बर्ड फ्लू की रोकथाम हेतु मुर्गी पालकों को आवश्यक सुझाव

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बर्ड फ्लू की रोकथाम हेतु मुर्गी पालकों को आवश्यक सुझाव

संकलन: टीम लाइवस्टोक इंस्टिट्यूट ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट( एल आई टी डी)

ग्रामीण हो या शहरी क्षेत्र दोनों की जगहों पर मुर्गी पालन व्यवसाय मुनाफे का सौंदा साबित हो रहा है। आज कई किसान खेती के साथ मुर्गीपालन कर रहे हैं तो कई पशुपालक किसान खेत में ही पोल्ट्री फार्म खोल कर अपनी आय में बढ़ोतरी कर रहे हैं। इस व्यवसाय की खास बात ये हैं कि इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकार से भी सहायता मिलती है। पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए सरकार की ओर से लाभार्थी को सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। आज पोल्ट्री फार्म तेजी से बढऩे वाले व्यवसायों में गिना जाने लगा है। ऐसे में मुर्गियों को बचाने की जिम्मेदारी भी अहम हो जाती है।

बर्ड फ्लू का वायरस पूरी दुनिया में पोल्ट्री व्यवसाय के लिए गले की हड्डी बन गया है, क्योंकि यह ना दिखने वाली बीमारी से लेकर ऐसे घातक लक्षण दिखाने वाली बीमारी करता है जिसमें 100% मृत्यु निश्चित होती है| नुकसान न पहुंचाने वाले वायरस और घातक वायरस के प्रोटीन में सिर्फ एक अमीनो एसिड का ही फर्क होता है,

इसीलिए हमें ना सिर्फ इस बात का पता लगाना चाहिए कि कोई भी बर्ड फ्लू का वायरस कितना खतरनाक बीमारी कर रहा है, बल्कि इस बात पर भी नजर करनी चाहिए कि कोई वारस कितना घातक बनने की क्षमता रखता है| यह इसलिए क्योंकि बर्ड फ्लू का वायरस अपने चेहरे बदलता रहता है इसके लिए अब तक कोई व्यक्ति नहीं बनाई जा सकी है

बर्ड फ्लू का वायरस एक और बात में अनोखा है, क्योंकि यह मुख्यता पालतू मुर्गियों को छोड़कर जंगली पक्षियों जैसे बत्तख जल मुर्गी पक्षी आदि में भी मिलता है इस वजह से इसे पूरी तरह से नहीं मिटाया जा सकता है, और तो और इन जंगली पक्षियों में यह कोई लक्षण भी नहीं दिखाता इसके विश्व व्यापक होने के कारण यह मनुष्य में भी बीमारी करने की क्षमता रखता है| इन्हीं सब कारणों के चलते बर्ड फ्लू का वायरस एक मुख्य परेशानी है, जिसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल है|

बर्ड फ्लू के वायरस का वैज्ञानिक शब्दावली में इनफ्लुएंजा वायरस के नाम से जाना जाता है, जो कि RNA वायरस है, यह तीन रूपों में मिलता है| A, B, C हालांकि सिर्फ A स्टेन वायरस जानवरों और पक्षियों में बीमारी करता है, इस वायरस में 8 तरह के जीनोम होते हैं| जिन से अलग-अलग वायरल प्रोटीन बनते हैं, इनमें Hemagglutinin (HA) और Neuraminidase (NA) सबसे महत्वपूर्ण होते हैं| क्योंकि मुख्य रोग इन्हीं के द्वारा होता है, और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी इन्हीं तत्वों के खिलाफ काम करती है|

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लगभग 16 तरह के Hemagglutinin (HA) (1-16) प्रोटीन होते हैं, और 9 तरह के Neuraminidase (NA) (1-9) प्रोटीन होते हैं, इन्हीं प्रोटीनओ के संयोजन के आधार पर वायरस का नाम रखा जाता है| जैसे H5N1, H7N7, ऐसे संयोजन के आधार पर 144 अलग-अलग तरह के वायरस तैयार हो सकते हैं, इसीलिए इनके प्रति वैक्सीन बनाना नामुमकिन सा लगता है|

