एकीकृत खेती या मिश्रित खेती कृषि के लिए वरदान

0
105
INTEGRATED FARMING SYSTEM OR MIXED FARMING SYSTEM : BOON OF FARMING

एकीकृत खेती या मिश्रित खेती कृषि के लिए वरदान

    डॉ धर्मेन्द्र कुमार , डॉ नीलम टान्डिया , डॉ प्रिया सिंह एवं  डॉ योगेश अगस्त्जी चतुर 

   कॉलेज ऑफ़ वेटेरिनरी साइंस एंड एनिमल हसबेंडरी,  रीवा (म.प्र.)

भारत की आत्मा कृषि में बसती है ओर कृषक देश कि अर्थ व्यवस्था कि रीड कि हड्डी है | आत्मा को समृध एवं रीड की हड्डी को सुद्रिड बनाने हेतु, किसान को मजबूत करना होगा | हमारे यसस्वी प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी  ने अनेको बार कहा है कि भारत किसानों का देश है ओर इस अमृत्काल में हमारा लक्ष्य, किसानो कि आय को दोगुनी करना है | ज्यों ज्यों समय का चक्र बढता जा रहा है, भारत की जनसँख्या तीव्र गति से बदती जा रही है | आज हम जनसँख्या में चीन को पछाड़ते हुए विश्व में प्रथम स्थान पर पहुँच चुके हैं | यह एक सर्वविदित सत्य है, कि भारत के क्षेत्रफल में कोई वृद्धि नहीं हो सकती | आज कंक्रीट के जंगल के कारण, खेती योग्य भूमि सिकुड़ती जा रही है | मनुष्य को जीवित रहने हेतु सिर्फ ओर सिर्फ अन्न कि अव्यस्यकता है, और वो सिर्फ किसान ही उगा सकते हैं | जीवन के अन्य संसाधन सिर्फ जीवन यापन में सहायता कर सकती है| जिस प्रकार हवा, पानी ओर सूर्य की किरण जीवन के लिए अति अवश्यक है, इनके बिना जीवन एक पल भी नहीं चल सकता, उसी प्रकार भोजन के बिना मनुष्य जिन्दा नहीं रह सकता |  इन सबको ध्यान में रखकर हम कह सकते हैं कि जीवन यापन हेतु चार अव्यव अति महत्वपूर्ण हैं, ये हैं, हवा, पानी, सूर्य ओर भोजन | इन चारों के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती |  किसानों की आय दोगुनी करने हेतु, हमें उपलब्ध भूमि पर ही खेती करनी पड़ेगी | आज एक छोटे किसान के पास एक से डेड एकड़ जमीन हीं रह गयी है | अतः हमें समकेतिक खेती या मिश्रित खेती की ओर बढ़ना पड़ेगा | एकीकृत खेती कोई नया आविष्कार नहीं हैं, हमारे पूर्वज युगों युगों से मिश्रित खेत पर निर्भर थे | हरित क्रांति के उपरांत किसान एक तरह के फसल पर ध्यान देना शुरु कर दिए| किन्तु एक प्रकार के खेती से फसलों के मूल्य नहीं मिल पातें ओर ये जमीन के उर्बर्ता को भी क्षति पहुंचाती हैं | अति बृष्टि, अनाब्रिष्टि या कोई प्राकृतिक प्रकोप के कारण अगर कभी ये फसलें बर्बाद हो जाती है तो किसानो को भूखे मरना पड़ता है | धीरे धीरे हीं सही किसानो को अब समझ आ रहा है की अगर उन्हें अपने भूमि की उर्वरता को ठीक रखना है या फिर भारी नुकसान से बचना है तो उन्हें हमारे पूर्वजों द्वारा अपनाई जाने वाली एकीकृत या मिश्रित खेती को फिर से अपनाना पड़ेगा | एकीकृत खेती में किसान अपने भूमि के टुकड़ों को कई भाग में बाँट देता है ओर इनमें खेती के साथ साथ पशुपालन, मुर्गी पालन, बतख पालन, मछली पालन , बकरी पालन, सूअर पालन को भी अपनाता है | एकीकृत या मिश्रित खेती से फायदा यह है की अगर किसान को किसी एक इकाई में नुकसान होता है तो अन्य इकाई उस नुकसान कि  क्षतिपूर्ति कर देता है | साथ ही साथ किसी एक इकाई की उपसिष्ट किसी दुसरे इकाई में काम आ जाता है, उद्धरण के लिए मुगियों या बत्तखो का बिस्टा मछलियों के काम आ जाती है, दुधारू पशुओं का मल मूत्र खेतों में खाद के तरह काम आता है | 

