अब दूध की खाली थैलियों के भी मिलेंगे दाम, लोगों को पैसा देकर वापस खरीदेंगी डेयरी

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  • आरसीडीएफ की पहल- प्लास्टिक की थैलियाें का निस्तारण कर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने की योजना
  • हर डेयरी बूथ पर कलेक्शन सेंटर बनाए जाएंगे, बाद में डेयरियों पर ही इनका निस्तारण किया जाएगा

पशुधन प्रहरी नेटवर्क 

Aug 20, 2019, 02:11 AM IST

भीलवाड़ा (नरेंद्र जाट).प्रदेश में डेयरी के दूध की जिन खाली थैलियाें काे हम कचरा समझकर डस्टबिन में फेंक देते हैं, अब उन्हीं थैलियाें काे डेयरी पैसा देकर लाेगाें से वापस खरीदेगी। इसके लिए हर डेयरी बूथ पर कलेक्शन सेंटर बनाए जाएंगे। प्रदेश में राजस्थान काॅ-ओपरेटिव डेयरी फेडरेशन (आरसीडीएफ) इसकी डीपीआर बना रहा है।

सभी डेयरियों को निर्देश जारी

आरसीडीएफ यह प्लानिंग प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से डेयरियाें काे प्लास्टिक से बनी दूध की थैलियाें के निस्तारण के लिए जारी किए नाेटिस के बाद बना रहा है। मंडल की ओर से जारी किए नाेटिस के अनुसार प्रदेश की सभी डेयरियाें काे इसकी डीपीआर बनाकर देनी है कि वे कैसे प्लास्टिक से बनी दूध की थैलियाें का निस्तारण करेंगे, ताकि पर्यावरण संरक्षण हाे। इसके बाद असरसीडीएफ प्लान बना रहा है कि सभी डेयरी पर बूथ पर कलेक्शन सेंटर बनाकर खाली थैलियाें की एक निश्चित राशि तय करके उपभाेक्ताओंसे वापस ली जाए और वहां से थैलियां डेयरी में एकत्रित करके वहां उनका निस्तारण किया जाए।

प्रदेश में ऐसी 21 डेयरियां हैं
भीलवाड़ा सरस डेयरी से राेज करीब डेढ़ लाख लीटर दूध की बिक्री है। इसमें 250 ग्राम से लेकर 5 किलाे तक की करीब 2.15 लाख थैलियां काम में ली जाती हैं। इन 2.15 लाख थैलियाें काे बनाने में करीब करीब 800 किलाे पाॅलिथीन काम में ली जाती है। यानी अकेली भीलवाड़ा डेयरी की थैलियाें काे बनाने में राेज करीब 800 किलाे पाॅलीथन हाेती है। इसके अलावा डेयरियां छाछ भी थैलियाें में बेचती है। इस तरह प्रदेश की सभी 21 डेयरियाें में राेज हजाराें किलाे पाॅलीथन दूध व छाछ की थैलियां बनाने में काम में ली जाती है।

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तीन स्टेज पर हाेगा कलेक्शन से लेकर निस्तारण का प्राेसेस

  • सबसे पहले हर बूथ पर उपभाेक्ताओंसे खाली थैलियां वापस ली जाएगी। हर खाली थैली की एक निश्चित राशि दी जाएगी कि ताकि उपभाेक्ता थैलियां फैंकने के बजाय वापस कलेक्शन सेंटर पर जमा कराए।
  • डेयरी बूथ पर दूध देने के लिए आने वाली गाड़ी से ही इन थैलियाें काे वापस डेयरी पहुंचाया जाएगा।
  • हर डेयरी में ऐसा प्लांट लगाया जाएगा या फिर किसी तरह की तकनीक से इन थैलियाें का निस्तारण किया जाएगा।
  • साभार –https://www.bhaskar.com
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