गाय भैंस का हीट में आनें का पता करना।

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जब मादा पशु नर पशु को पाने को आतुर रहती है तथा हीटिंग के लिए तैयार खडी रहती है तो इस अवस्था को हीट कहा जाता है।
-किसी पशु पालक डेयरी व्यवसाय के लाभ के लिए जानवर का ब्यात के बाद जल्दी हीट में आना आवष्यक होता है। क्योंकि अगर समय पर गाय व भैंस हीट में आती है तो उसका हाई पीरियड छोटा होगा तथा पशु पालक को कम आर्थिक नुकसान होगा।

जाॅच की विधियाॅ-
1 जानवर के व्यवहार को देखकर पता लगाना – जब जानवर हीट में आता है तो उसके व्यवहार में भी परिवर्तन होता है, जो निम्नलिखित है।

जानवर का बार बार रंभाना।
जानवर बैचैनी महसूस करता है।
चारा कम खाता है।
दूध कम देता है।
बार बार पेशाब करता है।
दूसरे जानवरों पर चढता है।
जानवर की योनी से पानी जैसा स्त्राव होता है जो पतली रस्सी के समान लटका रहता है।
जब जानवर की कमर को दबाते हैं तो जानवर पूॅछ को उपर उठाकर योनी से अलग कर लेता है।
– ध्यान देने योग्य बात ये है कि जब जानवर दूसरे जानवर पर चढता है तब उसे कृत्रिम गर्भाधान नही करना चाहिए क्योंकि ये हीट के आरम्भिक लक्षण होते हैं।
– जिस पशु में हीट के लक्षण नजर आयें तथा वह दूसरे पशु को अपने ऊपर चढने दे रहा हो तो उसे स्टंडिग हीट कहते हैं जो गर्भाधान का उचित समय होता है।
2 जानवर के गुदा द्वार में हाथ डालकर पता लगाना –
– यह कार्य एक पशु चिकित्सक द्वारा किया जाता है। इस विधि में पशु चिकित्सक पशु के जननांगों को छूकर इनका सटीक विश्लेषण करता है।
– सर्वप्रथम सर्विक्स को पालपेट करते हैं। हीट में आए हुए पशु की सर्विक्स में ढीलापन होता है तथा हम अपने हाथ का अंगूठा इसके ओस में डाल सकते है। अर्थात ओस खुला रहता है।
– जब पशु हीट में नही होता है तो गर्भाशय नरम, चिकना, लचीला तथा नार्मल टोन होती है। हीट के दौरान ब्लड सप्लाई बढने तथा इस्ट्रोजन हार्मोन के असर के कारण गर्भ्शाय की टोन बढ जाती है।इस दौरान यूटेराइन हाॅर्न पालपेट करने पर थोडा कडक महसूस होता है।
– हीट के दौरान ओवरी की साइज बढ जाती है तथा ग्राफियन काॅलिक्ल भी बडा होता है।
3 वेजाइना के परीक्षण द्वारा –
– वल्वा में ढीलापन आ जाता है तथा सूजन रहती है।
– वेजाइना की म्यूकस मेम्ब्रेन में ब्लड सप्लाई बढ जाती है जिससे गुलाबी रंग अधिक गहरा दिखाई देता है।
– वेजाइना की गोबलेट कोशिकाओं में म्यूकस की मात्रा बढ जाती है।
4 टीजर बुल के द्वारा –
– कई बार पशु हीट के व्यावहारिेक लक्षण प्रकट नही करते हैं तब टीजर बुल हीट के लक्षणों को पहचानने में सहायक होते है।
– जब फार्म पर अधिक पशु होते हैं तब हीट को पहचानना मुश्किल होता है, इस अवस्था में टीजर बुल सहायक होते हैं।
– टीजर बुल को सुबह तथा शाम को पशुओं के बीच परेड करवानी चाहिए।
5 प्रशिक्षित कुत्ते द्वारा –
– जब पशु हीट में आता है तो वह कुछ फेरोमोन्स छोडता है जिन्हें सैक्स फेरोमोन्स कहा जाता है। ये फेरोमोन्स बाहरी जननांगों तथा मूत्र में उपस्थित होते है। एक प्रशिक्षित कुत्ता इन फेरोमोन्स की सहायता से पशु के हीट में होने अथवा नही होने के बारे में सूचित करता है।
6 प्रयोगशाला की सहायता से –
– प्रयोगशाला में हीट का पता करने के लिए काफी मंहगे उपकरणों की आव्यश्यकता पडती है तथा इसमें काफी समय की बर्बादी होती है और सटीक परिणामों की भी गारंटी नही होती है। यह विधि केवल प्रायोगिक कार्यों के लिए ही उपयुक्त है न कि फील्ड लेवल पर।

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डाॅ. ब्रह्मानन्द एव डाॅ. नेहा गुप्ता

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