बाजरा नेपियर शंकर घास को वर्ष भर हरा चारा के रूप में पशुओं को खिला कर पशुपालक दुधारू पशुओं से अधिक दूध उत्पादन ले सकते हैं
बाजरा नेपियर संकर घास: कम लागत में पशुओं को वर्षभर के हरा चारा
डॉ अजीत सिंह, पशुधन विशेषज्ञ, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
बाजरा नेपियर संकर घास वर्ष में कई कटाईयां देने वाली बहुवर्षीय चारा फसल है| बाजरा नेपियर संकर घास की जड़ों को एक बार रोपण करके उचित प्रबन्धन के द्वारा 4 से 5 वर्षों तक हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है| इस घास से बाजरे जैसा पौष्टिक और रसीला चारा प्राप्त होता है, साथ ही साथ यह सुपाचक तथा गुणवत्तापूर्ण होता है| बाजरा को दानों और चारा उद्देश्य के लिए उगाया जाता है, परंतु नेपियर और हाथी घास की खेती चारा फसल के तौर पर की जाती है। नेपियर-बाजरा, बाजरा और हाथी घास के बीच संकरण है। यह हाइब्रिड पौधों की पैदावार में वृद्धि करता है| इस संकरण प्रजाति से अच्छे उत्पादन के साथ साथ अच्छी गुणवत्ता वाली खाद भी मिलती है। रोपाई के बाद, यह लगातार 2-3 वर्ष उपज दे सकता है|
अपने इन्हीं गुणों के कारण यह बाजरा नेपियर संकर घास किसानों के बीच काफी लोकप्रिय होती जा रही है| कम तापमान वाले क्षेत्रों को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है| इसके चारे में शुष्क भार के आधार पर 8 से 9 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन पाई जाती है| इस लेख में बाजरा नेपियर संकर घास की खेती की जानकारी का उल्लेख विस्तार से किया गया है|
बाजरा नेपियर हेतु भूमि और उसकी तैयारी
इस घास के लिये अच्छी उर्वरा वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, जिसमें जल निकास का उचित प्रबन्ध हो| यह मिट्टी से काफी मात्रा में पोषकतत्व अवशोषित करती है| इस घास की रोपण के लिए एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और उसके बाद 2 से 3 जुताईयां हैरो या कल्टीवेटर से करके भूमि तैयार कर लेनी चाहिए|
बुवाई का समय
सिंचाई की सुविधा होने पर जड़ों या तानो को वर्ष में किसी भी समय लगा सकते है| किन्तु वर्षा का मौसम, संकर नेपियर की जड़ों या तनो के लगाने के लिए सबसे उपयुक्त होता है क्योकि इस मौसम में बढवार बहुत तेजी से होती है और पानी उपलब्धता के कारण सिंचाई की भी कम आवश्यकता पड़ती है
बुबाई की विधि ओर दूरी
तने की कटिंग को कम से कम 3 महीने पुराना होना चाहिए| दो गांठ की कटिंग उचित रहती है उसे 2/3 जमीं में गाढ़ देना चाहिए| जमींन के भीतर वाली गाँठ से जड़ और तने निकलते है और जमींन के ऊपर वाली जड़ से तने निकलते है|
खाद और उर्वरक
फसल बुवाई से पहले मिट्टी का परीक्षण करा लेना लाभदायक रहता है| आमतौर पर 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर सडी गोबर की खाद का प्रयोग रोपण से एक माह पूर्व करना चाहिए| रोपाई के समय 60 किलो ग्राम नत्रजन, 50 किलो ग्राम फास्फोरस और 40 किलो ग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें तथा 30 किलो ग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर प्रत्येक कटाई के तुरन्त बाद छिडकाव करना लाभदायक रहता है|
रोपाई का समय
