बायो फ्लॉक पद्धति द्वारा मछली पालन: स्वरोजगार का एक महत्वपूर्ण साधन

0
167

कोरोना के चलते रोजगारो में आई गिरावट और आने वाले समय में रोजगार के क्षेत्र में कम संभावनाओं को देखते हुए biofloc बायो फ्लॉक विधि द्वारा मत्स्य पालन एक बहुत ही लाभकारी एवं कम खर्चे में अच्छी आमदनी का साधन बन सकता है। इस विधि के द्वारा सीमित जगहों में कम संसाधनों में एवं कम खर्च में मत्स्य पालन किया जा सकता है।

बायो फ्लॉक में मछली पालन के लिए संपूर्ण मार्गदर्शन:

सबसे पहले हम यह जानते हैं की बायो फ्लॉक क्या है।

बायो फ्लॉक विधि में जार में बैक्टीरिया पैदा की जाती है। या बैक्टीरिया मछली के 20% मल को प्रोटीन में बदल देती है। मछली इस प्रोटीन को खा लेती है। बचा मल जार में नीचे जमा हो जाता है। इसे टूटी के जरिए निकाल दिया जाता है। मछलियों को कोई नुकसान नहीं होता है। बायो फ्लॉक विधि में हर चीज इंसानी कंट्रोल में होती है। तालाब में मछली का दाना ज्यादा गिरने या मल से अधिक केमिकल बनते हैं। इन्हें निकालने का साधन नहीं होता है। पानी में ऑक्सीजन घूलना बंद हो जाती है। पानी में ऑक्सीजन घोलने के लिए तरह तरह के केमिकल डाले जाते हैं जबकि जार में वेस्टिज को निकालने का पूरा साधन होता है। मछलियों को ज्यादा खुराक देने पर भी उन्हें नुकसान नहीं होता। बायो फ्लॉक मछली पालन इजराइल के वैज्ञानिक द्वारा इजाद की गई एक नवीन पद्धति है जिसमें छोटे से जगह यानी मिट्टी त्रिपाल या सीमेंट से बने छोटे टैंक में मत्स्य पालन किया जा सकता है ,बायो फ्लॉक मछली पालन के सबसे आधुनिकतम तकनीकों में से एक है । टैंक में मछली पालन करने से कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जाता है। अर्थात तालाब से मछली पालन की तुलना में बायो क्लॉक मछली उत्पादन के लागत मूल्य में कम खर्चा आता है तथा उत्पादन अधिक होता है। यह एक नवाचार, छोटी भूमि मे,तेजी से मछली की खेती और कम लागत वाली प्रभावि तकनीकी है जो विषाक्त पदार्थों जैसे कि अमोनिया नाइट्रोजन को बैक्टीरिया द्वारा प्रोटीन सेल में परिवर्तित कर दिया जाता है जो कि अंततोगत्वा मछली के आहार में परिवर्तित हो जाता है।

READ MORE :  बायोफ्लॉक तकनीक: मत्स्य पालन में नई क्रांति

बायो फ्लॉक मछली पालन में होता क्या है ? :

1- पानी के प्रयोग का आदान-प्रदान सीमित होता है।
2- पानी में कार्बनिक अवशेष जमा होते हैं।
3- पानी में मिश्रण एडजस्ट करते हैं।
4- टैंक में बैक्टीरिया के लिए आदर्श स्थिति उत्पन्न होती है।
5- बैक्टीरिया पानी की गुणवत्ता को नियंत्रित करते हैं।
6- मछली बैक्टीरिया खाती है।
7- फीड पुनर नवीनीकरण किया जाता है।

बायो फ्लॉक मछली पालन की विधि इस प्रकार है:

1- बायो फ्लॉक के लिए टैंक का निर्माण करना ।
2- पानी का व्यवस्था करना ।
3- मछली के बीज का चुनाव करना ।
4- टैंक में मछली बीज डालने की संख्या निर्धारण करना ।
5- टैंक में उचित समय में मछली डालना ।
6- मछली की देखभाल करना ।
7- समय-समय पर पानी की गुणवत्ता चेक करना।
8 – विपणन हेतु समय पर मछली निकालना ।

बायो फ्लॉक में मछली पालन के फायदे:

1- अमोनिया को नेचुरल तरीके से कम किया जाता है।
2- मछली को नेचुरल खाना मिलता है।
3- मछली को ज्यादा प्रोटीन मिलता है जिससे मछली का ग्रोथ अच्छा होता है।
4- तालाब की अपेक्षा बायो फ्लॉक में मछली को ना के बराबर बीमारी होती है ।
5- पानी का क्वालिटी बहुत अच्छा रहता है।

कुल मिलाकर अंततोगत्वा इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं की आज के दौर मे बायो फ्लॉक विधि द्वारा मत्स्य पालन एक बहुत ही अच्छा स्वरोजगार का साधन है जिसमें आप कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
biofloc विधि द्वारा मत्स्य पालन के इच्छुक व्यक्ति, संपूर्ण जानकारी एवं मार्गदर्शन के लिए हमें संपर्क कर सकते हैं। हमारी टीम द्वारा प्रोजेक्ट रिपोर्ट एवं इकाई का निर्माण एवं पालन तकनीकी की संपूर्ण जानकारी दी जाएगी।

READ MORE :  बायोफ्लॉक तकनीक: मत्स्य पालन में नई क्रांति

संकलन- प्रवीण श्रीवास्तव” सीईओ, लाइवस्टोक बिजनेस कंसलटेंसी सर्विसेज, जमशेदपुर

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON