झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ का आज दूसरा दिन भी आंदोलन जारी-प्रदेश भर के पशुचिकित्सा पदाधिकारियों ने दूसरा दिन भी काली पट्टी बांधकर अपना आक्रोश व्यक्त किया

0
302

झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ का आज दूसरा दिन भी आंदोलन जारी-संघ ने कहा कि सेवा नियमावली के अनुसार सरकार कार्य करें

प्रदेश भर के पशुचिकित्सा पदाधिकारियों ने दूसरा दिन भी आंदोलन काली पट्टी बांधकर अपना आक्रोश व्यक्त किया

पशुधन प्रहरी नेटवर्क

रांची (झारखंड) ; 3 जुलाई, 2020

झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ प्रदेश के पशु चिकित्सकों के भविष्य को लेकरके अत्यंत चिंतित है कि राज्य सरकार सेवा नियमावली को दरकिनार कर सेवा शर्तों के विरुद्ध कार्य कर रही है। जिसका नतीजा है कि प्रदेश भर के पशुचिकित्सक अपने भविष्य को लेकर के अत्यंत चिंतित है। पिछले कई महीनों से लगातार सरकार से अनुरोध करते आ रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है और न नियमानुसार प्रशासन कार्य कर रहा है। झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ के अनुसार पशुपालन विभाग में पदाधिकारियों के सेवा निवृति उपरांत निकासी एवं व्ययन पदाधिकारियों के पद 5 या 6 महिनों से रिक्त चल रहे है। जिसके चलते कुछ जिलो के कार्यालयों की स्थापना के अन्तर्गत आने वाले पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों की वेतन निकासी बाधित हो गई है।साथ ही साथ प्रशासनिक लापरवाही के कई उदाहरण सामने आए हैं।

झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह बताया गया है कि झारखंड राज्य को छोड़ कर के शायद कोई राज्य होगा जहां पर पशु चिकित्सकों की सेवाओं का बेहतर उपयोग नहीं हो रहा और सेवा नियमावली के अनुसार अधिकारियों को समुचित सुविधा देने में कोताही बरती जा रही होगी। संघ का कहना है कि पशुपालन विभाग के विभागाध्यक्ष पशुपालन निदेशक होते है जिनके स्तर से पूरे राज्य में विभाग के कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों के वेतन सहित सभी योजनाओं का आवंटनादेश निर्गत किया जाता है। साथ ही निदेशक स्तर से रिक्त पदोें पर पदस्थापना न हो पाने की स्थिति में निकासी एवं व्ययन का विभागीय शक्ति जिला के सक्षम एवं योग्य वरीय पदाधिकारी को प्रत्यायोजन किया जाना चाहिए था जो नहीं हो रहा है।इस संबंध में संघ द्वारा अनेक स्मरण पत्र देने के बाद भी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

READ MORE :  By 2040, 60% of “meat” won’t come from dead animals

संघ का कहना है कि कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के संयुक्त निदेशक-सह-संयुक्त सचिव ने प्रभावित जिलो में रिक्त पदों पर वेतनादि की निकासी करने के लिए जिला उपायुक्त को अपने स्तर से कार्रवाई करने का अप्रत्याशित पत्र प्रेषित किया गया है। जिसमे उपायुक्तो को अपने स्तर से वेतनादि की निकासी हेतु विभागीय शक्ति सक्षम पदाधिकारी को प्रत्यायोजित किया जाने का निदेश दिया गया है।इसी संदर्भ में उपायुक्त महोदय, पलामु द्वारा गैर संवर्गीय जिला मत्स्य पदाधिकारी को जिला एवं प्रमण्डल स्तरीय पदों के लिए निकासी एवं व्ययन का विभागीय शक्ति प्रत्यायोजित किया गया है, जो वैधानिक रुप से नियम विरुद्ध है। इन्हीं सारे मामलों को लेकर के झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ अपनी सब्र की सीमा तोड़ चुका है और मजबूर होकर के आंदोलन करने के लिए उतारू हुआ है।

