से हो सके।
  • बिजली औरपानी की सुविधा सही रूप से उपलब्ध हो।
  • चूज़े, ब्रायलर दाना, दवाईयाँ, वैक्सीन आदि आसानी से उपलब्ध हो।
  • ब्रायलर मुर्गी बेचने के लिए बाज़ार भी हो।

फार्म के लिए शेड का निर्माण

शेड हमेशा पूर्व-पश्चिम दिशा में होना चाहिए और शेड के जाली वाला साइड उत्तर-दक्षिण में होना चाहिए जिससे की हवा सही रूप से शेड के अन्दर से बह सके और धुप अन्दर ज्यादा ना लगे।

  • शेड की चौड़ाई 30-35 फुट और लम्बाई ज़रुरत के अनुसार आप रख सकते हैं।
  • शेड का फर्श पक्का होना चाहिए।
  • शेड के दोनों ओर जाली वाले साइड में  दीवार फर्श से मात्र 6 इंच ऊँची होनी चाहिए।
  • शेड की छत को सीमेंट के एसबेस्टस या चादर से बनाना चाहिए और बिच-बिच में वेंटिलेशन के लिए जगह भी होना चाहिए। चादर को दोनों साइड 3 फीट कट लम्बा रखें जिससे की बारिश के बौछार से शेड ना भिज जाये।
  • शेड की साइड की ऊँचाई फर्श से 8-10 फूट होना चाहिए व बीचो-बीच की ऊँचाई फर्श से 14-15 फूट होना चाहिए।
  • शेड के अन्दर बिजली के बल्ब, मुर्गी दाना व पानी के बर्तन, पानी की टंकी की उचित व्यवस्था होना चाहिए।
  • एक शेड को दुसरे शेड से थोडा दूर- दूर बनायें। आप चाहें तो एक ही लम्बे शेड को बराबर भाग में दीवार बना करभी बाँट सकते हैं।

दाने और पानी के बर्तनों की जानकारी

प्रत्येक 100 चूज़ों के लिए कम से कम 3 पानी और 3 दाने के बर्तन होना बहुत ही आवश्यक है।

  • दाने और पानी के बर्तन आप मैन्युअल या आटोमेटिक किसी भी प्रकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। मैन्युअल बर्तन साफ़ करने में आसान होते हैं लेकिन पानी देने में थोडा कठिनाई होती है पर आटोमेटिक वाले बर्तनों में पाइप सिस्टम होता है जिससे टंकी का पानी सीधे पानी के बर्तन में भर जाता है।

बुरादा या लिटर

बुरादा या लिटर के लिए आप लकड़ी का पाउडर, मूंगफली का छिल्का या धान का छिल्का का उपयोग कर सकते हैं।

  • चूज़े आने से पहले लिटर की 3-4 इंच मोटी परत फर्श पर बिछाना आवश्यक है। लिटर पूरा नया होना चाहिए एवं उसमें किसी भी प्रकार का संक्रमण ना हो।

मुर्गी फार्म मे ब्रूडिंग

  • चूज़ों के सही प्रकार से विकास के लिए ब्रूडिंग सबसे ज्यादा आवश्यक है। ब्रायलर फार्म का पूरा व्यापार पूरी तरीके से ब्रूडिंग के ऊपर निर्भर करता है। अगर ब्रूडिंग में गलती हुई तो आपके चूज़े 7-8 दिन में कमज़ोर हो कर मर जायेंगे या आपकेसही दाना के इस्तेमाल करने पर भी उनका विकास सही तरीके से नहीं हो पायेगा।
  • जिस प्रकार मुर्गी अपने चूजों को कुछ-कुछ समय में अपने पंखों के निचे रख कर गर्मी देती है उसी प्रकार चूजों को फार्म में भी जरूरत के अनुसार तापमान देना पड़ता है।
  • ब्रूडिंग कई प्रकार से किया जाता है –  बिजली के बल्ब से, गैस ब्रूडर से या अंगीठी/सिगड़ी से।
    1. बिजली के बल्ब से ब्रूडिंग
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इस प्रकार के ब्रूडिंग के लिए आपको नियमित रूप से बिजली की आवश्यकता होती है। गर्मी के महीने में प्रति चूज़े को 1 वाट की आवश्यकता होती है जबकि सर्दियों के महीने में प्रति चूज़े को 2 वाट की आवश्यकता होती है।

गर्मी के महीने में 4-5 दिन ब्रूडिंग किया जाता है और सर्दियों के महीने में ब्रूडिंग 12-15 दिन तक करना आवश्यक होता है। चूजों के पहले हफ्ते में ब्रूडर को लिटर से 6 इंच ऊपर रखें और दुसरे हफ्ते 10 से 12 इंच ऊपर।

