पशुओं में होने वाले लंपी त्वचा रोग के लक्षण -उपचार एवं बचाव :होमियोपैथिक एवं देसी चिकित्सा

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LUMPY SKIN DISEASE
LUMPY SKIN DISEASE

पशुओं में होने वाले लंपी त्वचा रोग के लक्षण -उपचार एवं बचाव :होमियोपैथिक एवं देसी चिकित्सा

  1. शरीर पर चकता-चकता हो रहा है,
  2. पैरों में सुजन एवं आँख से पानी आ रहा है,
  3. पशु खाना कम खा रहा एवं बुखार है। तो हो सकता है यह वायरस के द्वारा फैलने वाले लम्पी स्कीन डिजीज के लक्षण हो।

इस बीमारी के निम्न प्रभाव है

  1. यह छुआ छुत का बिमारी है जो एक जानवर से दूसरे जानवर के सम्पर्क में आने से भी फैलता है।
  2. बीमार पशुओं को स्वास्थ्य पशुओं से अलग रखे,
  3. प्रभावित जानवरों को एक जगह से दुसरे जगह नहीं ले जाए।
  4. इस रोग से मृत्यु दर काफी कम है।
  5. हम शुरूआती दौर में ही पशुओं कर ईलाज चिकित्सालय के चिकित्सक के द्वारा शुरू कर इस रोग के प्रभाव को काफी कम कर सकते है।
  6. यह रोग पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलता है।

लंपी त्वचा रोग के बचाव

ऐसे स्थिति में निम्न सावधानियाँ बरत कर हम इस बीमारी से शीघ्र छुटाकारा पा सकते है।

  1. पहले अपने स्वस्थ पशुओं का दाना पानी करने के बाद ही बीमार पशुओं को दाना पानी दे।

2़. स्वस्थ पशुओं को बीमार पशु से अलग रखें।

  1. इस बीमारी का कारगर ईलाज होमियोपैथिक एवं देसी चिकित्सा है।
  2. इस चिकित्सा पद्धति को अपनाने से पशु पाँच से सात दिनों में ठीक हो जाता है।
  3. अपने पशुओं में इस बीमारी का लक्षण दिखने पर शीघ्र अपने पशु चिकित्सालय के पशु चिकित्सक से सम्पर्क करे।
  4. किसी तरह के भ्रमक सुझाव से बचे।
  5. पशु को बाहर से खरीद कर ना लाये एवं पशुओं के अवागमन पर रोक लगाये।
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पशुओं में होने वाले लंपी  बीमारी का कारगर ईलाज  -होमियोपैथिक एवं देसी चिकित्सा

एक किलो निम का छाल

एक किलो बबूल का छाल

एक किलो पिपल का छाल को पांच लीटर पानी में गर्म कर चार लीटर बना लें।

उसमें से प्रति दिन

बड़े गाय को 50 ml

छोटे को 25 ml. सुबह शाम पिलाएं 25 दिनो तक

घर में नीम के पत्ते का धुआं करें।

निम के पत्ते को पीसकर घाव पर लेप लगाएं।

नीम के पत्ते को खिलाएं।।*

होमियोपैथिक चिकित्सा

*होमियोपैथिक दवाईयाँ

  1. Scophularia Nodusa 200

8 बुंद सुबह और शाम

  1. Antim Tart 200

8 बुंद सुबह और शाम

  1. Variolinum 200

8 बुंद दोपहर में

  1. Merc Sol 200 (बुखार रहने पर)

8 बुंद सुबह, दोपहर और शाम में

Note :-

  1. स्वस्थ पशुओं को सुरक्षा हेतु Variolinum 200-8 बुंद दोपहर में तीन दिनों तक दिया जाय। उसके बाद सप्ताह में एक बार।

 

Compiled  & Shared by- Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)

 Image-Courtesy-Google

 Reference-On Request.

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