MP सरकार दूध पार्लर पर बेचेगी कड़कनाथ मुर्गे का मांस, BJP ने जताया ऐतराज

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भाजपा विधायक (BJP MLA) रामेश्वर शर्मा ने सरकार के इस कदम पर यह कहते हुए ऐतराज जताया है. उन्होंने कहा कि इससे हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी क्योंकि हिंदू धर्म में गाय और उसका दूध ‘पवित्र’ माना जाता है.

पशुधन प्रहरी नेटवर्क

Updated: September 14, 2019,

भोपाल. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस सरकार दूध के पार्लर पर कड़कनाथ (kadaknath chicken) मुर्गे का मांस बेचने की योजना बना रही है, ताकि इसकी बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके. हालांकि, भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने सरकार के इस कदम पर यह कहते हुए ऐतराज जताया है कि इससे हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी क्योंकि हिंदू धर्म में गाय और उसका दूध ‘पवित्र’ माना जाता है.

मध्यप्रदेश के पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव ने मीडिया को बताया कि मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम ने कड़कनाथ की बढ़ती मांग को देखते हुए भोपाल के वैशाली नगर क्षेत्र में दूध के पार्लर पर कड़कनाथ मुर्गे का मांस बेचने की योजना शुरू की है. उन्होंने कहा, ‘हमने प्रदेश की राजधानी भोपाल में कड़कनाथ मुर्गे का मांस बेचने के लिए प्रायोगिक तौर पर एक बूथ स्थापित किया है. हम ऐसे पार्लर पूरे राज्य में खोलने की योजना पर चर्चा कर रहे हैं’.

यादव ने कहा कि हालांकि, इस योजना का भविष्य पायलट प्रोजेक्ट की सफलता पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में कड़कनाथ का मांस 900 रुपए प्रति किलोग्राम की दर पर बेचा जा रहा है.

इसी बीच, भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने सरकार के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि हिंदू धर्म में गाय और उसका दूध बेहद पवित्र माना जाता है. इसका कई त्योहारों में और उपवास में इस्तेमाल किया जाता है. गाय का दूध और कड़कनाथ का मांस एक बूथ में नहीं बेचा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह सरकार से दूध और कड़कनाथ का मांस बेचने के लिए अलग अलग पार्लर स्थापित करने का आग्रह करेंगे.

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इस आपत्ति के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने स्पष्ट किया कि दोनों चीजें बेचने के लिए पार्लर के भीतर अलग अलग केबिन बनाये जाएंगे. मालूम हो कि कड़कनाथ मुर्गे की उत्पत्ति मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में हुई है. विशेषज्ञों के अनुसार कड़कनाथ के मांस में आयरन एवं प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है, जबकि कॉलेस्ट्राल की मात्रा अन्य प्रजाति के मुर्गों से काफी कम पायी जाती है. इसलिए यह अन्य प्रजातियों के मुर्गों से अधिक कीमत में बेचा जाता है.
courtesy-News18 Madhya Pradesh

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