कोविड-19 स्वास्थ्य संकट में पशु चिकित्सा क्षेत्र की प्रतिक्रिया व योगदान

0
506
RESPONSE TO VET DURING COVID
RESPONSE TO VET DURING COVID

कोविड-19 स्वास्थ्य संकट में पशु चिकित्सा क्षेत्र की प्रतिक्रिया व योगदान

डॉ नीलम रानी1 एवं डॉ पीयूष तोमर2

  1. पशु चिकित्सक, राजकीय पशु चिकित्सालय मानावाली, फतेहाबाद
  2. पशु चिकित्सक, राजकीय पशु चिकित्सालय न्योला, झज्जर

 पशुपालन एवं डेयरी विभाग, हरियाणा

परिचय

निस्संदेह, कोरोना वायरस के कारण वर्ष 2020 से ही जीवन का कोलाहल कुछ थमा सा है। भारत ने वर्ष 2020 का स्वागत नई उम्मीदों और आकांक्षाओं के साथ किया था। दिनांक 1 जनवरी, 2020 को संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के कार्यकारी निदेशक ने बताया किएक नए साल और एक नए दशक की शुरुआत केवल हमारे भविष्य के लिए हमारी उम्मीदों और आकांक्षाओं को, बल्कि हमारे बाद आने वालों के भविष्य को प्रतिबिंबित करने का भी मौका होती हैं।यह सामान्यसा संदेश भविष्य में होने वाली घटनाओं की पूर्व चेतावनी के रूप में पढ़ा जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मार्च, 2020 में कोविड-19 को एक महामारी घोषित किया और सभी देशों से इस जन- स्वास्थ्य संकट के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की अपील की। विश्व पशु चिकित्सा दिवस-2021 का अवसर, विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन द्वारा, मानव स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में पशु चिकित्सकों द्वारा किये गए योगदान व प्रयासों के लिए अर्पित है। देश के सामाजिक व आर्थिक विकास में पशुधन क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और सकल घरेलू उत्पादन में इसका हिस्सा महत्वपूर्ण रूप से बढ़ रहा है। पशु हमारे खाद्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और साथ ही वे हमारे सहकर्मी भी हैं। पशु चिकित्सकों की प्रतिक्रिया व योगदान वर्तमान महामारी की स्थिति से निपटने की एक कुंजी है। इस वायरस को ‘SARS-CoV-2’ का नाम दिया गया है और इसकी वजह से होने वाली बीमारी को ‘Corona Virus Disease 2019’ जिसका संक्षिप्त नाम ‘COVID-19/ कोविड-19’ है। कोरोना वायरस के लक्षण ज़ुखाम से लेकर ज़्यादा गंभीर जैसे कि मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Middle East Respiratory Syndrome; MERS-CoV) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Severe Acute Respiratory Syndrome; SARS-CoV) हो सकते है| कोरोना वायरस के कारण आर्थिक और सामाजिक परिणाम उत्पन्न हुए है। तेजी से आर्थिक विकास के लिए जिम्मेदार; पशु प्रोटीन की मांग, क्षेत्रीय खाने की आदतों जैसे कि चमगादड़, सांप और पैंगोलिन, स्वच्छता संबंधी स्थितिया और जैव सुरक्षा मानकों की कमी के कारण इस तरह की महामारी उत्पन्न होती है।

READ MORE :  RECENT ADVANCES IN ROLE OF B-VITAMINS IN RUMINANTS

यह साबित हो गया है कि मनुष्यों में ज्ञात संक्रामक रोगों में लगभग 60 % और उभरते हुए रोगो में से कम से कम 75 % रोग प्रकृति में पशुजन्य/ जूनोटिक रोग हैं। उदाहरण के तौर पर- स्पेनिश फ्लू, एच1 एन1, सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम,  मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम  और इबोला। इन रोगों के रोगकारक मूल रूप से जानवरों में पाए गए हैं और फिर मनुष्यों में फैल गए। जब एक रोगज़नक़ प्रजाति अवरोध को पार करता है, तो रोग विषम परिचारक में स्थापित नहीं हो सकता है, फिर भी संभावना है की यह अधिक रोगजनक और विरल हो सकता है है। जैसा कि यह महामारी ‘वन हेल्थ कॉन्सेप्ट’ के अनुरूप है, जो यह मानती है कि मानव स्वास्थ्य, दोनों; जानवरों के साथ और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के साथ निकटता से संबंधित है। इस तरह के रोगों का उद्भव और प्रसार इंगित करता है कि पशुचिकित्सक नए पशुजन्य रोगों का पता लगाने एवं रोकथाम के लिए प्राथमिक स्थिति में रहते हैं।