READ MORE :  MODERN TECHNIQUE & METHOD OF FISH CUM DUCK INTEGRATED FARMING IN INDIA

एकीकृत खेती हेतु २ एकड़ भूमि में बिभिन्न इकाइयों की स्थापना 

न, इकाई भूमि
१. फसल  १.५ एकड़
२.  कृषि वानिकी  ०.५ हेक्टेयर सब्जी ओर फल/ मेड वृक्षारोपण .
३.  पशुपालन + चारा इकाई ५ कट्ठा
४.  मतस्य पालन  २.५ कट्ठा 
३. बकरी पालन ५  कट्ठा
४. मुर्गी पालन   १ कट्ठा
५. बतख पालन १ कट्ठा   
६.  मधुमक्खी पालन वानिकी के साथ 
७. कम्पोस्ट इकाई .२५कट्ठा
८. बायोगैस इकाई  .२५ कट्ठा

 

उपरोक्त आवंटित भूमि किसान अपने अनुसार बढा या घटा सकता है | किसान अगर कोई इकाई जोड़ना या घटना चाहता है तो वो स्थान के उनुसार, उप्लभ्द्ता के उनुसार, खान पान के उनुसार या बाजार के उनुसार किसी इकाई को जोड़ या घटा सकता है | किसान के पास अगर ज्याद या कम भूमि उपलध है तो ऊपर दिए भूमि के गुणांक से भूमि ज्यादा या कम आवंटित कर सकते हैं | 

