आपदाओं से निपटने के लिए खुद को तैयार करे पशुचिकित्सक: डॉ प्रेम कुमार

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पटना: आने वाले समय में पशुचिकित्सक राज्य के लिए मील का पत्थर साबित होंगे, आपदाओं के समय मनुष्य के साथ-साथ पशुओं को कैसे बचाया जाए इस ओर सरकार का पूरा ध्यान है, मौसम परिवर्तन का असर दिख रहा है, ऐसे में जनजीवन के साथ पशुधन भी प्रभावित हो रही है, इससे कैसे निपटा जाये इसके लिए सरकार सभी पशुचिकत्सकों के लिए विशेष प्रशिक्षण आयोजित कर रही है और आने वाले समय में भी ऐसे आयोजन किये जायेंगे जिससे पशु स्वास्थ्य और बेहतर हो सके और विशेष कर आपदा के समय पशुओं को बचाया जा सके उक्त बातें सूबे के कृषि सह पशुपालन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में राज्य के पशुचिकित्सकों के लिए आपदा में पशुओं के प्रबंधन पर चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में कहा। उन्होंने आगे कहा की पशुओं के बेहतर इलाज के लिए प्रमंडलीय स्तर पर सभी सुविधाओं सहित सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण कराया जायेगा ताकि गंभीर बीमारियों से पीड़ित पशुओं का ईलाज हो सके और आस-पास के किसान और पशुपालक को ईलाज के लिए अपने पशुओं को लेकर लम्बी दूरी तय नहीं करना पड़े। उन्होंने पशुचिकित्सकों से उम्मीद किया की इस प्रशिक्षण से वे लाभान्वित हुए होंगे और आपदा के वक़्त बेहतर कार्य करेंगे। 

राज्य के सभी पशुचिकित्सा पदाधिकारियों के लिए आपदा के वक़्त पशुओं के प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण दिए जाने का कार्य पशुपालन विभाग, बिहार सरकार द्वारा बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय को सौपा गया था जिसे एक वर्ष के अन्दर पूरा किया जाना था, जून 2018 से प्रारंभ हुए इस प्रशिक्षण में प्रति बैच 40-42  पशुचिकित्सकों ने भाग लिया, कुल बत्तीस बैच को प्रशिक्षण दिया गया जिसमे 1120 पशुचिकित्सकों को प्रशिक्षित किया गया। बिहार देश का ऐसा पहला राज्य है जहाँ के सत-प्रतिशत  पशुचिकित्सकों को आपदा के वक़्त पशुओं के प्रबंधन की प्रशिक्षण दी गयी है। इस प्रशिक्षण के तहत बड़े पशुओं को बचाना, प्राथमिक उपचार की तकनीक, ट्रामा मैनेजमेंट, टीकाकरण की विधि, पशुओं के रख-रखाव,पशु के रेस्क्यू, इमरजेंसी मेडिसिन का प्रयोग, आपातकालीन स्थिति में उनका भोजन व पीने के लिए पानी की व्यवस्था, शेल्टर मैनेजमेंट, रेस्क्यू के लिए उपयोग किये जाने वाले यंत्रो के इस्तमाल की जानकारी के साथ वन प्राणियों के प्रबंधन के लिए भी प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे सभी पशुचिकित्सकों को एन.डी.आर.एफ, बिहटा का भ्रमण कराया गया, जहां उन्हें आपदा के वक़्त पशुओं के साथ खुद को कैसे बचाया जाये, रेस्क्यू के तकनीक और आपदा से बचाव के महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत कराया गया। 

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इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने कहा की पहले आपदा में हुए जान माल के नुकसान के लिए मुआवज़े दिए जाते थे पर अब जान-माल के नुकसान को कैसे रोका जाये उसपर ध्यान दिया जा रहा है जो बहुत ही सराहनीय है, एहतियात इलाज से बेहतर होता है इसलिए ये प्रक्षिशण बुरे वक़्त में लाभदायक सिद्ध होगा। आपदाओं के वक़्त पशुधन की सुरक्षा भी उतना ही जरुरी है जितना मनुष्य की सुरक्षा। पशुओं पर मानव की निर्भरता है इसलिए इस ओर ध्यान देना जरुरी है।

इस अवसर पर प्रशिक्षार्थियों को माननीय मंत्री द्वारा प्रमाण पत्र का वितरण किया गया। बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ जेके प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापन किया, इस मौके पर पशुपालन विभाग के आपदा प्रभारी डॉ. रविंद्र कुमार सिंह, बिहार आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सलाहकार डॉ अजीत कुमार समरियार, सहायक निदेशक पशुपालन डॉ दिवाकर, विशेष कार्य पदाधिकारी नरेंद्र कुमार लोहानी, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ पीके कपूर, डॉ हरिमोहन सक्सेना, डॉ रविंद्र कुमार, डॉ एके ठाकुर, डॉ पंकज कुमार, डॉ सरोज कुमार सहित विश्वविद्यालय के पदाधिकारीगण मौजूद थे।

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