पशुपालन सेवा संवर्ग की वर्तमान नियमावली में संसोधन एवं पुनर्गठन समय  की मांग – शिल्पी नेहा तिर्की

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पशुपालन सेवा संवर्ग की वर्तमान नियमावली में संसोधन एवं पुनर्गठन समय  की मांग – शिल्पी नेहा तिर्की

 

 

रांची।झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ का शिष्टमंडल,अध्यक्ष डॉ  समसोन संजय टोप्पो एवं महामंत्री डॉ शिवानंद काशी के नेतृत्व में माननीय विधायक मांडर श्रीमती शिल्पी नेहा तिर्की के समक्ष प्रस्तुतीकरण के माध्यम से  बताया गया कि राज्य के सृजन के पश्चात प्रायः सभी विभागों का नियुक्ति- प्रोन्नति नियमावली संशोधित किया जा चुका है अथवा किया जा रहा है। राज्य में स्वास्थ्य सेवा , प्रशासनिक सेवा और अभियंत्रण सेवा में 5 प्रोन्नति के स्तर हैं तथा देश के अनेक राज्यों उत्तर प्रदेश, आसाम, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश इत्यादि में भी भारत सरकार के सलाह के आलोक में पांच प्रोन्नति स्तर का प्रावधान किया जा चुका है जबकि वर्तमान में झारखंड में पशु चिकित्सकों के सिर्फ दो प्रोन्नति स्तर ही है तथा राज्य के सृजन के पश्चात अब तक मात्र एक स्तर पर ही पशु चिकित्सकों को प्रोन्नति दी गई है तथा 798 पदों के विरुद्ध मात्र 9 प्रतिशत ही प्रौन्नति पद है जबकि अन्य विभागों में 40-50 प्रतिशत तक प्रोन्नति योग्य पद है । राज्य गठन के बाद से 305 पशु चिकित्सक सेवा निवृत्त हो चुके हैं जिसमें से 86 प्रतिशत पशुचिकित्सकों को मुलपद से ही सेवा निवृत्त होना पड़ा है।

राष्ट्रीय कृषि आयोग के अनुसार प्रत्येक पांच हजार गोवंशीय पशु इकाई पर एक पशु चिकित्सक की अनुशंसा की गई है इस प्रकार राज्य में पशुधन के संख्या के अनुसार 2800 पशु चिकित्सकों की आवश्यकता है जिसके विपरीत वतर्मान में मात्र 798 पद ही स्वीकृत हैं। संघ ने विधायक को यह भी अवगत कराया कि आवश्यकता अनुसार पदों को चिन्हितीकरण कर नियमावली संशोधित करने की आवश्यकता है!

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संघ ने  बहुप्रतीक्षित मांग पशु चिकित्सा सेवा के वर्तमान नियमावली में संसोधन एवं स्वीकृत बल को प्रत्यापित कर विभिन्न श्रेणी के पदों के पुर्नगठन करने के  सम्बन्ध में ज्ञापन सौंपा एवं विस्तृत चर्चा हुई। । वर्तमान में अधिकांश पशुचिकित्सक मुलपद पद भ्रमणशील पशुचिकित्सा पदाधिकारी /प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी के पद पर ही सेवानिवृत हो जाते हैं जिससे उनमें घोर निराशा व्याप्त है जिसका सीधा असर उनकी कार्यक्षमता पर पड़ता है नये पुर्नगठन प्रस्ताव अधिसूचित हो जाने पर संघ के अध्यक्ष द्वारा बताया गया की इससे पशुचिकित्साकों की कार्यकुशलता में वृद्धि होगी और अपना सर्वस्व पशु की सेवा में देंगे जिससे पशु उत्पाद जैसे  दूध मांस अंडा उन उत्पादन में झारखण्ड आने वाले दिनों में आत्मनिर्भर होगा , कुपोषण से भी मुक्ति मिलेगी तथा लोगों को पशु उत्पाद आधारित व्यवसाय कर अतिरिक्त आय होगी. पुनर्गठन प्रस्ताव में प्रखंड में एनिमल हेल्थ सेंटर बनेगा जिसमें पशुचिकित्सालय को सुदृढ़ करना,मानव संसाधन युक्त बनाना ,अत्याधुनिक उपस्कर उपकरण के साथ सुसज्जीत किया जाना है जिससे पशुपालक को तुरंत प्रखंड स्तर पर ही उनके पशु के रोग का निदान संभव हो जायेगा । राज्य भर के पशु चिकित्सालयों में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने से क्षेत्र के पशुपालक पशुपालन के माध्यम से आयुवृद्धि कर समृद्ध होगें ।

इसी के सम्बन्ध में महामंत्री द्वारा वर्तमान नियमावली में संसोधन के मुख्य बिंदु प्रोन्नती के पांच स्तर जिसमें मुल स्तर पर पशुचिकित्सा पदाधिकारी,प्रथम स्तर पर सहायक निदेशक एवं समक्ष, द्वितीय  स्तर उपनिदेशक एवं समकक्ष, तृतीय स्तर संयुक्त निदेशक एवं समकक्ष, चतुर्थ स्तर अपर निदेशक एवं समकक्ष, पंचम स्तर निदेशक के होंगे  के साथ विभागीय स्वीकृत पदों की पुर्नसंरचना एवं पुर्नगठन को यथाशीघ्र अधिसूचित कराने की मांग पर विशेष बल दिए!

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विधायक महोदया द्वारा वर्तमान नियमावली में संसोधन एवं पुनर्गठन प्रस्ताव पर सकारात्मक होते हुए कहा गया की यह संघ और समय की जायज मांग है इससे रोजगार सृजन के साथ साथ पशुपालक आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर होंगे, उनका पलायन भी रुकेगा उन्होंने यह भी कहा कि इस विषय पर  हमारी सरकार पशुओं के प्रति संवेदनशील है और आप लोग उनके रक्षक है! आपकी यह मांग जायज है यथाशीघ्र इसपर माननीय मुख्यमंत्री महोदय से चर्चा करेंगे और आगे की कार्यवाही कर मांग पूरी करने का आश्वासन दिया ।

ज्ञात हो की झारखंड निर्माण के बाद कई विभागों का पुनर्गठन हो चुका है। परंतु पशुधन संपन्न इस राज्य में पशुपालन सेवा बदहाली के दौर से गुजर रहा है, जिसे वर्तमान नियमावली में संशोधन के साथ पुर्नगठन के माध्यम से सुदृढ़ किया जा सकता हैं ।

 

      महामंत्री

                      डॉ शिवानंद कांशी

     झारखंड पशु-चिकित्सका सेवा संघ

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