  1. फसल – कृषक भाई साल भर में रवि ओर खरीफ फसल ले सकते हैं| रवि फसलों में गेहूं, मटर, चना, सरसों, इत्यादि ओर खरीफ फसलों में चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंगफली इत्यादि ले सकते हैं | ये फसलें किसान भाई के पूरे परिवार के साल भर के खाने के काम आयेंगे ओर इनके उपसिस्ट जैसे कि पैरा, भूसा, चुन्नी, खली इत्यादि पशुओं को  साल भर का खाना प्रदान करेगी | इससे पशु मालिक को ना ही अपने खाने की, ना ही पशुओं के खाने की फिक्र करनी पड़ेगी | 
  2. कृषि वानिकी – कृषि वानिकी में फलदार एवं फर्नीचर योग्य वृक्ष  मेढ़ों पर लगाने से ये साल भर फल देंगे एवं परिपक्व होने पर घर एवं बाजार में बेचने हेतु कास्ट देंगे जो किसानो के परिवार सहित उनके आमदनी का स्रोत भी होगा | खेतो में साल भर किसान बंधू हरी सब्जी लगा सकते हैं | इसके अतरिक्त मधु मक्खी को रखने के लिए भी ये स्थान अति उत्तम होगा |
  3. पशुपालन + चारा इकाई – कृषक भाई को पशुपालन के लिए ५ कट्ठा भूमि आवंटित की गयी है इसमें २.५ कट्ठा पशु के रहने और स्टोर क लिए सेस २.५ कट्ठा भूमि, चारा उगाने के लिए | कृषक भाइयों को ध्यान देना होगा की प्रतेक गाय के लिए २०-३० वर्ग फूट ढका जगह एवं ८० – १०० वर्ग फूट खुला जगह चाहिए, इसी तरह प्रतेक भैस को २५-३५ वर्ग फूट ढका जगह एवं ८० – १०० वर्ग फूट खुला जगह चाहिए | अगर पशु पालक ५ गाय या भैस या इन दोनों को रखे तो ये ना सिर्फ उनके परिवार का ध्यान रखने के लिए सक्षम है, अपितु इससे पशु पालको को साल भर की आमदनी भी होगी | इसके अतरिक्त पशुओं का गोबर एवं मूत्र गोबर गैस एवं खेतो के लिए खाद को भी उत्पन्न करेगा |  चारा में पशुपालक लुसर्न, बरसीम लोबिया इत्यादि लगा सकते है| ये पशु को साल भर हरा चारा उपलब्ध करेगा ओर पशु के दूध देने की क्षमता को बढाएगा |
  4. मतस्य पालन – मतस्य पालन हेतू किसान भाई २.५  कट्ठे का एक तलाब बनवा सकते हैं | इसमें २ कट्ठे का मुख्या तालाब ओर .५ कट्ठे का हैचरी | तालाब बर्षा ऋतू में जल संचय का अति उत्तम स्रोत है, ओर यह भूमिगत जल भी बनाये रखता है | मछलियों में किसान भाई कतला , रेहू, मृगला सिल्वर कार्प इत्यादि रख सकते हैं | मछली के खाद्य हेतु मुर्गियों के उप्सिस्ट बहुत ही अच्छा स्रोत है | यह सिर्फ पैसे ही नहीं बचाते अपितु उपसिस्ट प्रबंधन का एक बहुत ही अच्छा तरीका है | मछलियों का जो भी उपसिस्ट निकलता है, उसे फसल, वानिकी एवं चारा  इकाई में आर्गेनिक खाद की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं |
  5. बकरी पालन – बकरी पालन हेतु किसान बंधूओ को वैसे नस्ल को चुनना पड़ेगा जो उस स्थान में पायी जाती हो ओर जिसका मांस स्वादिस्ट है या फिर जो ज्यादा बच्चे देती हो | किसान भाई ब्लैक बंगाल, बीटल, सिरोही इत्यादि का चयन कर सकते हैं | वानिकी के लिए उगाये गए पत्ते, चारा इकाई में उगाये गए चारा एवं फसल इकाई के उपसिस्ट बकरियों के खाने के लिए अति उत्तम होता है | इसके अतरिक्त बकरी पालन के उपसिस्ट बायो गैस या खाद बनाने के लिए प्रयोग होता है | बकरी के बच्चे जब साल भर की हो जाए, तो इनको बाजार में बेच देना चाहिये, इससे निरंतर आय का एक स्रोत बना रहता है |
  6. मुर्गी + बत्तख पालन- मुर्गी एवं बत्तख पालन २ कट्ठे भूमि पर की जा सकती है | किसान बंधू २ कट्ठे भूमि पर डीप लीटर सिस्टम के तहत १०० मुर्गे ओर ५० बत्तख रख सकते हैं | इनको बाद में आवस्यकता अनुसार बढाया भी जा सकता है | मुर्गियों ओर बत्तखों को खुले बाड़े ओर वानिकी इकाई  में छोड़ सकते हैं | बत्तखों को तालाब में छोड़ने से ये जल को स्वच्छ बनाये रहेंगे ओर इनके बिस्टा मछलियों को भोजन प्रदान करेगी | 
  7. मधुमक्खी इकाई – वानिकी के साथ कृषक मधु मक्खी भी पाल सकते हैं, ये उनको आर्थिक रूप से सुद्रिड बनायेगा | मधुमक्खी पालन हेतु किसान भाइयों को किसी कृषि विज्ञानं केंद्र से ट्रेनिंग लेनी पडेगी| मधु को पैकेजिंग कर किसान खुद ही बाज़ार में वितरण कर सकते हैं या फिर ऑनलाइन बेच सकते हैं | उत्तम मधु का एक बड़ा बाज़ार है | ये ना सिर्फ खाने का काम आता है अपितु पूजा पाठ में भी उपयोग होता हैं |
  8. बायोगैस इकाई – पशुपालन इकाई के गोबर ओर मूत्र एवं बकरी पालन के गोबर एवं मूत्र ,बायो गैस हेतु प्रयुक्त होता हैं, इससे किसान भाई को बिजली ओर इधन की आपूर्ति हो जायेगी |  इससे निकला गोबर कम्पोस्ट इकाई में खाद बनाने के काम आ जाएगा|
READ MORE :  The Integrated Farming System (IFS)

अंत में ये कहा जा सकता है की अगर किसान बंधू मिश्रित खेती करे तो उनको कभी भी हानि नहीं होंगी ओर अगर किसी कारण से किसी इकाई में नुकसान होता है तो दूसरी इकाई इसका भरपाई कर देगा | यह पद्धति किसान भाइयों को आर्थिक समृद्धि प्रदान करेगा| किसान भाई अपने भूमि के उप्लभ्द्ता के अनुसार ओर स्थानीय प्रस्तिथियों के अनुसार अन्य इकाइयाँ जोड़ या घटा सकते हैं | 

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON