खुनी दस्त (Coccidiosis)

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खुनी दस्त (Coccidiosis)

यह प्रोटोजोआ परजीवी जनित रोग (protozoan disease) है जो लगभग सभी पशुओं व मर्गियो मे भी हो सकता है और यह रोग परजीवी की oocysts के कारण होता है !
सभी प्रजातियो के छोटे बच्चो (young animals)मे यह रोग अधिक घातक होता है !

रोगकारक (etiology) :
यह प्रोटोजोआ जनित रोग है जो मुख्यतः Eimeria spp. व Isospora spp. प्रोटोजोआ से होती है और पशु विशेष मे ये प्रोटोजोआ मुख्य रूप से निम्न प्रकार है –

गौवंश – Eimeria zuernii , E.bovis .
भेड़ व बकरी – Eimeria faurei , E.arloingi .
घोड़ा – Eimeria leuckariti
सुअर – Isospora suis
मुर्गी वंश – Eimeria tenella , E. necatrix .

लक्षण (symptoms) :
पशुओ मे इस रोग के लक्षण निम्न प्रकार है –
1. पानी जैसे पतले , बदबूदार दस्त होते है जो श्लेष्म व रक्तयुक्त हो सकते है , इन दस्तों की शुरूआत अचानक होती है !
2. रक्त ताजा से लेकर गहरा थक्केनुमा हो सकता है !
3. पूँछ पर रक्तयुक्त दस्त लगे हो सकते है !
4. मलत्याग के समय पशु जोर लगाता है जो विशिष्ट लक्षण होता है और मलत्याग के दौरान मलाशय बाहर भी आ सकता है !
5. रोगी प्राणी सुस्त व तनावग्रस्त हो जाता है !
6. शरीर मे तरल की कमी व कमजोरी आ जाती है !
7. कई बार बछड़ों मे तंत्रिकीय लक्षण , जैसे – चक्कर आना , अतिसंवेदनशीलता , माँसपेशीय कम्पन , भेंगापन , सिर को नीचे या ऊपर की तरफ मोड़ लेना ,मृत्यु आदि उत्पन्न होते है जो acute coccidiosis के कारण होते है !
8. सुअर के बच्चों मे 5 से 15 दिन की उम्र मे यह रोग अधिक होता है तथा दस्त पानी जैसे , पीले व झागयुक्त हो सकते है ! बाकी लक्षण उपरोक्तानुसार हो सकते है !

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निदान (diagnosis) :
रोग की पहचान इसके विशिष्ट लक्षणों से की जा सकती है एवं इसके अलावा प्रयोगशाला जांच !

विभेदीय पहचान (differential diagnosis ):
√ Dysentery , anaemia .
√ Enterotoxaemia .
√ Calf scour
√ Rotavirus (in pigs & horses)
√ enteric collibacillosis (pigs)
√ Salmonellosis (horses) etc.

उपचार ( treatment)
निम्न औषधियां काम मे ली जा सकती है जैसे – Sulphadimidine या Sulfamethazine – 110-140 mg./kg .b.wt., Amprolium – 10 mg./kg.b.wt.(drug of choice) ,Monensin – 2 mg./kg.b.wt., Nitrofurazone – 15 mg./kg.b.wt., आदि काम मे ली जा सकती है !
पशु को मुँह द्वारा भी बोलस दे सकते हो,जैसे – NT-Zone बड़ें पशु को एक दिन मे दो बार ,छोटे बच्चो (बकरी बछड़ा ,भेड़ ) आधा bolus दिन मे दो बार !
रोगी पशु का सहारात्मक उपचार भी करना चाहिए !

* नोट : इस रोग मे Daxamethasone का उपयोग नही करना चाहिए ,क्योकि ये subclinical disease को peracute/acute disease मे परिवर्तित कर देती है !

रोकथाम (control) :
* बछडों के बाड़ें मे नियमित सफाई करे , ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करना चाहिए !
* पशुओ को स्वस्थ जल पिलावें आदि !

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