डेयरी फार्म रिकार्ड एवं उनका महत्व

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डेयरी फार्म रिकार्ड एवं उनका महत्व
डेयरी फार्म रिकार्ड एवं उनका महत्व

डेयरी फार्म रिकार्ड एवं उनका महत्व

डॉ. रविकान्त निराला

सहायक प्रोफेसर

पशुधन उत्पादन प्रबंधन विभाग

बिहार वेटरनरी कॉलेज, पटना (बिहार)

डेयरी रजिस्टर एवं रिकार्ड फार्म के प्रबंधन का आईना होता है। यह फार्म में फार्म में प्रतिदिन घटने वाले सभी पहलूओं की जानकारी देता है।

उद्येष्य:-

(क)   यह पशुओं के आनुवांषिक विकास में मदद पहुँचाता है। रिकाडर््स के आधार पर पशुओं की कलिंग कर या सलेक्षन की मदद से उनका विकास किया जा सकता है।

(ख)   रिकार्ड के विष्लेषण से हम यह पता कर सकते हैं कि फार्मिंग में हमें नुकसान होे रहा है या फायदा/ साथ ही ज्यादा खर्च को घटाकर फायदे को बढ़ा सकते हैं।

(ग)    रिकार्ड की मदद से प्रबंधन के फैसले आसानी से एवं जल्द ले सकते हैं।

(घ)    प्रजनन संबंधी रिकार्ड एवं प्रतिदिन उत्पादन रजिस्टर की मदद से हम पशुओं का आकलन कर उनकी उत्पादन एवं पुनरूत्पादन क्षमता को बढ़ा भी सकते हैं।

रिकार्ड का वर्गीकरण

डेयरी फार्म में मौजुद विभिन्न रिकाडर््स को हम चार समुह में बाँट सकते हैं।

  1. फाइनेन्स एवं अकाॅउंट्स से संबंधित रिकाडर््स
  2. पशु अकाॅउन्टिंग से संबंधित रिकाडर््स
  3. दुग्ध उत्पादन रजिस्टर एवं
  4. पुनरूत्पादन या प्रजनन संबंधी रिकाडर््स

 

(1)          फाइनेन्स एवं अकाॅउंट्स संबंधित रिकाडर््स

इस तरह के रिकाडर््स में हम कैष बुक, लेजर, दुग्ध कुपन, बिल बुक, प्राप्ति बुक ;त्मबमपअमक ठववाद्ध माँग और संग्रह ;क्मउंदक – ब्वससमबजपवदद्ध रजिस्टर आदि को रखते हैं साथ ही अन्य तरह के रजिस्टरों में डेड स्टाॅक रजिस्टर, दाना एवं चारा रजिस्टर आदि शामिल है।

(2)          पशु अकाउन्टिंग से संबंधित रिकाडर््स

इस तरह के रिकाडर््स में हम पशुओं की संख्या घटने या बढ़ने से संबंधित जानकारी रिकार्ड करते हैं। पशुओं की संख्या उनके जन्म स,े खरीदने से बढ सकते हैं जबकि उनकी संख्या में कमी, उनकी मौत से, बिक्रि से या श्रेणी बदलाव यानि जब एक हीफर, बच्चे को जन्म देती है तो वो गाय श्रेणी में आ जाती है आदि से होती है। इसमें हम विभिन्न प्रकार के रजिस्टर देखते हैं। जैसे समुह रजिस्टर, जन्म रजिस्टर, मृत्यू रजिस्टर एवं राॅल काॅल रजिस्टर आदि।

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(3)          दुग्ध उत्पादन रजिस्टर

इस तरह के रजिस्टर में हम पशुओं के दुग्ध उत्पादन को शमिल करते हैं। इसमें पशुओं द्वारा दी गई दुग्ध की मात्रा प्रतिदिन दर्ज करते हैं। यह बहुत सारी बातों को बताती है जो डेयरी फार्म को सुचारू रूप से चलाने में मददगार साबित होते हैं। इसमें हम विभिन्न प्रकार के रजिस्टर को शामिल करते हैं। जैसे प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन रजिस्टर, माहवार दुग्ध उत्पादन रजिस्टर, आजीवन दुग्ध उत्पादन रजिस्टर ;स्पमि जपउम उपसा चतवकनबजपवद तमहपेजमतद्धए हीस्ट्री षीट ;भ्पेजवतल ेीममजद्ध आदि।

(4)          पुनरूत्पादन या प्रजनन संबंधी रिकाडर््स

इस प्रकार के रजिस्टर से हमंें पशुओं के प्रजनन संबंधी जानकारी उपलब्ध होती है तथा इससे पशुओं की छँटनी में भी मदद मिलती है। प्रजनन संबंधी रिकाडर््स डेयरी फार्म में सबसे जरूरी रिकाडर््स होते हैं। जिससे उनसे अधिकतम उत्पादन लेने में मदद मिलती है। इस तरह के रिकाडर््स में सर्विस डेट, गर्भावस्था की तिथि, बच्चा जननें की तिथि, लैक्टेषन लेन्थ और सूखा अवधि आदि को अंकित किया जाता है। इस तरह के रजिस्टरों में सर्विस बुक रजिस्टर, सर्विस लेजर, कैटल यार्ड रिपोर्ट, हीस्ट्ररी षीट आदि शामिल है।

उपरोक्त रिकाडर््स डेयरी फार्मिंग के लिए अनिवार्य हैं तथा ये पशुओं से बेहतर उत्पादन एवं पुनरूत्पादन लेने में कारीगर सिद्ध होते हैं।

Record Keeping for Dairy Cattle management on Dairy Farms : A Key to Profitable Dairy Farming

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