  1. गैस ब्रूडर द्वारा ब्रूडिंग Brooding with Gas brooder

जरूरत और क्षमता के अनुसार बाज़ार में गैस ब्रूडर उपलब्ध हैं जैसे की 1000 औ 2000 क्षमता वाले ब्रूडर। गैस ब्रूडर ब्रूडिंग का सबसे अच्छा तरिका है इससे शेड केा अन्दर का तापमान एक समान रहता है।

  1. अंगीठी या सिगड़ी से ब्रूडिंग Brooding with Fireplace

ये खासकर उन क्षेत्रों के लिए होता हैं जहाँ बिजली उपलब्ध ना हो या बिजली की बहुत ज्यादा कटौती वाले जगहों पर। लेकिन इसमें ध्यान रखना बहुत ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि इससे शेड में धुआं भी भर सकता है या आग भी लग सकता है।

ब्रायलर मुर्गी दाना से जुड़ी जानकारी Broiler feed

ब्रायलर फार्मिंग में 3 प्रकार के दाना की आवश्यकता होती है। यह दाना ब्रायलर चूजों के उम्र और वज़न के अनुसार दिया जाता है –

  • प्री स्टार्टर (Pre-starter feed)(0-10 दिन तक के चूजों के लिए)
  • स्टार्टर (Starter feed)(11-20 दिन के ब्रायलर चूजों के लिए)
  • फिनिशर (Finisher feed) (21 सिन से मुर्गे के बिकने तक)

पीने का पानी Drinking water for chickens

ब्रायलर मुर्गा 1 किलो दाना खाने पर 2-3 लीटर पानी पीता है। गर्मियों में पानी का पीना दोगुना हो जाता है। जितने सप्ताह का चूजा उसमें 2 का गुणा करने पर जो मात्र आएगी, वह मात्र पानी की प्रति 100 चूजों पर खपत होगी, जैसे –

पहला सप्ताह = 1 X 2 = 2 लीटर पानी/100 चूजा
दूसरा सप्ताह = 2 X 2 = 4 लीटर पानी /100 चूजा

ब्रायलर मुर्गियों के लिए जगह का हिसाब How much space is required for one broiler chicken?

पहला सप्ताह – 1 वर्गफुट/3 चूज़े
दूसरा सप्ताह – 1 वर्गफुट/2 चूज़े
तीसरा सप्ताह से 1 किलो होने तक – 1 वर्गफुट/1 चूज़ा
1 से 1.5 किलोग्राम तक – 1.25 वर्गफुट/1 चूज़ा
1.5 किलोग्राम से बिकने तक -1.5 वर्गफुट/1 चूज़ा

सही प्रकार से चूजों को जगह मिलने पर चुज़ो को विकास अच्छा होता है और कई प्रकार की बिमारियों से भी उनका बचाव होता है।

ब्रायलर मुर्गियों के लिए लाइट या रोशनी का प्रबंध Light management in broiler farm

चूजों को 23 घंटे लाइट देना चाहिए और एक घंटे के लिए लाइट बंद करना चाहिए, ताकि चूज़े अंधेरा होने पर भी ना डरें। पहले 2 सप्ताह रोशनी में कमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे चूज़े स्ट्रेस फ्री रहते हैं और दाना पानी अच्छे से खाते हैं। शेड के रौशनी को धीरे – धीरे कम करते जाना चाहिए।

ब्रायलर चूज़ों को पालने की पूरी जानकारी Information on Broiler Chicks Management Hindi

