भैंसों में ब्याते समय ध्यान रखने योग्य बातें

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भैंसों में ब्याते समय ध्यान रखने योग्य बातें

ज्ञान सिंह1, संदीप कुमार2, प्रदीप दांगी2 एवं ऋषिपाल यादव2*

1शैक्षणिक पशु चिकित्सालय, 2 पशु मादा रोग एवं प्रसूती विज्ञान विभाग

लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ,हिसार , हरियाणा

 *Corresponding author – drishiyadav.96666@gmail.com

 

किसानो के लिए यह आवश्यक है कि वह भैंसों में ब्याते समय  सामान्य प्रक्रिया से पूरी तरह परिचित हो ताकि किसान  सामान्य प्रक्रिया और पैथोलॉजिकल(असामान्य) जन्म के बीच अंतर कर  सके। सही समय पर एक उचित हस्तक्षेप करने से यह संभावना बढ़ जाती है कि माता और संतान दोनों जीवित रह सके। आमतौर पर हम ब्याने की प्रक्रिया को तीन चरणों में विभाजित करते हैं, हालांकि प्रक्रिया निरंतर होती है। य़े हैं –

पहला चरण

पहला चरण प्रसव की शुरुआत के साथ शुरू होता है। यह तब तक जारी रहता है जब तक गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स )पूरी तरह से खुल  नहीं जाती अर्थात इस चरण में गर्भाशय का मुख खुल जाता हैं। इस चरण में पेट दर्द के हल्के संकेत देखे जाएंगे और 1 से 24 घंटे तक रह सकते हैं।

दूसरी चरण

इस अवस्था में  मटिंडी (थैली) का फटना होता है, और गर्भाशय से बच्चे का निष्कासन होता है। इस अवस्था में पशु के पेट में बहुत तेज दर्द होता है और यह आधे घंटे से लेकर तीन घंटे तक रह सकता है। पेट में यह दर्द ओक्सिटोसिन नामक एक हार्मोन के कारण होता है।

तीसरा चरण

इस अवस्था में प्लेसेंटा (जेर ) का निष्कासन होता है और इस प्रक्रिया में एक से बारह घंटे लग सकते हैं।

असामान्यता जो विभिन्न चरणों के दौरान हो सकती है

  • पहले चरण के दौरान गर्भाशय ग्रीवा(गर्भाशय का मुख) ठीक से न खुलने की समस्या हो सकती है और कुछ समय के बाद पशु ब्याने की प्रक्रिया के संकेत को दिखाना बंद कर देता है।
  • कुछ मामलों में विशेष रूप से भैंसो में बच्चादानी के पलट जाने की समस्या हो सकती है, इन मामलों में कुछ समय के बाद पशु ब्याने की प्रक्रिया के संकेत को दिखाना बंद कर देता है जैसे लावटी का सुख जाना, थनों से दूध सुख जाना इत्यादि।पर भैंस को लगातार पेट मे दर्द होता है और भैंस  लगातार उठती बैठती है।इसलिए यदि किसान को लगता है कि पशु ब्याने की प्रक्रिया में  बहुत लंबा समय लेता है और फिर भी ब्या नहीं रहा है तो पशु चिकित्सक को तुरंत बुलाया जाना चाहिए।
  • कुछ मामलों में बच्चे के पैर दिखाई देते है पर बहुत समय लेने के बाद भी बच्चा बाहर नहीं निकलता इन मामलों में किसान भाइयों को ज्यादा से ज्यादा तीन घंटो तक इंतजार करना चाहिए और यदि इसके बाद पशु चिकित्सक को बुलाया जाना चाहिए।क्योंकि इन मामलों में बच्चे की गर्दन मुड़ सकती है, पैर मुड़ा हो सकता है और कई अन्य असामान्यताएं हो सकती हैं, इसलिए पशु चिकित्सक को तुरंत बुलाया जाना चाहिए।
  • कुछ मामलों में जेर के निष्कासन की समस्या हो सकती है इसलिए अगर जानवर बारह घंटो मे भी अपनी जेर को नहीं गिराता है तो पशु चिकित्सक को तुरंत बुलाया जाना चाहिए।
  • कुछ मामलों में पशु अपनी जेर को खुद खा लेता है इससे अपच की संभावना हो सकती है। इसलिए पशु चिकित्सक को तुरंत बुलाया जाना चाहिए।
  • कुछ मामलों में पशु कैल्शियम और ऊर्जा की कमी के कारण जोर लगाना बंद कर देता है और ब्याने की प्रक्रिया रुक जाती है, इसलिए पशु चिकित्सक को तुरंत बुलाया जाना चाहिए नहीं तो संक्रमण की संभावना बढ़ जाती हैं।
  • ब्याने की प्रक्रिया के दौरान जानवर को एकांत मे रखे नहीं तो जानवर ब्याने की प्रक्रिया को रोक लेता है और किसान को लगता है की कोई असामान्यताएं हो गए है  इसलिए पशु को ब्याने की प्रक्रिया  के दौरान जानवर को एकांत मे रखे।
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कुछ महत्वपूर्ण बिंदु जो भैंस के ब्याने की प्रक्रिया  के दौरान किसानों द्वारा ध्यान में रखे जाने चाहिए –