बर्ड फ्लू पक्षियों में होने वाली एक खतरनाक बीमारी

बर्ड फ्लू पक्षियों में होने वाला एक खतरनाक रोग है। यह रोग बहुत तेजी से फैलता है। यह रोग पूरे के पूरे पोल्ट्री फार्म को तबाह कर सकता है। इस रोग से ग्रसित मुर्गियां एक-एक कर मरने लगती है। इस कारण हर साल लाखों मुर्गियों को सिर्फ इसलिए मार दिया जाता है ताकि बर्ड फ्लू का संक्रमण न फैल पाए। कई बार ये संक्रमण इतना अधिक हो जाता है कि मनुष्य तक में पहुंच जाता है। इसे देखते हुए बर्ड फ्लू से बचाव की जानकारी हर पशुपालक किसान और पोल्ट्री फार्म व्यवसाय करने वालों को होनी जरूरी है ताकि समय रहते इससे बचाव किया जा सके और संभावित नुकसान से बचा जा सकें। आज हम पशुधन प्रहरी के माध्यम से आपको बर्ड फ्लू से मुर्गियों को बचाने की जानकारी दे रहे हैं।

क्या होता है बर्ड फ्लू

बर्ड फ्लू मुख्य रूप से पक्षियों में तेजी से फैलने वाली खतरनाक बीमारी है। यह बीमारी एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस एच 5 एन 1 की वजह से होती है। इसे बर्ड फ्लू को एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस नाम से भी जाना जाता हैं। बर्ड फ्लू का संक्रमण चिकन, टर्की, गीस, मोर और बत्तख जैसे पक्षियों में तेजी से फैलता है। यह इन्फ्लूएंजा वायरस इतना खतरनाक होता है कि इससे इंसान व पक्षियों की मौत भी हो सकती है। अभी तक एच 5 एन 1 और एच 7 एन 9 को बर्ड फ्लू वायरस को ही इसके लिए जिम्मेदार माना जाता था लेकिन अब एच 5 एन 8 वायरस भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है।

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बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षियों में दिखाई देने वाले लक्षण

बर्ड फ्लू के जिम्मेदार वायरस एच 5 एन 1 हानिकारक वायरस है जो पक्षियों को तेजी से संक्रमित करता हैं। इससे संक्रमित पक्षियों के पंख झडऩे लग जाते हैं, उन्हें बुखार होने लगता है। संक्रमण पक्षियों के शरीर का तापक्रम सामान्य से काफी अधिक हो जाता है और संक्रमण अधिक बढऩे पर पीडि़त पक्षी की मौत हो जाती है। बर्ड फ्लू से संक्रमित मुर्गियों में जो लक्षण देखे गए उनमें से कुछ लक्षण इस प्रकार से हैं-

  • पक्षी की आंख, गर्दन और सिर के आसपास सूजन आना
  • कलंगी और टांगों पर नीलापन आ जाना
  • अचानक पंखों का गिरना शुरू होना
  • पक्षी के आहार लेने में कमी हो जाना
  • पक्षी के शरीर में थकान और सुस्ती आना
  • पक्षी का अचानक मर जाना

इंसानों के लिए भी खतरनाक है बर्ड फ्लू

बर्ड फ्लू पक्षियों से इंसानों में भी फैल सकता है। हालांकि ऐसे कम ही मामले सामने आए हैं फिर भी कुछ मामलों में ऐसा पाया गया है कि बर्ड फ्लू की बीमारी पक्षियों से पक्षियों और फिर इंसानों तक पहुंची है और एक इंसान से दूसरे इंसान में इसका संक्रमण फैल सकता है। इसलिए ये बीमारी न केवल पक्षियों के लिए घातक है बल्कि मनुष्यों के लिए भी जानलेवा हो सकती है।