  1. चूज़े आने के 7-8 दिन पहले ही शेड कोअच्छे से साफ़ करें। सबसे पहले मकड़ी के जालों को अच्छे से हटा दें उसके बाद ही नीचे की सफाई करें। उसके बाद फर्श को अच्छे से धोएं और चुनें से पोताई करें।
  2. उसके बाद शेड के बहार और अन्दर 3 प्रतिशत फोर्मलिन या किसी अच्छेकीटाणुनाशक का स्प्रे करें तथा दोनों जाली वाले साइड से परदों को ढक दें।
  3. चुजें आने के 1-2 दिन पहले फर्श पर 3-4 इंच तक बुरादे या लिटर की मोटी परत बिछाएं। लिटर पूरा नया और सुखा होना चाहिए।
  4. चूज़े आने के 24 घंटे पहले टिन की चादर से गोलाकार घर बनायें जिसका डाया-मीटर 3 मीटर होना चाहिए 250 चूजों के लिए।
  5. उस गोलाकार घर के अन्दर बुरादे के ऊपरअख़बार या पेपर की दो परतें बिछाएं।
  6. चूज़े आने के 24 घंटे पहले दोनों ओर के पर्दों को गिराकर शेड को पूरी तरह से बंद कर दें और शेड के अन्दर बल्ब या ब्रूडर को चालू कर दें जिससे की चूजों को आते ही सही तापमान (75oF) मिले।
  7. साथ हीउसी समय पानी के बर्तनों में पानी भर के ब्रूडर के पास रखें। पानी में इलेक्ट्रोलाइट पाउडर एवं पोटेशियम क्लोराइड मिला कर दें।
  8. चूजों को जितना जल्दी हो सके चिक्स बॉक्स से निकालें ज्यादा देर होने पर चूजों कोनिर्जलीकरण भी हो सकता है और चूज़े मर भी सकते हैं। इसलिए चूज़ों को छोड़ने के बाद कुछ देर तक उन्हें पानी पीने के लिए दें।
  9. पानी पीने के बाद मक्के का दलिया पेपर के ऊपर डालें औए दानें के बर्तन में भी मक्के का दलिया 6-8 घंटे तक खाने को दें। उसके बाद ही प्रीस्टार्टर खाने के लिए दें।
  10. सर्दियों के महीने में चूजों को फार्म पर सुबह या दोपहर के समय डिलीवरी कराएँ, रात को कभी ना कराएँ।
  11. छोटे व कमज़ोर चूजों को अच्छे चूज़ो से अलग रखें और उनका दाना पानी भी अलग से उनकों दें। ऐसा इसलिए क्योंकि कमज़ोर चूज़े जब अन्य चूजों के साथ खाना खाते हैं या पानी पीते हैं तो तंदरुस्त चूज़े कमज़ोर को कुचल देते हैं और वो मर जाते हैं। पर अगर आपको कुछ चूजों में किसी भी प्रकार की बीमारी का पता चलता है तो उन्हें उसी समय दुसरे स्वस्थ चूज़ों से तुरंत दूर रखें।
  12. चूज़ों के सही रूप से विकास के लिए उचित दवाइयाँ और टीकाकरण करना बहुर ही आवश्यक है।
  13. गर्मी के मौसम में उत्पन्न तनाव व हीट स्ट्रेस को कम करने के लिए Multivitamin,Vitamin C और Lysine की अधिक आवश्यकता होती है।
  14. शेड के अन्दर बुरादे या लिटर से Ammonia उत्पन्न होने से रोकने के लिए हर हफ्ते एक-दो बार लिटर में 1 किलोग्राम 20 वर्गफूट चुना छिड़क कर बुरादा/लिटर को खोद कर उलट-पुलट करें। इससे लिटर सुखा रहता है और Ammonia उत्पन्न नहीं हो पाता।
  15. पानी को साफ़ रकने के लिए प्रति 1000 लिटर पानी में 6 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर और 1 ग्राम पोटैशियम परमैंगनेट मिलाएं।
  16. टीकाकरण के 3 दिन पहले और 3 दिन बाद किसी भी प्रकार के एंटीबायोटिक का उपयोग ना करें इससे वैक्सीन की शक्ति नस्ट हो जाती है। साथ ही 1 दिन पहले और 1 दिन बाद पानी में किसी भी प्रकार का सेनिटाइज़र या ब्लीचिंग पाउडर ना मिलाएं।टीकाकरण के पहले व् बाद Antistress विटामिन जैसे B-Complex, Lysine Vitamin चीज़ों को दें।
  17. ब्रायलर चूजों में किसी भी प्रकार की स्वस्थ सम्बन्धी असुविधा के लिए तुरंत अपने नजदीकी विशेषज्ञ से सलाह लें।

मुर्गियों में होने वाली बीमारियां –

मुर्गियों मे कई तरह की बीमारियाँ पाई जाती हैं, जैसे-
– रानीखेत (Newcastle Disease)
– पुलोराम (Pullorum Disease)
– मेरेक्स (Marek’s Disease)
– हैजा (Fowl Cholera)
– टाइफॉइड (Fowl Typhoid)
– परजीविकृमि (Parasitic Disease) इत्यादि

स्वस्थ मुर्गियों की पहचान करने का तरीका (murgi palan ke fayde)

  • स्वस्थ मुर्गियों की भीड़ सफेद रंग लिए हुए मटमैले भूरे रंग की बंधी हुई होती है|
  • मुर्गियों में फुर्तीला पन हाथ से पकड़ने पर संघर्ष करना वजन सामान्य और उठाते समय टांगों से प्रचलन करती है|
  • स्वस्थ मुर्गियों की पंख साफ व्यवस्थित और चमड़ी चमकदार पिगमेंट वाली होती है|
  • स्वस्थ मुर्गियों की क्रॉप भरी हुई और यह एक समान मात्रा मैं पानी में दाने को खाती है|

ब्रायलर मुर्गियों का टीकाकरण Vaccination schedule in broiler chickens

हमेशा स्वस्थ मुर्गियों का ही टीकाकरण करें और बीमार मुर्गियों को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक दें !