विज्ञप्ति में एतराज करते हुए कहा गया है कि जिला मत्स्य पदाधिकारी का वेतनमान 9300-34800, ग्रेड – पे 4800 है, जबकि पशुपालन पदाधिकारियों का मूल कोटि स्तर का वेतनमान 9300-34800, ग्रेड पे 5400 है। उपायुक्त पलामु द्वारा उच्चतर वेतनमान के पदाधिकारी के वेतनादि की निकासी हेतु निम्न वेतनमान के पदाधिकारी को विभागीय शक्ति प्रत्यायोजित किया जाना नियमानुकूल नही है। ठीक उसी तरह क्षेत्रीय निदेशक पशुपालन का पद प्रमण्डल स्तर का है और उसके स्थापना का विभागीय शक्ति का प्रभार का आदेश निर्गत करना उनकी अधिकारिता की सीमा से परे है तथा प्रख्यातित नियमो के पूर्णतः प्रतिकूल है। यह पशुपालन सेवा संवर्ग के लिए अपमान जनक एवं कैडर के पदाधिकारियों के मनोबल को गिराता है।

यह बता दें कि झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ का प्रदर्शन पर उतरने का मुख्य कारण यह भी है कि उपायुक्त द्वारा पशुपालन विभाग के स्थापना/कार्यालय का निकासी एवं व्ययन का आदेश अराजपत्रित पदाधिकारी को देना विभागीय अराजकता के साथ-साथ गलत परम्परा को मान्यता देना हैै। पशुपालन विभाग के पदो पर भारतीय पशुचिकित्सा परिषद/झारखण्ड पशुचिकित्सा परिषद में निबंधित पशुचिकित्सा पदाधिकारी का होना अनिवार्य है। उपायुक्त महोदय, पलामु ने भारतीय पशुचिकित्सा परिषद की अधिनियम 1984 के अध्याय 04 के नियम 30 का सीधा उलंधन किया है, तथा संवैधानिक संकट खडा कर दिया है।

READ MORE :  लुवास ने अपने सोशल मीडिया पेज से शुरू की ऑडियो-वीडियों न्यूज़ सर्विस

संघ का मानना है कि एक अति महत्वपूर्ण तकनीकि विभाग को जानबुझ कर पंगु बनाने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य स्तरीय झारखण्ड पशु चिकित्सा सेवा संघ ने इन वैधानिक विसंगतियों की त्रुटि को शीघ्र दूर करने का सरकार से लगातार अनुरोध किया है, परन्तु सरकार स्तर से अब तक सार्थक प्रयास परिणत नहीं हुआ है। इन्ही विसंगतियों के विरुद्ध झारखण्ड पशु चिकित्सा सेवा संघ की केन्द्रीय कमेटी ने विरोध स्वरुप 02 जुलाई 2020 से 04 जुलाई 2020 तक तीन दिनों का काला बिल्ला लगा कर अहिसात्मक एवं सांकेतिक विरोध का निर्णय लिया है। जिसके फलस्वरुप जिला ईकाई के सभी सदस्य (पशुपालन सेवा संवर्ग के पदाधिकारी) तीन दिनों तक काला बिल्ला लगाकर अपना विरोध प्रकट कर रहें है, ताकि सरकार स्तर से पशुपालन कैडर की अनदेखी न की जाए।

झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ अध्यक्ष ने बताया कि आज विरोध का दूसरा दिन है। राज्य एवं जिला के सभी पशु चिकित्सा पदाधिकारियों दवारा आंदोलन लगातार जारी है और यह सेवा नियमावली के तहत अपने अधिकार को प्राप्त करके रहेगा। राज्य सरकार द्वारा पशु चिकित्सा पदाधिकारियों के नियमानुसार सेवा संबंधी मौलिक अधिकारों के खिलाफ कुछ भी होता है तो उसका विरोध किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि आज दूसरा दिन भी पूरे प्रदेश के पदाधिकारियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया,खास करके हजारीबाग खूँटी पलामू जिला में पदाधिकारियों ने काला बिल्ला लगाकर मासिक बैठक में भाग लिया और अपना ऐतराज़ प्रकट किया।

निवेदक
डाँक्टर बिमल कुमार हेमबरम
अध्यक्ष
डाँक्टर धरमरझित विधार्थी
(9431326476)
महामंत्री
डाँक्टरशिवानंद काशी
प्रचार मंत्री
झारखण्ड पशुचिकितसा
सेवा संघ

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON