यूरिया उपचारित भूसे का पशुपालन में महत्व

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यूरिया उपचारित भूसे का पशुपालन में महत्व

 

डॉ रोहिणी गुप्ता1, डॉ प्रतिभा शर्मा2, डॉ आदित्य अग्रवाल3, डॉ देवेंद्र कुमार गुप्ता1, डॉ शैलेश कुमार पटेल3

  1. पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, जबलपुर, (. प्र.)
  2. पशुपालन विभाग, (. प्र.)
  3. पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, रीवा, (. प्र.)

 

जैसा कि हम जानते हैं कि मवेशियों के स्वास्थ्य व दुग्ध उत्पादन हेतु हरा चारा व पशु आहार एक आदर्श भोजन है, लेकिन हरे चारे की साल भर उपलब्धता ना होने तथा पशु आहार की अधिक कीमत ने किसान के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। इसी समस्या के लिए भूसे का महत्व आजकल बढ़ गया है क्योंकि 80 प्रतिशत पशु इसी चारे पर निर्भर रहते हैं। धान और गेहूं का भूसा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है लेकिन इसमें पोषक तत्व बहुत कम मात्रा में होते हैं, प्रोटीन इसमें 3 प्रतिशत से भी कम होता है तथा पाचकता या स्वादिष्टथा भी कम होती है। भूसे का यूरिया से उपचार करने से इसकी पौष्टिकता बढ़ती है और प्रोटीन की मात्रा उपचारित भूसे से लगभग 8 प्रतिशत हो जाती है। मवेशियों को सुचारू रूप से उपचारित चारा खिलाने पर उसको नियमित दिए जाने वाले पशु आहार में 30 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती है।

 

उपचार की विधि

भूसे के उपचार के लिए 4 किलो यूरिया को 40 लीटर पानी में अच्छी तरीके से घोले। एक क्विंटल भूसे को जमीन में इस तरीके से फैलाएं की परत की मोटाई लगभग 3 से 4 इंच रहे। तैयार किए गए 40 लीटर यूरिया घोल को इस फैलाए गए भूसे पर फवारे से छिड़काव करें। फिर भूसे को पैरों से अच्छी तरह चल चल कर दबाए। इस दबाए गए भूसे के ऊपर एक कुंटल भूसा फैलाएं फिर पुनः 4 किलो यूरिया को 40 लीटर पानी में घोलकर फवारे से उसी के ऊपर छिड़काव करें और पहले की तरह इस परत को भी चल चल कर दबाए।

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इस तरह उपचारित भूसे को चारों तरफ से प्लास्टिक से अच्छी तरह से ढक दीजिए जिससे कहीं से हवा आ जा ना  सके। ढकने के बाद गर्मी में कम से कम 3 हफ्ते के लिए और सर्दियों में कम से कम 4 हफ्ते के लिए छोड़ देना चाहिए। इस तरह इस ढके हुए ढेर से यूरिया से अमोनिया निकलेगी और जो भूसे में पोषक तत्व मौजूद होते हैं उसका उपयोग जानवर नहीं कर पाते तो उसको अमोनिया उपयोग हेतु बनाती है। यूरिया उपचारित भूसे का रंग पीले से गहरा भूरा हो जाता है इस प्रकार उपचारित भूसा पशु के लिए पशु आहार के रूप में तैयार हो जाता है। इसके बाद इस उपचारित भूसे को हरे चारे के साथ मिलाकर खिलाया जा सकता है।

 

उपचारित भूसे को खिलाने का तरीका 

भूसे को अपेक्षित मात्रा में ढेर से निकाले। शुरू शुरू में उपचारित भूसे  को खिलाने से पहले आधा घंटा फैलाकर छोड़ दें। जब पशु यूरिया उपचारित भूसे को खाने लगे तो ढेर से निकालकर सीधे पशु को खिलावे।

 

यूरिया उपचार से लाभ

  1. यूरिया उपचारित भूसा खाने में नरम व स्वादिष्ट होने के कारण पशु इसे खूब चाव से खाते हैं तथा इसे बर्बाद नहीं करते हैं।
  2. यूरिया उपचारित चारे से दुग्ध उत्पादन की लागत को कम किया जा सकता है।
  3. यूरिया उपचारित भूसे को कम लागत पर साल भर उपलब्ध कराया जा सकता है।
  4. गर्मी के समय अन्य चारों की कमी को उपचारित भूसे से पूर्ण किया जा सकता है।
  5. बछड़े व बछड़ी को यूरिया उपचारित भूसा खिलाने से उनका वजन तेजी से बढ़ता है तथा वे स्वस्थ दिखाई देते हैं।
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ध्यान रखने योग्य बातें

  1. भूसे के उपचार के समय यूरिया के तैयार घोल को पशुओं से बचा कर रखें।
  2. यूरिया को कभी जानवर को सीधे खिलाने का प्रयास नहीं करना चाहिए यह पशु के लिए जहर हो सकता है।
  3. यूरिया उपचार करने के लिए पक्का फर्श अधिक उपयुक्त रहता है यदि फर्श कच्चा हो तो जमीन में भी एक प्लास्टिक शीट बिछाई जाती है।
  4. यूरिया का उपचार किसी बंद कमरे में या आंगन के कोने में अधिक सुविधाजनक होता है।
  5. यूरिया के घोल को भूसे के ऊपर समान रूप से छिड़काव करना चाहिए।
  6. उपचारित भूसे को 3 हफ्ते से पहले पशु को नहीं खिलाना चाहिए।
  7. फसल की कटाई के समय यदि किसान घर में भूसे का चट्टा बनाकर रखते हैं तो चट्टा बनाने के समय ही भूसे को उपरोक्त विधि से उपचारित कर देना चाहिए जिससे अधिक या अतिरिक्त श्रम की बचत होगी।

https://pashusandesh.com/urea-in-cattle-feed

https://www.pashudhanpraharee.com/how-to-increase-the-quality-of-dry-fodder-by-the-application-of-urea-treatment/

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