दिन  वैक्सीन या टिके का नाम देने का तरिका
6-7 दिन के भीतर Lasota Vaccine/Ranikhet disease लासोटा वैक्सीन/रानीखेत बीमारी के लिए आँख या नाक में बूंद डालने के द्वारा
10-12 दिन के भीतर Infectious Brusal Disease/Gumboro इन्फेक्शस ब्रूसल बीमारी या गुम्ब्रो के लिए ठन्डे या बर्फ वाले पानी में, दूध या दूध के पाउडर के साथ
18-21 दिन के भीतर Lasota Vaccine( intermediate) लासोटा वैक्सीन का बूस्टर वैक्सीन ठन्डे या बर्फ वाले पानी में, दूध या दूध के पाउडर के साथ
24-30 दिन के भीतर Gumboro disease गुम्ब्रो बिनरी के लिए बूस्टर वैक्सीन ठन्डे या बर्फ वाले पानी में, दूध या दूध के पाउडर के साथ

ब्रायलर मुर्गी फार्म की बायोसिक्यूरिटी से जुड़ी जानकारी Biosecurity in Broiler farm

  1. ब्रायलर मुर्गी के दाना को साफ़ सूखे स्थान पर रखें क्योंकि यह खुला और पुराना हो जाने पर दाने में फफून लग जाते हैं जो चूज़ों और मुर्गियों के स्वास्थ के लिए ख़राब होता है।
  2. बाहर के व्यक्तियों को फार्म तथा शेड के पास न जाने दें ! इससे फार्म में बाहर से इन्फेक्शन आने का खतरा बढ़ता है।
  3. शेड के बाहर तथा अन्दर महीने में 3-4 बार चुने का छिडकाव करें।
  4. मुर्गी डीलर के गाड़ी को शेड से दूर रोकें। पास ले जाने पर दुसरे फार्म के इन्फेक्शन फार्म में आने का खतरा होता है।
  5. कुत्ते, बिल्ली, चूहे और बाहरी पक्षियों को फार्म के भीतर ना जाने दें।
  6. फार्म के शेड के अन्दर घुसने से पहले अपने रबर के जूतों को पहनें और पहन कर 3 प्रतिशत फोर्मलिन में डूबा कर अन्दर घुसें।
  7. एक शेड से दुसरे शेड में जाने से पहले अपने रबर के जूतों को दोबारा 3 प्रतिशत फोर्मलिन में दुबयें या प्रति शेड के लिए अलग-अलग जूतों का इस्तेमाल करें तथा हांथों को साबुन से अच्छे से धोएं।
  8. एक ही शेड में उसके क्षमता के अनुसार ही चूज़े रखें Overcrowding ना करें। इससे बीमारियाँ बढती हैं और साफ़ सफाई में मुश्किल होती है।
  9. ब्रायलर मुर्गियों के बिक्री के बाद शेड के लिटर को शेड के पास ना फेकें उन्हें कहीं दूर बड़े गढ़े खुदवा कर गडा  दें।
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सर्दियों के मौसम में ब्रायलर मुर्गियों की देखभाल कैसे करें? How to take care of Broiler Chicks in Winter and also Special Precaution Hindi?

ब्रायलर मुर्गी पालन मे सर्दियों के मौसम मे निम्नलिखित चीजों का ध्यान दें –

  1. सर्दियों के महीने में चूज़ों की डिलीवरीसुबह के समय कराएँ, शाम या रात को बिल कुल नहीं क्योंकि शाम के समय ठण्ड बढती चली जाती है।
  2. शेड के परदे चूजों के आने के 24 घंटे पहले से ही ढक कर रखें।
  3. चूजों के आने के कम से कम 2-4 घंटे पहले ब्रूडर ON किया हुआ होना चाहिए।
  4. पानी पहले से ही ब्रूडर के नीचे रखें इससे पानी भी थोडा गर्म हो जायेगा।
  5. अगर ठण्ड ज्यादा हो तो ब्रूडर को कुछ समय के हवा निरोधी भी आप बना सकते हैं किसी भी पोलिथीन से छोटे गोल शेड को ढक कर।

ब्रूडिंग तापमान Brooding Temperature

पहला सप्ताह – 90 डिग्री F – 95 डिग्री F
दुसरे सप्ताह – 5 डिग्री F प्रतिदिन तापमान कम करते जाएँ जब तक चूज़ों को ठंण्ड ना लगने के अनुसार।

गर्मियों के महीने में ब्रायलर मुर्गियों की देखभाल कैसे करें? How to take care of Broiler Chicks in Summer and also Special Precaution Hindi?

ब्रायलर मुर्गी पालन मे गर्मियों मे निम्नलिखित चीजों का ध्यान दें –

  1. चूज़ों के फार्म पर पहुँचते ही इलेक्ट्रोलाइट पाउडर वाला पानी पिलायें। चूज़ों को 5-6 घंटे तक यही पानी पीने को दें।
  2. पानी के बर्तन उचित संख्या में लगायें -100 चूज़ों के लिए 3-4 बर्तन।
  3. 6-8 घंटे तक मात्र मक्के का दलिया दें।
  4. दिन के समय ब्रूडिंग ना करें।
  5. बुरादे में मोटाई 5-2 इंच रखें।
  6. शेड में Ventilation सही होना चाहिए। पर्दों को दिन-रात दोनों समय खुला रखें।
  7. संभव हो सके तो छतपर स्प्रिंकलर लगायें या भूसा के नाड़े छत पर बिछाएं।
  8. गार्मि से उत्पन्न होने वाले स्ट्रेस को कम करने के लिए विटामिन C पानी में दें।
  9. मुर्गियों को 1-1.5 किलो होते ही बिक्री शुरू कर दें।
  10. 750 ग्राम से ऊपर वाले मुर्गियों को सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक दाना न दें या फीडर को ऊपर उठा दें।
  11. Overcrowding ना करें, हो सके तो शेड के क्षमता से 20 प्रतिशत कम मुर्गियां रखें।

बारिश के महीने में ब्रायलर मुर्गियों की देखभाल कैसे करें? How to take care of Broiler Chicks in Rainy Season and also Special Precaution Hindi?

ब्रायलर मुर्गी पालन मे बारिश के महीने मे निम्नलिखित चीजों का ध्यान दें –

  1. चूज़ों के फार्म पर पहुँचते ही इलेक्ट्रोलाइट पाउडर + पोटेशियम परमैंगनेट वाला पानी पिलायें।चूज़ों को 5-6 घंटे तक यही पानी पीने को दें उसके बाद 6-8 घंटे मक्के का दलिया और उसके बाद प्री स्टार्टर दें।
  2. मौसम के अनुसार ब्रूडर का उचित तापमान रखें।
  3. शेड में Ventilation सही होना चाहिए। पर्दों को दिन-रात दोनों समय खुला रखें अगर बारिश ज्यादा हो तो ढक दें।
  4. शेड के अन्दर पानी जमा होने ना दें।
  5. बुरादे की मोटाई 2-3 इंच रखें।
  6. बारिश के महीने में शेड के अन्दर आना-जाना कम करें।

पोल्ट्री फार्म शेड खर्च –

1000 ब्रायलर मुर्गियों के पोल्ट्री फार्म शेड निर्माण का खर्च निम्न हैं-

पूंजी लागत मात्रा / दर राशि (रुपयों में )
भूमि विकास (Land Development) 0.5 एकड़ ₹ 10,000
फेंसिंग 0.5 एकड़ ₹ 10,000
ब्रूडर के साथ पूरे हाउस (घर) का निर्माण
1000 मुर्गियों के लिए @1 वर्ग फ़ीट/मुर्गी
@₹ 250/वर्ग फ़ीट ₹2,50,000
पनडुब्बी पंप के साथ ट्यूबवेल ₹ 90,000
शेड तक की पाइप लाइन ₹ 25,000
ओवरहेड टैंक ₹ 20,000
1000 मुर्गियों के लिए उपकरण ₹ 20/मुर्गी ₹ 20,000
बिजली (Electricity) और इलेक्ट्रिक उपकरण ₹ 25,000
फ़ीड स्टोर (चारा भंडारण कक्ष) 100 वर्ग फ़ीट
@ ₹ 300/वर्ग फ़ीट
₹ 30,000
कुल पूंजी लागत ₹4,80,000

 

कार्यशील पूंजी मात्रा / दर राशि (रुपयों में )
चूजों की कीमत (5150 चूजे) ₹35/चूज़ा ₹36,750
कंसन्ट्रेट फीड
3.2 किलो/मुर्गी
₹28/किलो ₹89,600
दैनिक मजदूरी 45 दिनों के लिए 200/दिन ₹ 9,000
अन्य खर्च जैसे पशुचिकित्सा ₹ 20,750
कुल कार्यशील लागत ₹1,56,100

1000 मुर्गियों के लिए पूंजी लागत और कार्यशील लागत मिलाकर 6,36,100 रुपये का अनुमानित खर्च आएगा.

मुर्गी फार्म सेटअप की लागत : पोल्ट्री फार्म शेड खर्च (poultry farm shed cost)

मुर्गी फार्म बनाने में कितना खर्चा आएगा :- अगर आप एक हजार मुर्गियों के लिए फार्म तैयार करते हैं तो आपको लगभग 1000 से 1500 वर्गफीट स्थान की आवश्यकता पड़ती है. इतने स्थान का पोल्ट्री फार्म शेड खर्चशेड तैयार करवाने में लगभग 750,00 रु खर्च हो जाएंगे. ये राशि क्वालिटी के अनुसार कम-ज्यादा हो सकती है. साथ आपको कुछ पिलर भी बनवाने पड़ते हैं और एक बड़ा स्टोर चाहिए, मुर्गियों का भोजन रखने के लिए तो इन सब में आपका 1.5 से 2 लाख खर्च होंगे. अगर आपके पास पहले से कोई ऐसा स्थान है तो ये खर्चा बच जाएगा. 10000 रूपये तक आपके पानी की व्यवस्था में लग सकते हैं. अगर पहले से पानी की टंकी है तो जरूरत नहीं पड़ेगी.

आप पोल्ट्री फार्मिंग शेड कैसे तैयार करें, ये सोच रहे हैं तो आप अपने नजदीकी किसी मुर्गी फार्म का भ्रमण कर सकते हैं. उस स्थान का निरिक्षण कर आसानी से आप इसे तैयार करवा सकते हैं. अब आप आपको मुर्गियों के लिए दाना पानी देने के लिए कुछ उपकरण चाहिए जिन्हें हम नीचे बताते हैं.

पोल्ट्री फार्म नक्शा (मुर्गी पालन शेड कैसे बनाएं?)

मुर्गी फार्म बनाने का नक्शा :-

  • शेड की चौड़ाई आप कम से कम 30 फीट जरुर रखें और लम्बाई आवश्यकता अनुसार रखें. अगर आपको 1500 वर्गफीट जगह चाहिए तो लम्बाई 50 फीट और चौड़ाई 30 फीट, तब कुल जगह 30X50 = 1500 वर्गफीट.
  • शेड में दो तरफ जाली रहती है और दो तरफ दीवार रखी जाती है. जाली वाली साइड हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में रखे ताकि हवा अंदर से गुजर सके. क्योंकि अधिकतर हवा उत्तर से दक्षिण ही अधिक बहती है. जाली वाली साइड की दीवार आधा फीट से अधिक ना रखे.
  • शेड का फर्श पक्का बनवाए
  • शेड की छत सीमेंट की चद्दर से बनाये ताकि धूप में अधिक गर्मी ना रहे. इन सीमेंट चद्दरों को शेड से 3 फीट बहार निकाले ताकि बारिश में पानी अंदर ना आए.
  • शेड की छत ढलवा होती है जो बीच में से 15 फीट तक ऊँची और साइड में 10 फीट ऊँची रखें. यानी झोंपड़ी का आकार देना है.
  • शेड के अंदर बिजली की व्यवस्था करें, गर्मियों में पंखे और कूलर तथा रात्रि में अच्छी रोशनी के बल्ब और सर्दियों में गर्म हवा देने वाली भट्टियाँ या बिजली से चलने वाले हीटर की व्यवस्था करें.
  • दो शेड पास-पास ना बनाए, एक लम्बा शेड बनाकर बीच में दीवारे खींचकर दो शेड का रूप देना बेहतर रहता है.

ब्रायलर मुर्गीपालन में ध्यान देने योग्य ज़रूरी बातें –

ब्रायलर के चूजे की खरीददारी में ध्यान दें कि जो चूजे आप खरीद रहे हैं उनका वजन 6 सप्ताह में 3 किलो दाना खाने के बाद कम से कम 1.5 किलो हो जाये तथा मृत्यु दर 3 प्रतिशत से अधिक नहीं हो। अच्छे चूजे की खरीद के लिए राँची पशुचिकित्सा महाविद्यालय के कुक्कुट विशेषज्ञ या राज्य के संयुक्त निदेशक, कुक्कुट से सम्पर्क कर लें। उनसे आपको इस बात की जानकारी मिल जायेगी कि किस हैचरी का चूजा खरीदना अच्छा होगा। चूजा के आते ही उसे बक्सा समेत कमरे के अंदर ले जायें, जहाँ ब्रूडर रखा हो। फिर बक्से का ढक्कन खल दें। अब एक-एक करके सारे चूजों को इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज मिला पानी पिलाकर ब्रूडर के नीचे छोड़ते जायें। बक्से में अगर बीमार चूजा हो तो उसे हटा दें। चूजों के जीवन के लिए पहला तथा दूसरा सप्ताह संकटमय होता है। इसलिए इन दिनों में अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। अच्छी देखभाल से मृत्यु संख्या कम की जा सकती है। पहले सप्ताह में ब्रूडर में तापमान 90 एफ होना चाहिए। प्रत्येक सप्ताह 5 एफ कम करते जायें तथा 70 एफ से नीचे ले जाना चाहिए। यदि चूजे ब्रूडर के नीचे बल्ब के नजदीक एक साथ जमा हो जायें तो समझना चाहिए कि ब्रूडर में तापमान कम है। तापमान बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बल्ब का इंतजाम करें या जो बल्ब ब्रूडर में लगा है, उसको थोड़ा नीचे करके देखें। यदि चूजे बल्ब से काफी दूर किनारे में जाकर जमा हों तो समझना चाहिए कि ब्रूडर में तापमान ज्यादा है। ऐसी स्थिति में तापमान कम करें। इसके लिए बल्ब को ऊपर खींचे या बल्ब की संख्या या पावर को कम करें। उपयुक्त गर्मी मिलने पर चूजे ब्रूडर के चारों तरफ फ़ैल जायेंगे। वास्तव में चूजों के चाल-चलन पर नजर रखें, समझकर तापमान नियंत्रित करें।
– पहले दिन जो पानी पीने के लिए चूजों को दें, उसमें इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज मिलायें। इसके अलावा 5 मिली. विटामिन ए., डी. 3 एवं बी. 12 तथा 20 मिली. बी. काम्प्लेक्स प्रति 100 चूजों के हिसाब से दें।
– इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज दूसरे दिन से बंद कर दें। बाकी दवा सात दिनों तक दें। वैसे बी-कम्प्लेक्स या कैल्शियम युक्त दवा 10 मिली. प्रति 100 मुर्गियों के हिसाब से हमेशा डे सकते है। जब चूजे पानी पी लें तो उसके 5-6 घंटे बाद अख़बार पर मकई का दर्रा छीट दें, चूजे इसे खाना शुरू कर देंगे। इस दर्रे को 12 घंटे तक खाने के लिए देना चाहिए।
– तीसरे दिन से फीडर में प्री-स्टार्टर दाना दें। दाना फीडर में देने के साथ-साथ अखबार पर भी छीटें। प्री-स्टार्टर दाना 7 दिनों तक दें।
– चौथे या पांचवें दिन से दाना केवल फीडर में ही दें। अखबार पर न छीटें।
– आठवें रोज से 28 दिन तक ब्रायलर को स्टार्टर दाना दें। 29 से 42 दिन या बेचने तक फिनिशर दाना खिलायें।
– दूसरे दिन से पाँच दिनों के लिए कोई एन्टी बायोटिक्स दवा पशुचिकित्सक से पूछकर आधा ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर दें, ताकि चूजों को बीमारियों से बचाया जा सकें।
– शुरू के दिनों में बिछाली (लीटर) को रोजाना साफ करें। बिछाली रख दें। पानी बर्तन रखने की जगह हमेशा बदलते रहें।
– पांचवें या छठे दिन चूजे को रानीखेत का टीका एफ-आँख तथा नाक में एक-एक बूंद दें।
– 14वें या 15वें दिन गम्बोरी का टीका आई.वी.डी. आँख तथा नाक में एक-एक बूंद दें।
– मरे हुए चूजे को कमरे से तुरंत बाहर निकाल दें। नजदीक के अस्पताल या पशुचिकित्सा महाविद्यालय या अपने पशुचिकित्सक से पोस्टमार्टम करा लें। पोस्टमार्टम कराने से यह मालूम हो जायेगा कि चूजे की मौत किस बीमारी या कारण से हुई है।
– मुर्गी घर के दरवाजे पर एक बर्तन या नलाद में फिनाइल का पानी रखें। मुर्गी घर में जाते या आते समय पैर धो लें। यह पानी रोज बदल दें।

READ MORE :  ब्रॉयलर मुर्गियों में एसाईटिस (Ascites) की समस्या और उसका समाधान

ब्रायलर मुर्गी पालन से संबंधित प्रश्न-उत्तर:

  1. मुर्गी पालन के लिए लोन कैसे मिलेगा?

मुर्गी पालन के कुछ भारतीय बैंक लोन उपलब्ध कराती हैं इसके लिए आप नजदीकी बैंक शाखा में जाकर पूछताछ करे.

  1. ब्रायलर मुर्गी पालन में शेड निर्माण का खर्च कितना आता हैं?

1000 ब्रायलर पोल्ट्री फार्म के लिए शेड निर्माण का खर्च लगभग ₹4,80,000 आता हैं.

मुर्गीपालन में ध्यान देने योग्य बातें

  1. ब्रायलर के चूजे की खरीददारी में ध्यान दें कि जो चूजे आप खरीद रहे हैं उनका वजन 6 सप्ताह में 3 किलो दाना खाने के बाद कम से कम 1.5 किलो हो जाये तथा मृत्यु दर 3 प्रतिशत से अधिक नहीं हो।
  2. अच्छे चूजे की खरीद के लिए राँची पशुचिकित्सा महाविद्यालय के कुक्कुट विशेषज्ञ या राज्य के संयुक्त निदेशक, कुक्कुट से सम्पर्क कर लें। उनसे आपको इस बात की जानकारी मिल जायेगी कि किस हैचरी का चूजा खरीदना अच्छा होगा।
  3. चूजा के आते ही उसे बक्सा समेत कमरे के अंदर ले जायें, जहाँ ब्रूडर रखा हो। फिर बक्से का ढक्कन खल दें। अब एक-एक करके सारे चूजों को इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज मिला पानी पिलाकर ब्रूडर के नीचे छोड़ते जायें। बक्से में अगर बीमार चूजा हो तो उसे हटा दें।
  4. चूजों के जीवन के लिए पहला तथा दूसरा सप्ताह संकटमय होता है। इसलिए इन दिनों में अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। अच्छी देखभाल से मृत्यु संख्या कम की जा सकती है।
  5. पहले सप्ताह में ब्रूडर में तापमान 90 एफ होना चाहिए। प्रत्येक सप्ताह 5 एफ कम करते जायें तथा 70 एफ से नीचे ले जाना चाहिए। यदि चूजे ब्रूडर के नीचे बल्ब के नजदीक एक साथ जमा हो जायें तो समझना चाहिए कि ब्रूडर में तापमान कम है। तापमान बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बल्ब का इंतजाम करें या जो बल्ब ब्रूडर में लगा है, उसको थोड़ा नीचे करके देखें। यदि चूजे बल्ब से काफी दूर किनारे में जाकर जमा हों तो समझना चाहिए कि ब्रूडर में तापमान ज्यादा है। ऐसी स्थिति में तापमान कम करें। इसके लिए बल्ब को ऊपर खींचे या बल्ब की संख्या या पावर को कम करें। उपयुक्त गर्मी मिलने पर चूजे ब्रूडर के चारों तरफ फ़ैल जायेंगे। वास्तव में चूजों के चाल-चलन पर नजर रखें, समझकर तापमान नियंत्रित करें।
  6. पहले दिन जो पानी पीने के लिए चूजों को दें, उसमें इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज मिलायें। इसके अलावा 5 मिली. विटामिन ए., डी. 3 एवं बी. 12 तथा 20 मिली. बी. काम्प्लेक्स प्रति 100 चूजों के हिसाब से दें। इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज दूसरे दिन से बंद कर दें। बाकी दवा सात दिनों तक दें। वैसे बी-कम्प्लेक्स या कैल्शियम युक्त दवा 10 मिली. प्रति 100 मुर्गियों के हिसाब से हमेशा डे सकते है।
  7. जब चूजे पानी पी लें तो उसके 5-6 घंटे बाद अख़बार पर मकई का दर्रा छीट दें, चूजे इसे खाना शुरू कर देंगे। इस दर्रे को 12 घंटे तक खाने के लिए देना चाहिए।
  8. तीसरे दिन से फीडर में प्री-स्टार्टर दाना दें। दाना फीडर में देने के साथ-साथ अखबार पर भी छीटें। प्री-स्टार्टर दाना 7 दिनों तक दें। चौथे या पांचवें दिन से दाना केवल फीडर में ही दें। अखबार पर न छीटें।
  9. आठवें रोज से 28 दिन तक ब्रायलर को स्टार्टर दाना दें। 29 से 42 दिन या बेचने तक फिनिशर दाना खिलायें।
  10. दूसरे दिन से पाँच दिनों के लिए कोई एन्टी बायोटिक्स दवा पशुचिकित्सक से पूछकर आधा ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर दें, ताकि चूजों को बीमारियों से बचाया जा सकें।
  11. शुरू के दिनों में बिछाली (लीटर) को रोजाना साफ करें। बिछाली रख दें। पानी बर्तन रखने की जगह हमेशा बदलते रहें।
  12. पांचवें या छठे दिन चूजे को रानीखेत का टीका एफ-आँख तथा नाक में एक-एक बूंद दें।
  13. 14वें या 15वें दिन गम्बोरी का टीका आई.वी.डी. आँख तथा नाक में एक-एक बूंद दें।
  14. मरे हुए चूजे को कमरे से तुरंत बाहर निकाल दें। नजदीक के अस्पताल या पशुचिकित्सा महाविद्यालय या अपने पशुचिकित्सक से पोस्टमार्टम करा लें। पोस्टमार्टम कराने से यह मालूम हो जायेगा कि चूजे की मौत किस बीमारी या कारण से हुई है।
  15. मुर्गी घर के दरवाजे पर एक बर्तन या नलाद में फिनाइल का पानी रखें। मुर्गी घर में जाते या आते समय पैर धो लें। यह पानी रोज बदल दें।

Compiled  & Shared by- This paper is a compilation of groupwork provided by the

Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)

 Image-Courtesy-Google

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