  • ब्याने की प्रक्रिया के दौरान जानवर की सावधानी से देखरेख करें  और इस प्रक्रिया के दौरान जानवर को ऐसी जगह पर रखें जहां जानवर परेशान ना हो।
  • ब्याने की प्रक्रिया के दौरान जानवर को साफ और स्वच्छ जगह पर रखें ताकि संक्रमण  की संभावना न बने।
  • जानवर को सामान्य ब्याने का समय लेने दें, सामान्य प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करें अन्यथा ब्याने मे दिक्कत (डिस्टोसिया) की संभावना अधिक होगी और संक्रमण की संभावना भी बढ़ जाती हैं।
  • ब्याने की प्रक्रिया मे यदि जानवर सामान्य से अधिक समय लेते हैं तो पशु चिकित्सक से सलाह लें स्वयं हस्तक्षेप न करें।
  • यदि बच्चे के पैर दिखाई दे रहे हैं, तो उन्हें अपने आप न खींचे क्योंकि वहाँ एक आगे का पैरऔर एक पीछे का पैर हो सकता है, हम उन्हें बिना किसी सुधार के मुद्रा में खींचते हैं तो बच्चा बाहर नहीं आएगा और माँ की बच्चादानी में चोट लगने की संभावना हो सकती है। यदि बच्चेदानी में चोट लगती है तो भैंस जेर समय पर नहीं गिराएगी और अधिक संक्रमण की  संभावना होगी। इससे जेर (प्लेसेंटा) का प्रतिधारण होगा और इसके कारण अगली बार गर्भावस्था स्थिति की अवधि बढ़ जाएगी। इस तरह हम एक साल में एक बछड़ा नहीं प्राप्त कर पाएंगे जो कि हमारा मुख्य उद्देश्य है, और किसान को इससे नुकसान होगा।
  • कभी-कभी जानवर खड़े- खड़े ही बच्चे को जन्म देती हैं, उस स्थिति में बच्चे को सहारा देते हैं ताकि बच्चे को चोट न लगे।
  • जेर के निष्कासन के लिए सामान्य रूप से जानवर को बारह घंटे तक का समय लग सकता है इसलिए धैर्य न खोएं लेकिन अगर जानवर  बारह घंटे से अधिक समय तक रहता है तो पशु चिकित्सक से सलाह लें।
  • जेर को स्वयं न खींचें क्योंकि रक्तस्राव की संभावना हो सकती है और जानवर की बच्चेदानी में चोट भी लग सकती है ,जिसके कारण संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है और बांझपन की स्थिति भी आ सकती है।
  • बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध पिलाएं, इससे जेर निष्कासन की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
  • जेर को जानवर के पास से हटा दे अन्यथा जानवर खुद खा लेंगे और इससे अपच की संभावना हो सकती है।
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निष्कर्ष –

किसानो के लिए यह आवश्यक है कि वह भैंसों में ब्याते समय  सामान्य प्रक्रिया से पूरी तरह परिचित हो ताकि किसान  सामान्य प्रक्रिया और पैथोलॉजिकल(असामान्य) जन्म के बीच अंतर कर  सके। पशु को ब्याते समय कोई समस्या होती है तो पशु की प्रजनन क्षमता और उत्पादकता भी गिर जाती है, और किसान भाई की जरा से लापरवाही से  ब्याने की प्रक्रिया के दौरान बच्चे की जान भी जा सकती है।

 

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