अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिये-भाग 6

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अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिये – भाग 6

तेरह से अट्ठारह माह की औसरों में वृद्धिदर कम से कम 350 से 450 ग्राम प्रतिदिन होनी चाहिए। इस वृद्धिदर को प्राप्त करने के लिए औसरों को पर्याप्त मात्रा में हरा चारा, भूसा और रातिब मिश्रण देना होगा।

तेरहवें माह में हरे चारे की मात्रा साढ़े दस किलोग्राम प्रतिदिन से शुरू करके हर माह आधा किलोग्राम चारा बढ़ाते चले जाएंगे। इस तरह अट्ठारहवे महीने में 13 किलोग्राम हरा चारा प्रतिदिन देना होगा।

तेरहवें से अट्ठारहवें महीने के दौरान रातिब मिश्रण की मात्रा 2 किलोग्राम प्रतिदिन और भूसे की मात्रा 1 किलोग्राम प्रतिदिन ही रखेंगे। हरा चारा उपलब्ध ना होने पर ही भूसे की मात्रा में वृद्धि करनी होगी।

इस समय दिए जाने वाले रातिब में क्रूड प्रोटीन की मात्रा 20 प्रतिशत ही रखेंगे।

बीस प्रतिशत क्रूड प्रोटीन वाला सौ किलोग्राम रातिब मिश्रण बनाने के लिए मक्का 37 किलोग्राम, गेहूँ का चोकर 25 किलोग्राम, सरसों की खली 35 किलोग्राम, विटामिन और मिनरल मिक्सचर 2 किलोग्राम और साधारण नमक 1 किलोग्राम को भली भांति मिलाएंगे।

इस समय औसर का वजन बढ़कर कम से कम 190 किलोग्राम हो जाएगा।

उन्नीस से चौबीस माह की औसरों में वृद्धिदर कम से कम 400 से 500 ग्राम प्रतिदिन होनी चाहिए। इस वृद्धिदर को प्राप्त करने के लिए औसरों को पर्याप्त मात्रा में हरा चारा, भूसा और रातिब मिश्रण देना होगा।

उन्नीसवें माह में हरे चारे की मात्रा साढ़े तेरह किलोग्राम प्रतिदिन से शुरू करके हर माह आधा किलोग्राम चारा बढ़ाते चले जाएंगे। इस तरह चौबीसवें महीने में 16 किलोग्राम हरा चारा प्रतिदिन देना होगा।

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उन्नीसवें से चौबीसवें माह के दौरान रातिब की मात्रा ढाई किलोग्राम प्रतिदिन कर देंगे और भूसे की मात्रा 1 किलोग्राम ही रखेंगे। हरा चारा उपलब्ध ना होने पर ही भूसे की मात्रा में वृद्धि करनी होगी।

इस समय दिए जाने वाले रातिब में क्रूड प्रोटीन की मात्रा 18 प्रतिशत ही रखेंगे।

अट्ठारह प्रतिशत क्रूड प्रोटीन वाला सौ किलोग्राम रातिब मिश्रण बनाने के लिए मक्का 35 किलोग्राम, गेहूँ का चोकर 37 किलोग्राम, सरसों की खली 25 किलोग्राम, विटामिन और मिनरल मिक्सचर 2 किलोग्राम और साधारण नमक 1 किलोग्राम को भली भांति मिलाएंगे।

इस समय तक औसर का वजन बढ़कर कम से कम 260 किलोग्राम हो जाएगा।

अब तक आपकी औसर गर्मी के लक्षण भी दिखाने लगेगी और इसके जननांगों का विकास हो चुका होगा और वह गर्भधारण करने के लिए पूरी तरह तैयार होगी।

मगर आपको पहली और दूसरी हीट छोड़ देनी है और तीसरी हीट में उसका गर्भाधान करवाना है।

तीसरी हीट के समय आपको चाहिए कि गर्मी के लक्षण दिखाई देते ही उसका गर्भाधान किसी कुशल कृत्रिम गर्भाधानकर्ता से अवश्य करवा दें। पशु के ऊपर नजर रखें और हीट के लक्षण दिखने के लगभग 12 घन्टे बाद उसका गर्भाधान कराए। गर्भाधान के लिए प्रयोग किया जाने वाला वीर्य उत्तम गुणवत्ता का होना चहिए। गर्भाधान कराते समय आपको जो बिंदु ध्यान में रखने हैं उनका जिक्र किसी अन्य पोस्ट में करेंगे।

अब आपको तैयारी करनी है गर्भावस्था के दौरान गर्भवती औसर के भरण पोषण की। इसकी चर्चा कल करेंगे।

क्रमशः

डॉ संजीव कुमार वर्मा
प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण)
केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ

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