बर्ड फ्लू से मुर्गियों सहित अन्य पक्षियों को बचाने के उपाय

बर्ड फ्लू से मुर्गियों सहित अन्य पक्षियों को बचाने के लिए हम कुछ उपाय कर सकते हैं। इन उपायों से काफी हद तक बर्ड फ्लू को फैलने से रोका जा सकता है। ये उपाय इस प्रकार से हैं-

  1. दो प्रजाति के पक्षियों को एक ही बाड़े में नहीं रखें

कई बार देखा जाता है कि कम जगह होने की स्थिति में पक्षी पालक दो प्रजाति के पक्षियों या जानवरों को एक ही स्थान पर रखने लग जाते हैं। जैसे- मुर्गी के साथ तीतर, बटेर आदि पक्षियों को एक साथ रखते हैं। ऐसे में बर्ड फ्लू होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। यदि इनमें से यदि एक पक्षी भी बर्ड फ्लू से संक्रमित हुआ तो वह बाड़े के अन्य प्रजाति के पक्षियों को भी संक्रमित कर देगा। इससे ट्रांसमीशन की दर बढ़ जाएगी। और ये बीमारी मुर्गी तक ही नहीं, तीतर, बटेर तक फैल जाएगी। इसलिए कभी भी अलग-अलग प्रजाति के पक्षियों को एक बाड़े में नहीं रखें। हर प्रजाति के पक्षियों और जानवरों के लिए अलग-अलग बाड़े की व्यवस्था करें, ताकि संभावित संक्रमण से बचा जा सके।

  1. पोल्ट्री फार्म में बाहरी व्यक्ति और पक्षी पर रोक (Poultry Farming)
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बर्ड फ्लू एक ऐसी बीमारी है जो एक पक्षी या जानवर से दूसरे में बड़ी तेजी से फैलती है। इसमें ट्रांसमीशन का खतरा सबसे अधिक होता है। इसलिए पोल्ट्री फॉर्म में बाहरी पक्षियों के प्रवेश पर रोक लगानी चाहिए। यही नहीं बाहरी व्यक्ति को भी पोल्ट्री फार्म के अंदर प्रवेश नहीं देना चाहिए। ऐसा इसलिए कि यदि पोल्ट्री फार्म में आने वाला बाहरी व्यक्ति या पक्षी बर्ड फ्लू से पीडि़त है तो ये आपके और आपके पोल्ट्री फार्म के लिए बड़ा खतरा हो सकता है।

  1. नए पक्षी को पोल्ट्री फार्म में लाने से पहले करें ये काम

यदि आप पोल्ट्री फार्म में नया उपकरण या कोई नया पक्षी लाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले उसे आवश्यक दवाओं के छिडक़ाव से उसे संक्रमण मुक्त किया जाना चाहिए। ऐसा ही उपकरण के प्रयोग से पहले करें। इससे काफी हद तक बर्ड फ्लू के खतरें से बचा जा सकता है। यदि आप आपने पोल्ट्री फार्म के लिए नए चूजे लेकर आ रहे हैं तो उन्हें कम से कम 30 दिनों के बाद ही स्वस्थ्य चूजों के साथ रखा जाना चाहिए। इस दौरान 30 दिनों तक चूजों की निगरानी भी की जानी चाहिए ताकि बर्ड फ्लू के जैसे कोई भी लक्षण दिखाई दे तो उसे रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं जा सकें।

  1. पोल्ट्री फार्म की नियमित साफ सफाई पर दें ध्यान

पोल्ट्री फार्म की साफ-सफाई पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। इसके लिए पक्षियों के रखने के बाड़े को स्वच्छ रखें। इसके लिए पोल्ट्री फार्म की नियमित साफ-सफाई अवश्य करें। समय-समय पर चूने के घोल का छिडक़ाव करें। मुर्गियों को बाड़े में आवश्यकता से अधिक मुर्गियां को न रखें। बाड़े की क्षमता के अनुरूप ही मुर्गियां रखें ताकि उन्हें पर्याप्त स्थान और दूरी मिल सके जिससे बर्ड फ्लू होने का खतरा कम होगा।

 

बर्ड फ्लू की रोकथाम हेतु मुर्गी पालकों को आवश्यक सुझाव

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