पशुओं में आहार प्रबंधन

0
1243

पशुपालक साथिंयो पशु आवाश बनाने के बाद दूसरा अहम बिन्दु जो पशु लेकर आने से पहले हमें अपने फार्म चाहिऐ वो है।

1.पशुआहार।
2.पशुओं का भूसा।
3.पशु चारा।

पशुपालक साथिंयो ये तीनों है तो एक ही सिक्के के पहलू।

पशुआहार:

पशुआहार पशुओं के दूध बनाऐ रखने मे एक अहम जिम्मेदारी निभाता है। और सबसे ज्यादा खर्च इसी पर आता है।

आजकल बाजार कई तरह का मिलावटि पशु आहार आता है। कोशिश पशुआहार अपने फार्म पर ही बनाऐ।

अगर पशुपालक दाना, खली, चोकर, खनिज लवण मिलाकर संतुलित आहार तैयार करके पशु को प्रतिदिन दे तो पशु के स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता में वृद्वि होती है। इसके साथ ही पशुओं के दूध उत्पादन में 20-25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती है। कितनी मात्रा में खिलाएं पशुओं को आहार संतुलित दाना मिश्रण पशु के शरीर की देखभाल के लिए गाय के लिए 1.5 किलो प्रतिदिन व भैंस के लिए दो किलो प्रतिदिन दुधारू पशुओं के लिए गाय प्रत्येक 2.5 लीटर दूध के पीछे एक किलो दाना भैंस प्रत्येक दो लीटर दूध के पीछे एक किलो दाना गाभिन गाय या भैंस के लिए छह महीने से ऊपर की गाभिन गाय या भैंस को एक से 1.5 किलो दाना प्रतिदिन फालतू देना चाहिए।

100kg संतुलित दाना बनाने की विधि दाना (मक्का, जौ, गेंहू, ) इसकी मात्रा लगभग 35 प्रतिशत होनी चाहिए। चाहें बताए गए दाने मिलाकर 35 प्रतिशत हो या अकेला कोई एक ही प्रकार का दाना हो तो भी खुराक का 35 प्रतिशत दे। खली(सरसों की खल, मूंगफली की खल, बिनौला की खल, अलसी की खल) की मात्रा लगभग 32 किलो होनी चाहिए। इनमें से कोई एक खली को दाने में मिला सकते है। चोकर(गेंहू का चोकर, चना की चूरी, दालों की चूरी, राइस ब्रेन,) की मात्रा लगभग 35 किलो। खनिज लवण की मात्रा लगभग 2 किलोनमक लगभग 1 किलो इन सभी को लिखी हुई मात्रा के अनुसार मिलाकर अपने को पशु को खिला सकते है। दाना मिश्रण के गुण व लाभ गाय-भैंस अधिक समय तक दूध देते हैं। पशुओं को स्वादिष्ट और पौष्टिक लगता है। बहुत जल्दी पच जाता है। खल, बिनौला या चने से सस्ता पड़ता हैं। पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रहता रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। बीमारी से बचने की क्षमता प्रदान करता हैं। दूध और घी में भी बढ़ोत्तरी होती है। भैंस ब्यांत नहीं मारती।

READ MORE :  मिल्क फीवर के लक्षण (Symptoms or Clinical signs of milk fever)- how to diagnose milk fever

ध्यान रहें पशुआहार 3mm साईज का ही बनाऐ ज्यादा बारीक न पीसे।

हो सके पूरें महिनें का पशुआहार तैयार कर उसको लैब चेक करवाऐ जिससें हमे पता चले हमारे पशु को कितना प्रोटिन,फैट,फाईबर मिल रहा है।

कोशिश करें यदि पशुआहार पका कर पशुओं को खिलाऐ।

भूसा:

भारत के अलग अलग राज्य मे अलग अलग भूसा मिल रहा है।

अपने क्षेत्र मे जो भूसा अच्छा और सस्ता मिल रहा है। उसका चयन करें
जैसे कही दाल का भूसा प्रयोग करते है
कही मूगफलीं का ।
कही बाजरा
कही गेहूँ,चावल

गेहूँ और चावल के भूसें मे षोषक तत्व कि मात्रा बहुत कम होती है।
कोशिश करें उसें उपचारित करने कि।

पौष्टिकता बढ़ाने के लिए भूसा/का यूरिया उपचार।:

पशुओं के स्वास्थ्य व दुग्ध उत्पादन हेतु हरा चारा व पशु आहार एक आर्दश भोजन है किन्तु हरे चारे का वर्ष भर उपलब्ध न होना तथा पशु आहार की अधिक कीमत पशु पालकों के लिए एक समस्या है। सामान्यतः धान और गेंहूँ का भूसा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है। लेकिन इनमें पोषक तत्व बहुत कम होते हैं। प्रोटीन की मात्रा 4% से भी कम होती है। भूसे का यूरिया से उपचार करने से उसकी पौष्टिकता बढ़ती है और प्रोटीन की मात्रा उपचरित भूसे में लगभग 9% हो जाती है। पशु को यूरिया उपचारित चारा खिलाने पर उसको नियमित दिए जाने वाला पशु आहार में 30% तक की कमी की जा सकती है।

उपचार:

उपचार के लिए चार किलो यूरिया को 40 लीटर पानी में घोलें। एक किवंटल भूसे को जमीन में इस तरह फैलाएं कि परत की मोटाई लगभग 3से 4 इंच रहे। तैयार किये गये 40 लीटर घोल को इस फैलाएँ गये भूसे पर फवारे से छिड़काव करें। फिर भूसे को पैरों से अच्छी तरह चल-चल कर या कूद-कूद कर दबाएँ । इस दबाए गए भूसे के उपर पुनः एक क्विंटल भूसा फैलाएं जरूर पुनः चार किलो यूरिया को 40 लीटर पानी में घोलकर फवारे से भूसे के ऊपर छिडकाव करें और पहले की तरह इस परत को भी चल-चल कर या कूद-कूद कर दबाएँ।

READ MORE :  नबजात पशुओं मैं संक्रामक रोग का नियंत्रण और रोकथाम कैसे करे ?

इस तरह एक एक ऊपर एक सौ-सौ किलो की 10 परतें डालते जाएँ, घोल का छिड़काव् करते जाएं और दबाते जाएँ। उपचारित भूसे को प्लास्टिक शीट से ढक दें और उसमें जमीन में छुएँ वाले किनारों पर मिट्टी डाल दें। जिससे बाद में बनने वाली गैस बाहर न निकल सके। प्लास्टिक शीट न मिलने की स्थिति में ढेर के उपर थोड़ा सुखा भूसा डालें। उस पर थोड़ी सुखी मिट्टी/पुआल डालकर चिकनी गीली मिट्टी/गोबर से लीप भी सकते हैं। एक बार में कम से कम एक टन 1000 किलो) भूसे का उपचार करना चाहिए। एक टन भूसे के लिये 40 किलो यूरिया और 400 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। यूरिया को कभी जानवर को सीधे खिलाएं का प्रयास नहीं करना चाहिए। यह पशु के लिए जहर हो सकता है साथी ही भूसे के उपचार के समय यूरिया

संकलन -डॉक्टर साविन भोगरा

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON