डेयरी मवेशियों में एंटरिक मीथेन उत्सर्जन

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METHANE EMISSION FROM DAIRY CATTLE

डेयरी मवेशियों में एंटरिक मीथेन उत्सर्जन

दिव्यांशु पांडे¹,  नीलम पुरोहित²,  अंकिता भोसले3, श्रुति गुप्ता4

1पीएचडी, पशु आनुवांशिकी एवं प्रजनन विभाग, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा -132001

2, 3, 4 स्नातकोत्तर, पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा–132001

 

जलवायु समस्या में मीथेन की भूमिका बढ़ती ही जा रही है। यह प्राकृतिक गैस का एक प्राथमिक घटक है और यह एक तुलनात्मक समय में वायुमंडलीय CO2 की तुलना में 80 गुना अधिक तेज़ी से पृथ्वी को गर्म करने की क्षमता रखती है।

मीथेन पर कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में बहुत कम ध्यान दिया गया है, लेकिन हाल ही में यूक्रेन युद्ध के प्रसंग में और पर्मियन बेसिन में (संयुक्त राज्य अमेरिका का एक जीवाश्म ईंधन समृद्ध क्षेत्र) गैस के रिसाव पर नए शोध के कारण यह चर्चा में रही है।

हालाँकि वायुमंडल में मीथेन की वृद्धि हो रही है, लेकिन वैज्ञानिकों के बीच इस बात पर कोई सहमति नहीं है कि विभिन्न स्रोतों से किस मात्रा में मीथेन का उत्सर्जन हो रहा है।

मीथेन अधिक हानिकारक क्यों है?

  • मीथेन एक अदृश्य गैस है जो जलवायु संकट को पर्याप्त रूप से बढ़ा सकती है। यह एक हाइड्रोकार्बन है जो प्राकृतिक गैस का प्रमुख घटक है और इसका उपयोग ईंधन के रूप में स्टोव जलाने, घरों को गर्म करने और उद्योगों को ऊर्जा प्रदान करने के लिये किया जाता है।
  • मीथेन को कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में एक अधिक मोटे कंबल के रूप में देख सकते हैं जो अपेक्षाकृत कम अवधि में ग्रह को अधिक सीमा तक गर्म करने में सक्षम है। पृथ्वी के तापन पर इसका तत्काल प्रभाव पड़ता है। हालाँकि, कार्बन डाइऑक्साइड—जो सैकड़ों वर्षों तक वायुमंडल में रहती है, के विपरीत मीथेन लगभग एक दशक तक ही वायुमंडल में रहती है।
  • मीथेन प्रदूषण, जो ज़मीनी स्तर के ओज़ोन का एक प्राथमिक घटक है और बेंजीन जैसे जहरीले रसायनों के साथ उत्सर्जित होता है, हृदय रोग, जन्म दोष, अस्थमा और अन्य प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों से संबद्ध है।

 

पर्मियन बेसिन में हाल के उत्सर्जन 

  • इन्फ्रारेड कैमरों से लैस हेलीकॉप्टरों एवं ड्रोन की मदद से प्राप्त सूचनाओं और उपग्रह छवियों ने अमेरिका के टेक्सास और न्यू मैक्सिको में पर्मियन बेसिन से बड़ी मात्रा में मीथेन के रिसाव को दिखाया है।
  • ‘एनवायरमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन ने अनुमान लगाया है कि अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी द्वारा अनुमानित 1.4% के विपरीत, पर्मियन बेसिन में 9% से अधिक गैस उत्पादन उत्सर्जन के रूप में लीक हो रहा है।
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जुगाली करने वाले पशुओं के मीथेन उत्सर्जन में कमी लाना

मीथेन एक प्रबल ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) है जो जुगाली करने वाले पशुओं द्वारा आहार के एंटेरिक किण्वन के परिणामस्वरूप उत्सर्जित होती है। कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में इसकी भूमंडलीय ऊष्मीकरण की क्षमता 28 गुना अधिक होने के कारण, मीथेन को वैश्विक जलवायु परिवर्तन के लिए प्रमुख जिम्मेदार कारक के रूप में माना जाता है। एंटेरिक किण्वन से 10.09 मिलियन टन मीथेन उत्सर्जित होता है और भारत में कृषि क्षेत्र से कुल मीथेन उत्सर्जन के 73.3% के लिए जिम्मेदार है (INCCA, 2010)। भैंस अपने उच्च मीथेन उत्सर्जन गुणांक यानी 50 किग्रा/पशु/वर्ष (NATCOM, 2004) के कारण मीथेन का सबसे बड़ा उत्सर्जक है और वर्ष 2003 के लिए पशुधन क्षेत्र से कुल मीथेन उत्सर्जन का 42% हिस्सा है। रुमेन में फ़ीड और चारे के माइक्रोबियल किण्वन के परिणामस्वरूप VFA, माइक्रोबियल प्रोटीन, H2 और CO2 का उत्पादन होता है। आज वैज्ञानिक, गाय के चारे के नए विकल्पों का अध्ययन कर रहे हैं, जो कम मीथेन पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए, वैज्ञानिक गायों के भोजन में समुद्री शैवाल मिलाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि समुद्री शैवाल, विशिष्ट एंजाइम को रोक सकते हैं। 2018 के एक प्रयोग से पता चला है कि गाय के आहार में समुद्री शैवाल को शामिल करने से, उनके मीथेन उत्पादन में आधे 50% तक की कमी आ सकती है! लेकिन इसके साथ एक समस्या यह है की, गायों को समुद्री शैवाल का नमकीन स्वाद बहुत पसंद नहीं होता है! एक वर्ष में, एक गाय एक अल्पकालिक लेकिन शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस, लगभग 220 पाउंड मीथेन का उत्सर्जन कर सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार अगले कुछ दशकों में, गोमांस और डेयरी की खपत 70% तक बढ़ जाएगी। अगर गायों की संख्या उम्मीद के मुताबिक बढ़ती है, तो इससे ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) भी निश्चित तौर पर बढ़ेगी।

जुगाली करने वाले पशुओं में, रूमेन माइक्रोब्स जैसे बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ और कवक के रूप में जीवाणु पाये जाते हैं जो पशु द्वारा खाये गए आहार को किण्वित करके वोलाटाइल फैटी एसिड (वीएफए), माइक्रोबियल प्रोटीन, कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन जैसे विभिन्न उत्पादों मे विभाजित करते हैं। रुमेन की एनरोबिक स्थितियों के अंतर्गत, मेथानोजेनिक बैक्टीरिया मीथेन निर्माण के लिए हाइड्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं, जो मुख्य रूप से डकार के माध्यम से जुगाली करने वाले पशुओं द्वारा उत्सर्जित होता है। जुगाली करने वाले पशु कुल लगभग 4-12 प्रतिशत ग्रहण की गई एनर्जी को मीथेन के रूप में उत्सर्जित करके क्षय करते हैं, जो न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि इसके कारण पशुओं की एनर्जी की हानि भी होती है ।

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यदि पशुओं की एनर्जी, प्रोटीन और खनिज तत्वों की उपलब्धता को अनुकूलित करके रुमेन किण्वन की दक्षता में सुधार किया जाए, तो मीथेन के रूप में ऊर्जा की हानि को कम किया जा सकता है जिससे इस ऊर्जा को दूध उत्पादन में वृद्धि के लिए परिवर्तित किया जा सकता है । दूसरे शब्दों में, पोषक तत्वों का अनुकूलन (संतुलन) एंटरिक मीथेन उत्सर्जन में कमी लाने तथा पशुओं की दूध उत्पादन में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण है।

पहल:

पशु के खान-पान तथा प्रबंधन की वास्तविक परिस्थिति में ही  मीथेन उत्सर्जन की माप के लिए एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत सल्फर हेक्साफ्लोराइड (एसएफ 6) ट्रेसर तकनीक ’का उपयोग मीथेन उत्सर्जन की माप की जाती है। देश में अधिकांश छोटे किसानों द्वारा अपनाए जाने वाले आहार के पारंपरिक तरीके में आम तौर पर एनर्जी, प्रोटीन और खनिज तत्वों का असंतुलन होता है । पशु को दिये जाने वाले इस प्रकार के आहार से  जो न केवल दूध उत्पादन की लागत बढ़ती है बल्कि प्रति किग्रा उत्पादित दूध के लिए मीथेन का उत्सर्जन भी अधिक करते हैं। इस संबंध में, एनडीडीबी ने देश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में 200 से अधिक दुधारू पशुओं पर किसानों के घर पर जाकर गाय और भैंसों  को पारंपरिक एवं साथ ही साथ पशु का आहार संतुलित कर तथा आहार खिलाने से प्राप्त होने वाले एंटीक मीथेन उत्सर्जन का अध्ययन किया ।  इन अध्ययनों से पता चला कि पशु के आहार को संतुलित कर खिलाने से प्रति किलोग्राम दूध उत्पादन पर एंटेरिक मीथेन उत्सर्जन 10-15 प्रतिशत आंत्रीय मीथेन उत्सर्जन में कमी आयी है । इसके अलावा, दूध उत्पादन की लागत में कमी आई है, दूध उत्पादन में सुधार हुआ है और डेरी किसानों की आय में वृद्धि हुई है। इस प्रकार, आहार संतुलन/पोषक तत्वों का संतुलन  आंत्रीय मीथेन उत्सर्जन में कमी लाने और छोटे धारक प्रणालियों में डेरी की स्थिरता में सुधार करने की एक महत्वपूर्ण उपाय है ।

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मीथेन उत्सर्जन को कम करने के लिये और क्या उपाय किये जा सकते हैं?

कृषि क्षेत्र में: किसान पशुओं को अधिक पौष्टिक चारा प्रदान कर सकते हैं ताकि वे बड़े, स्वस्थ और अधिक उत्पादक हों और इस प्रकार प्रभावी रूप से कम में अधिक का उत्पादन कर सकें।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने  ‘हरित धारा’ (Harit Dhara) नामक एक एंटी-मिथेनोजेनिक फीड सप्लीमेंट विकसित किया है, जो मवेशियों द्वारा किये जाने वाले मीथेन उत्सर्जन में 17-20% की कटौती कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप दूध का उत्पादन भी बढ़ सकता है।

सरकार की भूमिका: भारत सरकार को एक खाद्य प्रणाली संक्रमण नीति की परिकल्पना करनी चाहिये ताकि लोग अलग तरह से खाद्य के उत्पादन और उपभोग से संलग्न हो सकें। सरकार को एक व्यापक नीति विकसित करनी चाहिये जो किसानों को पादप-आधारित खाद्य उत्पादन के संवहनीय तरीकों की ओर ले जाए, औद्योगिक पशुधन उत्पादन एवं उससे जुड़े इनपुट से सब्सिडी को दूसरी ओर मोड़ सके और एकल समाधान के विभिन्न पहलुओं के रूप में रोज़गार सृजन, सामाजिक न्याय, गरीबी में कमी, पशु सुरक्षा और बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य को अवसर दे सके।

निष्कर्ष

वर्तमान अध्ययन से, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि राशन संतुलन कार्यक्रम में दुग्ध उत्पादन में सुधार करने और स्तनपान कराने वाली भैंसों में मीथेन उत्सर्जन को कम करने की क्षमता है। भारत के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में अपनाई जाने वाली विविध आहार पद्धतियों के तहत स्तनपान कराने वाले पशुओं से होने वाले मीथेन उत्सर्जन का दस्तावेजीकरण करने के लिए और अधिक शोध परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है। उत्पादकता में सुधार और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मीथेन उत्सर्जन को कम करने के लिए राशन संतुलन कार्यक्रम के कार्यान्वयन के माध्यम से सीमित उपलब्ध फ़ीड संसाधनों के भीतर फीडिंग पैटर्न में सुधार की गुंजाइश है।

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