कुक्कुट पालन एक लाभदायक व्यवसाय

0
3121

डॉ संजय कुमार मिश्र
पशु चिकित्सा अधिकारी चोमूहां मथुरा

नवीन वैज्ञानिक तकनीकी जानकारी द्वारा मुर्गी पालन एक उद्योग हो गया है। जिससे भोजन के आवश्यक अंग प्रोटीन का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी होता है। गत 30 से35 वर्षों में बड़े शहरों में अंडा एवं कुक्कुट की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है। इसी कारणवश कुक्कुट पालन का व्यवसाय तेजी से बढ़ता जा रहा है। कुकुट पालन का कार्य 25 से 50 पक्षी रखकर बैकयार्ड कुकुट पालन के रूप में या 500 से 10,000 या अधिक संख्या वाले पक्षियों के फार्म के रूप में किया जा सकता है। कुकुट पालन मैं 60% से अधिक व्यय आहार पर होता है और इस समय आहार की बढ़ती हुई दरों के कारण इस व्यवसाय में कठिनाई भी हो रही है। परंतु अधिक उत्पादन क्षमता वाली प्रजातियों को पालकर अधिक संख्या में अंडे प्राप्त करके इसे आर्थिक रूप से लाभप्रद बनाया जा सकता है। मुर्गियों के आहार में भी अन्य पशुओं की भांति प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट,खनिज लवण, विटामिन इत्यादि सभी पदार्थ आवश्यक रूप से उपलब्ध रहने चाहिए । मुर्गियों के बाड़े में हर समय आहार उपलब्ध रहना चाहिए जिस से वे आवश्यकता अनुसार खा सकें। इनको प्रतिदिन 12 घंटे प्राकृतिक या कृत्रिम प्रकाश उपलब्ध होना चाहिए।

कुकुट पालन के लिए जानने योग्य बाते:

१.चूजों की देखरेख:
कुकुट पालन कार्यक्रम नियोजित ढंग से प्रारंभ करें। इसके बारे में तकनीकी जानकारी होना आवश्यक है। चूजे विश्वसनीय हैचरी से खरीदें। चूजों का यातायात, गर्मी के मौसम में प्रातः एवं सायं तथा सर्दियों में दोपहर में करें। चूजों को हवादार डब्बों में ले जाएं। इन्हें रानीखेत बीमारी का टीका अवश्य लगवा ले। चूजों को प्राप्त करने के पूर्व उनके आवास,आहार, पानी इत्यादि का प्रबंध कर ले तथा ब्रूडर का परीक्षण कर ले। 8 सप्ताह की उम्र में रानीखेत तथा फाउलपॉक्स बीमारी का टीका लगवा लें। 2 माह की उम्र तक चूजों के आहार में कॉक्सीडिओसिस बीमारी की रोकथाम हेतु औषधि मिलाते रहे । 4 से 5 माह की उम्र में पक्षियों को डीप लिटर गृह में स्थानांतरित कर दें।

READ MORE :  पशुओं में कीटनाशकों की विषाक्तता का दुष्प्रभाव एवं उनका प्राथमिक उपचार

२.अंडा देने वाली मुर्गीयां:

पक्षियों के साथ प्यार एवं दयालुता का व्यवहार करें। पानी के बर्तनों को प्रतिदिन साफ करें और उनमें स्वच्छ तथा ताजा पानी भरें। पक्षियों को संतुलित आहार पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहें। दाने के बर्तनों को अधिक न भरें जिससे बाहर गिर कर दाना नष्ट ना हो पाये। दाने के बर्तन पक्षियों के पहुंचने लायक ऊंचाई पर रखे। समय-समय पर दाने के बर्तनों की सफाई भी करते रहें। लिटर समय-समय पर पलटते रहे जिससे यह सूखा और भुरभुरा बना रहे। मुर्गी घर के द्वार पर सूखा चूना बिछा दें जिससे जो व्यक्ति अंदर जाए वह इसमें , पैर रखकर ही प्रवेश करें। अंडा देने के लिए प्रयुक्त डिब्बों में भूसी या सूखी घास रखें जिससे अंडे गंदे ना हो। पानी के बर्तन के पास यदि लिटर गीला हो जाए तो उसे बदलकर सूखा लिटर डाल दे। इस बात का ध्यान रखें की पक्षी निर्धारित मात्रा में आहार खाते हैं या नहीं। यदि आहार की खपत कम या अधिक हो तो इसका कारण ज्ञात कर उसे दूर करें। पक्षियों का निरीक्षण समय-समय पर करते रहें। यदि उनमें कोई कमजोर सुस्त या बीमार दिखाई दे तो उसे झुंड से अलग कर दें। मृत पक्षियों को जमीन में दफना दिया करें। आवश्यकतानुसार शव परीक्षण अवश्य करें। मुर्गी घर के चारों ओर वातावरण शांत रखें। अंडा न देने वाली मुर्गीयों का शीघ्र अति शीघ्र पता लगाकर झुंड से बाहर निकाल दें।

