पशुधन बीमा योजना – जोखिमों से बचाव

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पशुधन बीमा योजना – जोखिमों से बचाव

पशुधन बीमा योजना – जोखिमों से बचाव

डॉ. सुमन संत, डॉ. दीपिका डायना सीज़र एवं डॉ. सुलोचना सेन
सहायक प्राध्यापक, पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय रीवा , मध्य प्रदेश

नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञानं विश्वविद्यालय, जबलपुर , मध्य प्रदेश

 

पशुधन बीमा योजना केंद्र शासन द्वारा चलाई जाने वाली एक महत्त्वपूर्ण योजना है. यह योजना एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर, १० वीं और ११ वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान देश में शुरू हुई थी. २०१५ से यह योजना सभी जगह चलाई जा रही है.

पशुपालकों के मन में पशु बीमा को लेकर बहुत सारे सवाल आते हैं जैसे:

  • पशुबीमा हमें क्यूँ करवाना चाहिए?
  • पशु बीमा करवाने से हमें क्या फायदा होगा?
  • पशुधन बीमा योजना क्यूँ चालू किया गया है?

पशु बीमा इसलिए करवाना चाहिए क्यूंकि हर पशु की मृत्यु होती है. चाहे वह प्राकृत तौर पर हो या किसी दुर्घटना के कारण हो.

अधिकांशतः पशु की मृत्यु किसी बीमारी के कारण होती है और पशु पशुपालकों के लिए आमदनी का साधन होता है. यदि पशुपालक पशुओं का बीमा करवा लेते हैं तोह पशुपालकों को पशुओं की मृत्यु के के उपरांत, बीमा कंपनियों से पशुपालकों को नुक्सान की भरपाई की जाती है. इससे पशुपालकों की आमदनी सुरक्षित रहती है.

अपने देश में बहुत साड़ी कंपनियां हैं जो पशु बीमा करवाती हैं कुछ इस तरह हैं:

१. दी ओरिएण्टल इन्शुरन्स कंपनी

२. यूनाइटेड इंडिया इन्शुरन्स कंपनी

३. एच डी ऍफ़ सी एर्गो जनरल कंपनी

  1. इफ्फको टोक्यो जनरल कम्पनी

५. रिलायंस जनरल इन्शुरन्स

६.आई सी आई सी आई लोम्बारड जनरल कंपनी

७. टाटा ए. आई. जी. कंपनी

८. एस. बी. आई. जनरल इन्शुरन्स कंपनी

पशुपालकों के आस पास जो भी इन्शुरन्स कम्पनी हो आप वहां से पशु चिकित्सक की सलाह से बीमा करवा सकते हैं.

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कौन कौन से पशुओं का बीमा किया जाता है और उनकी उम्र क्या होती है?

१. दुधारू गाय एवं भैंस.

दुधारू गाय देशी या संकर हो सकती है.

गाय की उम्र ३-१० वर्ष एवं भैंस की उम्र  ४ -१२ वर्ष, दुधारु गाय एवं भैंस ऐसे पशु भी हो सकते हैं जिन्होंने कम से कम एक बछड़े को जनम दिया हो.

२. भेंड, बकरी, सूअर और खरगोश:

इन सबकी उम्र १ – ६ वर्ष तक होनी चाहिए.

३. घोड़ा, गधा, सांड और ऊँट:

इन पशुओं की उम्र २ – १२ वर्ष तक हो.

एक सवाल है जो पशुपालकों के मन में रहता है की, एक पशुपालक कितने पशुओं का बीमा करवा सकता है?

उत्तर:

  • एक पशुपालक ५ दुधारू पशुओं का मतलब ५ ग्गे या ५ भैंस या ३ गाय + २ भैंस का बीमा करवा सकते हैं.
  • अन्य जानवर जैसे: भेंड, बकरी, खरगोश, सूअर का ५० पशुओं का बीमा करवा सकते हैं.

पशु बीमा योजना में प्रीमियम कैसे भरते हैं?

इसमें महत्त्वपूर्ण बात आती है की आप १ साल या ३ साल की पालिसी ले रहे हैं. यदि देखा जाये तोह तीन साल की पालिसी फायदेमंद रहती है और औसतन बीमा शुल्क भी कम लगता है.

प्रीमियम दर कैसे होता है?

एक साल की पालिसी के लिए:

सामान्य क्षेत्र          पर्वतीय क्षेत्र           कठिन क्षेत्र

३%                  ३.५%               ४%

तीन साल की पालिसी के लिए:

सामान्य क्षेत्र          पर्वतीय क्षेत्र           कठिन क्षेत्र

७.५%                 ९%               १०.५%

प्रीमियम दर थोडा कम ज्यादा हो सकता है यह विभिन्न कंपनियों पर निर्भर करता है.

पशुबीमा करवाने की प्रक्रिया:

सबसे पहले इसमें आता है

  • पशु की वर्तमान उम्र एवं बाजार मूल्य का निर्धारण
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पशु की उम्र बाजार मूल्य का निर्धारण तीन लोगों द्वारा किया जाता है.

१. पशुचिकित्सक,

२. इन्शुरन्स कम्पनी के द्वारा,

३. पशु मालिक द्वारा

वर्तमान पशुमूल्य, उत्पादन  क्षमता इत्यादि कीमत का मूल्याकन किया जाता है. यदि कोई विवाद आता है तोह ग्राम पंचायत या खंड विकास अधिकारी की मदद ली जाती है.

दूसरी बात इसमें आती है

  • पशु का पहचान नंबर

१. पशुओं की पहचान के लिए पशु के कान में टैग लगाया जाता है, उसमे उसका नंबर लिखा होता है.

२. पहचान नंबर लगाने का खर्चा इन्शुरन्स कंपनी का होता है, लेकिन पहचान बनाये रखने की जिम्मेदारी पशुपालक की होती है.

३. यदि पहचान क्रमांक क्षतिग्रस्त या गुम हो जाये तो बीमा कंपनी के अधिकारी को तुरंत सूचित कर दे, ताकि वह उसी नंबर का दूसरा पहचान बिल्ला लगा दें.

४. पशु को पहले से पहचान नंबर मिला हो सरकार द्वारा तो वह भी चलेगा.

तीसरी बात:

  • महत्त्वपूर्ण दस्तावेज

१. पशुपालक की पशु के साथ फोटो.

२. पशु की फोटो जिसमे उसके कान का टैग या कोई भी पहचान नो. दिखे.

३. पशु का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जो पशु चिकित्सक द्वारा दिया जाता है.

यदि पशु पलक ने बीमा युक्त पशु को किसी अन्य को बेंच दिया है तो यह बीमा दुसरे पशु मालिक को स्थानांतरित कर दिया जाता है.

पशु बीमा का उदहारण:

  • बकरी के कीमत = रु. ५०००/-
  • तीन साल की पालिसी के लिए ७.५% की दर से पशुपालक को ३७५ रु. भरने पड़ेंगे.
  • यदि पशुपालक गरीबी रेखा के नीचे है तो ७० % प्रीमियम सरकार भरेगी और ३०% पशुपालक भरेंगे मतलब २६३ रु. सरकार वहां करेगी और ११३ रु. पशुपालक वहां करेगी.
  • यदी पशुपालक गरीबी रेखा के ऊपर आता है तो ५० % (रु. ११८) प्रीमियम सरकार भरेगी और ५० % (रु. ११८) प्रीमियम पशुपालक को भरना होगा.
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बीमा क्लेम करने के लिए जरुरी दस्तावेज:

१. पालिसी पेपर.

२. पंजीकृत पशुचिकित्सक द्वारा पी. एम्. रिपोर्ट.

३ क्लेम फॉर्म

४. पशु की फोटो जिसमे उसका पहचान नो. स्पष्ट दीखता हो.

उपरोक्त सभी दस्तावेज बीमा कंपनी को जमा करने के बाद क्लेम के १५ दिनों. के अन्दर बीमा के पैसे मिल जाते हैं.

पशु बीमा कब मिलता है?

  • यदि पशु की मृत्यु आकस्मिक आग लगने से हो जाये.
  • सड़क दुर्घटना से मृत्यु होने पर.
  • बिजली की तार से मृत्यु होने पर.
  • सर्प दंश की वजह से मृत्यु हो जाने पर.
  • पशु कहीं फंस कर मर जाये तो.
  • जहर खाने से मर जाये तो.
  • पानी में डूब जाने से या किसी बीमारी या ऑपरेशन से मृत्यु हो जाये तो.
  • बीमा पालिसी में जिन रोगों के बारे में बताया है

उपरोक्त सभी कारणों से मृत्यु होने पर बीमा राशी मिल जाती है.

बीमा क्लेम कब ख़ारिज हो जाती है:

  • टैग ना लगे रहने की स्थिति में.
  • पशु बम लेने के १५ दिवस के अन्दर मृत्यु होने पर.
  • पशु की चोरी होती है या पशु को बेंच कर झूठा कम्पलेन करने पर.
  • पशु को पालने का जो उद्देश्य है उसे छोड़ अगर किसी और काम के लिए उपयोग किया जाए और उसी दौरान मृत्यु हो जाये तोह क्लेम नहीं मिलता है.

 

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