पॉलीथिन का प्रयोग पर्यावरण के साथ-साथ गोवंश के लिए भी हानिकारक

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पॉलीथिन का प्रयोग पर्यावरण के साथ-साथ गोवंश के लिए भी हानिकारक

१. डॉ उदित जैन सहायक आचार्य वीपीएच दुवासु मथुरा
२.डॉ संजय कुमार मिश्र
पशु चिकित्सा अधिकारी चौमुंहा मथुरा

आज के समय में पॉलिथीन की थैलियों का प्रयोग बहुतायत में हो रहा है। फल, सब्जी, दूध, दही, घी, मसाले, तेल यहां तक कि पकी हुई खाद्य सामग्री मे भी पॉलिथीन की थैलियों का उपयोग हो रहा है। पॉलिथीन की थैलियां प्लास्टिक की बनती हैं जिससे पर्यावरण में प्रदूषण की जटिल समस्या बन गई है। पॉलिथीन में फिनाइल, फॉर्मएल्डिहाइड, यूरिया आदि का प्रयोग होता है। इन पॉलिथीन को जलाने से विषाक्त गैस जैसे क्लोरोफ्लोरो कार्बन बाहर निकलती है जो ओजोन परत को नष्ट करती है जिससे पराबैंगनी किरणें धरती पर पहुंचती हैं जो मानव जीवन के साथ-साथ पशुओं के लिए अत्यंत हानिकारक है तथा इनके नष्ट करने पर भी विषाक्त गैस पैदा होती है। अतः इनका निस्तारण असंभव हो जाता है क्योंकि-
१. पॉलिथीन जमीन में गाड़ने पर इसमें उपस्थित रसायन जमीन की उर्वरता को समाप्त कर भूमि को बंजर बनाते हैं। यह पॉलिथीन सैकड़ों वर्षो तक भी भूमि के अंदर समाप्त नहीं होती है।
२. पॉलिथीन को पानी में प्रवाहित किया जाता है तो यह पानी को प्रदूषित करता है तथा मनुष्य के लिए इसके रसायन घातक होते हैं।
३. अधिकतर पॉलिथीन बैग में खाने की बनी हुई खाद्य सामग्री तथा छिलके इत्यादि फेंक दिए जाते हैं जिसे निराश्रित गाय खा लेती हैं जिससे पॉलिथीन आमाशय व आंतों मैं फंस जाने से गोवंश की मृत्यु हो जाती है।
४. पॉलीथिन नालों व सीवर लाइन में पहुंचने पर चोक की समस्या उत्पन्न करती है।

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पॉलिथीन से पर्यावरण प्रदूषण व गौवंश को बचाने के कुछ मुख्य उपाय-
१. पॉलिथीन बैग का प्रयोग बंद करें।
२. पॉलिथीन बैग को नियत स्थान पर फेंके ताकि उसका पुन:चक्रण किया जा सके।
३. पॉलिथीन बैग में खाद्य सामग्री जैसे बचा हुआ खाना सब्जी के छिलके इत्यादि डालकर न फेंके।
४. बाजार जाते समय अपने साथ कपड़े का थैला अवश्य लेकर जाएं।
५. कुल्लड़, दोना, पत्तल के प्रयोग को बढ़ावा दें।
विशेष- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्लास्टिक व अन्य जीव अनाशित कूड़ा कचरा अधिनियम 2000, अधिसूचित किया गया है। जिसमें 20 माइक्रोन से कम मोटाई की प्लास्टिक का उपयोग खाद्य पदार्थों हेतु प्रतिबंधित किया गया है। इस अधिनियम की धारा 8 (१) में नियमों का उल्लंघन करने वालों को 6 माह का कारावास और रुपए 10000 तक के जुर्माने का प्रावधान है ।

पॉलिथीन से पर्यावरण प्रदूषण व गौवंश

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