३. अंडे:
दिन में चार या पांच बार अंडे एकत्र करें। गंदे अंडों को साफ करें। यदि अंडा उत्पादन में कमी हो तो कारण ज्ञात कर उसे दूर करें। अंडों का भंडारण ठंडे स्थान पर करें। अंडे अधिक समय तक अपने पास ना रोके। इन्हें शीघ्र बाजार में भेज दें।

READ MORE :  संतुलित पशु आहार कैसा होना चाहिए -

अंडों के संबंध में कुछ उपयोगी तथ्य:
अंडे के बाहरी छिलके के रंग का, उसकी पौष्टिकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। भारी नस्ल की मुर्गी जैसे आसटरलोप, आईलैंड रेड, का अंडा रंगीन और हल्की नस्ल जैसे व्हाइट लेगहारन, का अंडा सफेद होता है । अंडे की जर्दी का रंग पंछी आहार पर निर्भर है। जब मुर्गी को हरा चारा जैसे बरसीम गोभी की पत्तियां खिलाई जाती है तो जर्दी का रंग गहरा पीला हो जाता है। अन्यथा यह हल्का पीला या सफ़ेद रंग का होता है। इससे इसके पौष्टिक गुणों में कोई अंतर नहीं आता। मुर्गी से अंडा उत्पन्न होना एक प्राकृतिक क्रिया है तथा यह क्रिया सदैव चलती रहती है चाहे मुर्गियों के साथ मुर्गे रखे जाएं या नहीं। यदि झुंड मैं मुर्गे रहेंगे तो उत्पादित अंडे उर्वरक होंगे और बिना मुर्गी के अंडे उर्वरक नहीं होते। इन अंडो में जीव नहीं होता तथा उर्वरक अंडों की तुलना में इन्हें अधिक समय तक रखा जा सकता है। दोनों प्रकार के अंडों की पौष्टिकता में कोई अंतर नहीं होता। गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों के लिए अंडों का सेवन अत्यंत लाभदायक है। अंडा बहुत ही सुपाच्य पदार्थ है और आंतों द्वारा पूरी तरह अवशोषित कर लिया जाता है। कुछ लोगों को भ्रम है देसी अंडे फार्म की मुर्गियों की तुलना में अधिक पौष्टिक होते हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि फार्म के अंडे देसी मुर्गियों के अंडे की तुलना में बड़े एवं अधिक पौष्टिक पदार्थ वाले होते हैं। कभी-कभी उबले हुए अंडे की जर्दी के चारों ओर हरा रंग नजर आता है। यह हरा रंग अंडे में उपलब्ध लौह तत्व तथा पकाने से उत्पन्न हाइड्रोजन सल्फाइड गैस के संयोग से हो जाता है। इस प्रकार के अंडे खाने के लिए पूर्णत: उपयुक्त होते हैं। ताजे अंडे को उबालने से उसका छिलका उतारने में कठिनाई होती है।

READ MORE :  अधिक उत्पादन वाली अच्छी नस्ल की दुधारू गाय का चुनाव

अंडा देने वाली मुर्गीओं का आहार:
पीली मक्का 30 भाग, राइस पॉलिश /धान की चुनी 35 भाग, गेहूं का चोकर 13 भाग, मूंगफली की खली 12 भाग, मांस एवं हड्डी का चूरा 5 भाग, सीप का चूरा 4.5 भाग, एवं नमक 0. 5 भाग मिलाकर 100% हो जाता है। प्रत्येक मुर्गी को लगभग 100 से 120 ग्राम आहार, प्रतिदिन दिया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में उपरोक्त आहार को सुविधा पूर्वक बनाया जा सकता है अतः इसे उन क्षेत्रों के लिए अनुमन्य किया जा सकता है।

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON