मशरूम की खेती – आय के साधनों में से एक अच्छा विकल्प

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मशरूम की खेती – आय के साधनों में से एक अच्छा विकल्प

 

पशुधन प्रहरी मुख्य रूप से पशुधन फार्मिंग से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर लेख प्रकाशित कर रही है। इसके अलावा हम किसानों के लिए कई अन्य मुद्दों पर भी जानकारी साझा करते हैं जिससे वे पशुपालन के अलावा यदि कोई और व्यापार करना चाहते हो तो उनके पास उचित जानकारी हो। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आपको आज मशरूम की खेती के बारे में बता रहे जो रोजगार व व्यापार की दृष्टि से एक अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं।

देश की बढ़ती जनसंख्या और लगातार बदलते पर्यावरण में यानि की जलवायु परिवर्तन के कारण अन्य खाद्य पदार्थों की खेती करना थोड़ा कठिन होता जा रहा है, लेकिन मशरूम की खेती सबसे अच्छा उपाय है। हालांकि अच्छी पैदावार हेतु आपको इसका बहुत ख्याल करना होगा। मशरूम की मांग सिर्फ देश में भी विदेशों में भी है यानि कि एशिया और अफ्रीका के क्षेत्रों में इसकी भारी मांग है।

मशरूम पोषण का भरपूर स्त्रोत है और स्वास्थ्य की दृष्टि के लिए काफी लाभदायक होते हैं। इसमें वसा की मात्रा न के बराबर होती है। प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट जैसे कई अम्ल पाए जाते हैं इसमें जो हदय व ह्दय संबंधित प्रक्रिया के लिए आदर्श भोजन हो सकते हैं।

मशरूम के प्रकार –

वैज्ञानिकों की माने तो धरती पर तकरीबन 1000 किस्म के मसरूम पाए जाते हैं। लेकिन अगर व्यापार के लिए केलल 5 ही किस्में पाए जाते हैं – वाईट बटन, पैडी स्ट्रॉ, दवाओं वाली मशरूम,धिंगरी या ओएस्टर मशरूम। इनमें बटन मशरूम की खेती सबसे ज्यादा की जाती है तथा यह मिल्की मशरूम भी कहा जाता है।

आम, वाईट बटन मशरूम की खेती के लिए तकनीकी कौशल की आवश्‍यकता है। अन्‍य कारकों के अलावा, इस प्रणाली के लिए नमी चाहिए। वाईट बटन पर दो अलग तापमान यानि कि 220-180 डिग्री प्ररोहण वृद्धि के लिए और फल निर्माण के लिए 150 से 180 डिग्री की जरूरत होती है।

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प्‍लयूरोटस, ऑएस्‍टर मशरूम का वैज्ञानिक नाम है। भारत के कई भागों में, यह ढींगरी के नाम से जाना जाता है। इस मशरूम की कई प्रजातिया है उदाहणार्थ :- प्‍लयूरोटस ऑस्‍टरीयटस, पी सजोर-काजू, पी. फ्लोरिडा, पी. सैपीडस, पी. फ्लैबेलैटस, पी एरीनजी तथा कई अन्‍य भोज्‍य प्रजातियां। मशरूम उगाना एक ऐसा व्‍यवसाय है, जिसके लिए अध्‍यवसाय धैर्य और बुद्धिसंगत देख-रेख जरूरी है और ऐसा कौशल चाहिए जिसे केवल बुद्धिसंगत अनुभव द्वारा ही विकसित किया जा सकता है।

प्‍लयूरोटस मशरूमों की प्ररोहण वृद्धि (पैदा करने का दौर) और प्रजनन चरण के लिए 200-300 डिग्री का तापमान होना चाहिए। मध्‍य समुद्र स्‍तर से1100-1500 मीटर की ऊचांई पर उच्‍च तुंगता पर इसकी खेती करने का उपयुक्‍त समय मार्च से अक्‍तूबर है, मध्‍य समुद्र स्‍तर से 600-1100 मीटर की ऊचांई पर मध्‍य तुंगता पर फरवरी से मई और सितंबर से नवंबर है और समुद्र स्‍तर से 600 मीटर नीचे की निम्‍न तुंगता पर अक्‍तूबर से मार्च है।

मशरूम के बीज की कीमत व इसे आप कहाँ बेच सकते हैं –

मशरूम के बीज की कीमत 75रूपए प्रति किलोग्राम होती है। जैसा कि हमने आपको कहा कि यह काफी पोषक तत्वो का स्त्रोत है इसलिए यह रोजमर्रा की वस्तुओं के अलावा औषधी बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। इस वजह से मशरूम की मांग की जगहों पर होती है। इसके अलावा मशरूम का उपयोग अधिकतर चाइनीज खाने में किया जाता है। इसके अन्य लाभकारी गुणों के कारण इसको मेडिकल के क्षेत्र में भी उपयोग किया जा रहा है। इतना ही नहीं इसका निर्यात एवं आयात भी कई देशों में किया जाता है, अर्थात इसको बेचने के लिए बहुत से क्षेत्र मौजूद है।

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मशरूम की खेती के लिए महत्वपूर्ण सामान

o फफूंदी रहित ताजे पिले धान के तिनके।

o एक ब्लाक बनाने के लिए तकरीबन 1 वर्ग मीटर की प्लास्टिक की सीट, 400 गेज के माप की मोटाई वाली

o 45x30x15 से. मी. के माप के लकड़ी के सांचे,

o तिनकों को काटने के लिए गंडासा या भूसा कटर।

o तिनकों को उबालने के लिए ड्रम (कम से कम दो)

o जूट की रस्‍सी, नारियल की रस्‍सी या प्‍लास्टिक की रस्सियां

o टाट के बोरे

o स्‍पान अथवा मशरूम जीवाणु जिन्‍हें सहायक रोगविज्ञानी, मशरूम विकास केन्‍द्र, से प्रत्‍येक ब्‍लॉक के लिए प्राप्‍त किया जा सकता है।

o एक स्‍प्रेयर

o तिनकों के भंडारण के लिए शेड 10X8 मी. आकार का।

o मशरूम की खेती करने की प्रक्रिया

o घर पर मशरूम की खेती करने की प्रक्रिया

इसकी खेती करने के लिए आपको एक कमरे की जरुरत होती है, लेकिन आप चाहें तो लकड़ियों का एक जाल बनाकर भी उसके नीचे मशरूम उगाना आरम्भ कर सकते हैं।

प्रथम चरण – मशरूम की खेती के प्रथम चरण के लिए सबसे उपयोगी है खाद। जिसके लिए आप गेहूं या धान का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन खाद के लिए भूसे को कीटाणू रहित बनाना अनिवार्य है, ताकि इसकी अशुद्धियाँ खत्म हो जाए। 1500 लीटर पानी में 1.5 किलोग्राम फार्मलीन व 150 ग्राम बेबिस्टीन मिलाया जाए। इसके बाद इस पानी में 1 कुंटल, 50 किलोग्राम गेहूं का भूसा डालकर अच्छे से मिला ले। उसके बाद इसे कुछ समय के लिए ढक्कर रखना पड़ता है। इसके बाद इस खाद या भूसे का उपयोग आप मशरूम की खेती के लिए कर सकते हैं।

दूसरा चरण –

खाद के अंतर पायी जाने वाली नमी को 50 प्रतिशत तक कम करने के लिए बनाए गए भूसे को आप बाहर हवा में कहीं अच्छे से फैला दें औऱ समय – समय पर पलटते रहे। बुवाई करने के लिए 16 बाई 18 की एख पॉलिथीन बैग लेकर इसमें परत दर 4 परतें बनाएं। जिसमेंं पहले भूसा रखें और उस पर बीज ़डाले। ध्यान रखें की उस पॉलिथिन बैग के दोनों ओऱ छेद हो। ताकि इसमें बचा हुआ पानी भी बाहर निकल जाए।बुवाई की प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद इस पैकेट में कुछ छोटे-छोटे छिद्र कर दिए जाते है। जिससे मशरूम के पौधे बाहर निकल सकें।

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हवा एवं पंखे की सहायता से रख रखाव

बुवाई के बाद मशरूम की फसल को कम से कम 15 दिन के लिए एक कमरे में खुला छोड़ देना चाहिए या पंखे के नीचे।

नमी एवं तापमान पर नियंत्रण

नमी पर नियंत्रण करने के लिए आपको कभी-कभी दीवारों पर पानी का छिड़काव करना होगा, ध्यान रहे नमी लगभग 70 डिग्री तक की होनी चाहिए इसके बाद आपको कमरे के तापमान पर भी ध्यान देना बहुत जरुरी है। मशरूम की फसल को अच्छे से उगाने हेतु लगभग 20 से 30 डिग्री का तापमान ही ठीक रहता है।

मशरूम के थैले रखने के तरीके

अपने कमरे में मशरूम की खेती करने के लिए आपको मशरूम वाले थैले को तरीकों से रखना होता है। इसे या तो आप किसी लकड़ी और रस्सी की सहायता से बांध कर लटका दें या फिर एक तरह से लकड़ियों या किसी धातु से पलंगनुमा जंजाल तैयार कर लें जिस पर मशरूम के पैकेट्स आसानी से रख सकें।

कब और कैसे करें कटाई

विशेषज्ञों की माने तो इसकी फसल अधिकतम 30 से 40 दिनों के भीतर काटने के लिए तैयार हो जाती है। उसके बाद आपको इसका फल दिखाई देने लगता है, जिसे आप आसानी से हाथ से ही तोड़ सकते हैं।

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