बाजरा नेपियर की सिंचित दशाओं में फरवरी माह में रोपाई और असिंचित दशाओं में जुलाई से अगस्त महीने में रोपाई लाभदायक होती है| इसकी रोपाई जड़दार कल्लों द्वारा की जाती है| रोपण हेतु जड़ युक्त कल्ले 100 X 100 सेंटीमीटर या 50 X 50 सेंटीमीटर परिस्थिति अनुसार की दूरी पर प्रयुक्त किये जाते हैं| इस तरह एक हेक्टेयर के लिए 20,000 से 30,000 टुकड़ों की आवश्यकता पड़ती है|
सिंचाई प्रबंधन
बाजरा नेपियर की नम मिट्टी में रोपाई करें और रोपाई के बाद तुरंत सिंचाई करें, मार्च से अप्रैल में 15 से 18 दिन तथा गर्मी में 10 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें| प्रत्येक कटाई बाद फसल में सिंचाई अवश्य करनी चाहिए|
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण, उत्पादन को बढ़ाने में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है| नदीनों की रोकथाम के लिए, फलियों वाली फसलों से अंतर फसली लगाएं। अंतरफसली से मिट्टी में, पोषक तत्व बने रहते हैं, जिससे चारे में भी पोषक तत्व आते हैं जो कि पशुओं के लिए अच्छे होते हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिए फावड़े या खुरपी से भी 3-4 सप्ताह बाद निराई गुडाई करना आवश्यक होता है अन्यथा फसल की बढवार कम हो जाती है| निराई के लिए हैण्ड हो का प्रयोग क्ष्रम की काफी बचत करता है| इक बार फसल के बड़े होने पर खरपतवार आसानी से नहीं आते है| रसायन द्वारा भी खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है| चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारो के नियंत्रण के लिए 2-4 डी की 1 किलो सक्रिय तत्व, प्रति हे. 500-600 लीटर पानी में मिला कर छिडकना चाहिए|
निराई-गुड़ाई
बाजरा नेपियर की रोपाई के बाद खरपतवार रोकथाम हेतु एक से दो निराई-गुड़ाई करनी चाहिए या एट्राजीन 3 से 4 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर रोपाई से पूर्व प्रयोग किया जा सकता है| वर्षा ऋतु में प्रथम रोपाई के समय लोबिया की अन्तर फसल से भी खरपतवार रोकथाम किया जा सकता है, साथ ही साथ गुणवत्तायुक्त अतिरिक्त हरा चारा भी प्राप्त किया जा सकता है|
चारा की कटाई
बाजरा नेपियर संकर की पहली कटाई रोपाई के 60 दिन बाद तत्पश्चात प्रत्येक कटाई 30 से 35 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए, अधिक उपज प्राप्त करने के लिए कल्लों को जमीन से 10 से 15 सेंटीमीटर ऊपर से काटना चाहिए| वर्ष पर्यन्त इस घास से 6 से 8 कटाई आसानी से ली जा सकती है|
चारा पैदावार
बाजरा नैपियर संकर से 6 से 8 कटाइयों में 700 से 1700 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है|
चारा पुनरूद्धार
बाजरा नेपियर की कई वर्षों तक लगातार कटाई करते रहने से घास में मृत कल्लों की संख्या बढ़ती रहती है, जिससे पौधों की परिधि तो बढ़ती है| लेकिन सजीव कल्लों की संख्या कम ही रहती है| इसलिए अधिक चारा उत्पादन के लिए कटाई के बाद वर्षा ऋतु से पहले घास के मृत ठूठों को हटा दिया जाता है तथा बाद में खेत की सिंचाई करने से नये कल्ले निकलते रहते है|
जिससे बाजरा नेपियर का अधिक हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है और इन्ही पौधों से जड़े निकालकर किसान या तो दूसरे खेत में रोपित कर सकते है या फिर इन्हें दूसरे किसानों को विक्रय भी कर सकते है| इसलिए इस घास को उगाना मतलब फायदे का सौदा रहता है|
Reference:On request