राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का आगामी गणेशोत्सव पर गोमय-गोबर से निर्मित श्री गणेश जी की मूर्ति की स्थापना एवं पूजन का आह्वान।

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राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का आगामी गणेशोत्सव पर गोमय-गोबर से निर्मित श्री गणेश जी की मूर्ति की स्थापना एवं पूजन का आह्वान।

प्रेस विज्ञप्ति

भारतीय गाय के गोमय से बनी हुई ईको फ्रेंडली, पर्यावरण-रक्षक श्री गणेश जी की प्रतिमा की घर घर में स्थापना एवं पूजन कर के गणेशोत्सव मनाएं। – डॉ वल्लभभाई कथीरिया

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने जून माह के ‘मन की बात’ कार्यक्रम श्रृंखला में आने वाले गणेशोत्सव के सुअवसर पर ईको फ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना एवं पूजन कर के पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करने की जनता जनार्दन से नम्र अनुरोध किया था। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग गौरक्षा, गौपालन एवं गोसंवर्धन के साथ गौ आधारित कृषि, गौ आधारित आरोग्य और पर्यावरण संरक्षण जैसे गौ सेवा से संबंधित कार्यक्रम चला रहा है। माननीय प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर राष्ट्रीय कामधेनु आयोग इसे एक काऊ चैलेंज (Cow Challenge) के रूप में, संपूर्ण भारत में प्रचार एवं प्रसार करेगा। इस एक प्रयास के द्वारा गौशाला स्वावलंबन की ओर अग्रसर होगी। युवा, महिला और उद्यमियों को ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया ‘ अभियान से जोड़ने के लिए एक सार्थक प्रयास होगा। जिससे हमारा देश ‘आत्मनिर्भर भारत‘ बनने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ेगा।
आयोग के प्रथम अध्यक्ष, भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ वल्लभभाई कथीरिया ने समस्त गौशाला मैनेजमेंट, गौ उत्पाद व्यवसायियों, युवा एवं महिला केंद्रों, महिला स्वयं सहायता केंद्रों, स्वयं सहायता समूहों एवं सामाजिक संगठनोंसे इस वर्ष भारतीय प्रजाति की गायों के गोमय-गोबर से श्री गणेश जी की मूर्ति के निर्माण का आह्वान किया है। साथ में आम जनता से भी इस वर्ष कोरोना काल में देशी गाय के गोबर से बनी श्री गणेश जी की प्रतिमा की घर में स्थापना एवं पूजन करने का आह्वान किया है। इससे घर में पवित्रता बनी रहेगी। गणेशोत्सव की समय अवधि के बाद या तो विसर्जित करके अपने बाग़-बगीचों में पेड़-पौधों के लिए जैविक खाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं। इसे करीब के किसी भी नदी, तालाब अथवा समुद्र में विसर्जित कर सकते हैं जिसके फलस्वरूप पानी भी अशुद्ध नहीं होगा। पानी में रहने वाले जीवों का जीवन भी सुरक्षित रहेगा एवं ये बहुत से जीवों के लिए भोजन के रूप में उपयोग हो जाएगा। हम सबको पता है कि पूर्व में पीओपी (POP) से मूर्तियां बनती थीं उनसे जल प्रदूषण होता था।
डॉ कथीरिया ने बताया कि गोमय किसी भी तरह के विकिरण को सोखने की क्षमता रखता है। अतः घर में गोमय निर्मित श्री गणेश जी की प्रतिमा हमें विकिरण की कुप्रभावों से बचाने में भी सहायक होगी। प्रदूषण से बचाव के साथ गौसेवा भी होगी। गौ उत्पादों के निर्माण में लगे व्यावसायियों को आर्थिक मजबूती मिलेगी और पर्यावरण रक्षा भी होगी। युवा-महिलाओं को रोजगार मिलेगा, गौशालाएं स्वावलम्बन की दिशा में आगे बढ़ेंगी। कौशल सृजन से रोजगार भी मिलेगा। गाँव से शहर की और पलायन रुकेगा। गाँव की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और देश आत्मनिर्भर बनेगा।
डॉ वल्लभभाई कथीरिया जी ने राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की इस पहल से इस कोरोना काल में जन समुदाय से जुड़ने का आह्वान किया। गोमय-गोबर से निर्मित श्री गणेश जी की मूर्ति की स्थापना एवं पूजन के माध्यम से जनरक्षा-राष्ट्ररक्षा-पर्यावरण रक्षा के राष्ट्रीय अभियान में तन-मन-धन से जुड़ने का विनम्र अनुरोध किया।

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वन्दे गौ मातरम्।
Rashtriya Kamdhenu Aayog

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