पशु चिकित्सकों का समावेश

उभरते रोग दुनिया भर में स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए एक चुनौती हैं। वर्तमान महामारी की संभावित उत्पत्ति को ध्यान में रखते हुए, उच्च मानव गतिविधि से जुड़े क्षेत्रों और वन्यजीवों के संपर्क में आने वाले क्षेत्रों में अध्ययन की आवश्यकता एवं उभरती बीमारियों की रोकथाम में प्राथमिकता बननी चाहिए। पशु चिकित्सा, पशु स्वास्थ्य के संरक्षण के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य में एक अमूल्य संपत्ति रही है। यह महामारी, विज्ञान के परिवर्तनों और पिछले अध्ययनों के संयोजन के माध्यम से प्राप्त ज्ञान, रोगों के पूर्वानुमान, रोकथाम के लिए प्रभावी उपकरण होगा। इस प्रकार के कार्यान्वयन से रोग को रोकने के लिए रोगकारक, बेहतर निवारक और नियंत्रण तरीको का समय पर पता चल सकता है। इस महामारी की स्थिति के दौरान, रोग के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन में पशु चिकित्सा पेशा ‘आवश्यक सेवाओं’ की सूची में सम्मिलीत है। इस महामारी के दौरान पशुचिकित्सक, निरंतर आपातकालीन सेवाओं में लगे हुए हैं, विशेष रूप से पशुओं की बीमारियों/ रोग निदान और उपचार आदि।

इस स्वास्थ्य संकट के दौरान पशु चिकित्सकों द्वारा प्रदान की गई कुछ प्रमुख सेवाएं इस प्रकार है-

डोरस्टेप सेवाएं

पशु चिकित्सकों को समाज के लाभ के लिए पशु चिकित्सा ज्ञान में विविधता और ज्ञान का विस्तार जरूरी है। कोविड-19 महामारी के समय में, पशु चिकित्सक निरंतर पशु रोग निदान और उपचार पर केंद्रित है। लॉकडाउन अवधि के दौरान, पशु चिकित्सकों द्वारा पशुपालको के घर-घर जाकर सेवाएं दी गई। पशु चिकित्सकों ने महामारी के समय में स्वयं के जीवन को खतरे में डाल, उपलब्ध संसाधनों के साथ ही बीमार पशुओ का इलाज किया।

READ MORE :  वेटरनरी होम्योपैथी द्वारा पशुपालकों की आय में वृद्धि

सुदूर सेवाएं

इस महामारी के दौरान, अनिवार्य शारीरिक दूरी और लॉकडाउन नियमों ने टेलीमेडिसिन को ग्राहक/ रोगी और चिकित्सकों के बीच सबसे सुरक्षित व प्रभावित सिस्टम बना दिया है। टेलीमेडिसिन रोगियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का दूरस्थ वितरण है जब रोगी और चिकित्सक एक दूसरे के साथ शारीरिक रूप से मौजूद नहीं होते हैं। पशु चिकित्सकों के लिए इन्टरनेट या संचार माध्यम के द्वारा खोज की दर अभी भी काफ़ी है है, यह एक सकारात्मक संकेत है जो यह बताता है कि टेलीमेडिसिन रोगियों/ बीमार पशुओ के हित में है।

आभासी/ वर्चुअल प्लेटफॉर्म

कोविड-19 महामारी दुनिया भर के लगभग सभी संगठनों पर दबाव डाल रहा है। लॉकडाउन, शारीरिक  दूरी और यात्रा प्रतिबंध के संदर्भ में, मौजूदा पशु चिकित्सा छात्रों के लिए मुख्य चुनौती कक्षाओं में सीखने की है। अगर लॉकडाउन को एक चुनौती के तौर देख कर सही विकल्प बनाये जाते हैं तो भविष्य में इसका परिणाम एक मजबूत शिक्षण प्रणाली हो सकता है। शिक्षण संस्थानों के बंद होने से दूरस्थ शिक्षण उपकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी नवाचारों को अपनाया जा सकता है। दूरस्थ शिक्षण विधियां पूरी तरह से व्यक्ति-शिक्षण को प्रतिस्थापित नहीं कर सकती हैं। कुछ क्षेत्रों में, सिद्धांत को ऑनलाइन पढ़ाया और सीखा जा सकता है, लेकिन व्यावहारिक पहलुओं को प्रभावी ढंग से वितरित नहीं किया जा सकता है।

उद्यमियों की स्थिति

लॉकडाउन के कारण पशु चिकित्सकों के क्लीनिकों पर प्रभाव पड़ रहा है। इस स्वास्थ्य संकट के बीच ग्राहकों की बदलती प्रवृत्तियों, विपणन प्रवृत्ति एवं व्यावसायिक रणनीतियों को ध्यान में रखते हुए पशु चिकित्सक, पशुओ की सेवा व आपातकालीन सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपनी कार्य रणनीति में बदलाव करके काम कर रहे है।

पशु चिकित्सा संस्थानों में या पशु चिकित्सकों द्वारा मानव नमूनों का परीक्षण

कोविड-19 स्वास्थ्य संकट के बीच, पशु चिकित्सकों ने मानव स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए अपना समर्थन दिखाया है। पशु चिकित्सा प्रयोगशालाओं एवं पशु चिकित्सकों ने स्क्रीनिंग, मानव नमूनों के परीक्षण जैसी गतिविधियों में संलग्न होने के लिए संक्रामक रोगों के परीक्षण में अपने अनुभव और विशेषज्ञता का उपयोग किया है।

READ MORE :  न्यूयॉर्क के चिड़ियाघर में बाघिन कोरोना पॉजिटिव, कर्मचारी के जरिए फैला संक्रमण।

खाद्य सुरक्षा

इस महामारी के दौरान तथा पशुओ और मनुष्यों के साथ उनके उत्पादों के इंटरफेस को देखते हुए, पशु चिकित्सकों को स्वास्थ्य सुरक्षा में सुधार, बीमारियों का निदान/ प्रबंधन और खाद्य सुरक्षा आश्वासन के माध्यम से मानव स्वास्थ्य की रक्षा करने का काम सौंपा गया है। पशु चिकित्सकों को पशु मूल के खाद्य पदार्थों में पशुजन्य रोगजनकों को नियंत्रित करने के अलावा रोग की प्रबलता ​​का सफलतापूर्वक प्रबंधन करने का अनुभव है।

पशु चिकित्सकों के लिए चुनौतिया

कोविड-19 महामारी के बीच और लॉकडाउन के दौरान, पशु चिकित्सक उपलब्ध संसाधनों जैसे कि सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं की अनुपलब्धता, सैनिटाइज़र, फेस मास्क, पशु चिकित्सा दवाओं की कम आपूर्ति, निजी पालतू पशु क्लीनिकों को बंद करना, कोविड-19 महामारी के बीच विशेष रूप से जानवरों के लिए चारे की कमी, पशुओं का संयुक्त टीकाकरण दौर, मांस व अण्डे से सम्बंधित जागरूकता, ऑनलाइन परीक्षा व ऑनलाइन परिणाम जारी करना, कोरोना महामारी के बीच बर्ड फ्लू का खतरा इत्यादि के साथ अच्छी तरह से प्रबंधित है । कोरोना महामारी के चलते कुछ पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के छात्रों को नजदीकी पशु चिकित्सालय से इन्टर्नशिप पूरी करने के आदेश दिए गए।

निष्कर्ष

कोरोना वायरस की रहस्यमय प्रकृति को पशु चिकित्सा और मानव स्वास्थ्य अधिकारियों के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से रोग को रोकने के लिए, समय पर पता लगाने और निवारक व नियंत्रण रणनीतियों के लिए नवीनतम दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यह स्वास्थ्य संकट पशु चिकित्सको को अपने नेतृत्व को बढ़ावा देने और पशु चिकित्सा ज्ञान की उपयोगिता, रोग परीक्षण में पशु चिकित्सकों की भूमिका, खाद्य सुरक्षा, जैव-सुरक्षा उपायों और टीका विकास में योगदान देने का अवसर है। भविष्य में इस तरह के प्रकोपों से बचने के लिए तथा इस तरह के प्रकोपों को रोकने के लिये प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के बारे में ओर अधिक विचारशील होने की ज़रूरत है तथा इसके साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा और पर्यावरण स्वास्थ्य क्षेत्र को भी समन्वित करने की ज़रुरत है।

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON