सर्दियों में ठंड से बचाव हेतु पशुओं की देखभाल

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सर्दियों में ठंड से बचाव हेतु  पशुओं की देखभाल

 

डॉ संजय कुमार मिश्र १
डॉ योगेंद्र सिंह पवार२
१.पशु चिकित्सा अधिकारी चौमुंहा, मथुरा, उत्तर प्रदेश
२. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी मथुरा उत्तर प्रदेश

सर्दियों में पशुओं को ठंड से बचाना अत्यावश्यक है। यदि पशु को ठंडी हवा व धुंध/ कोहरा से बचाव का समुचित प्रबंध ना हो तो पशु बीमार पड़ जाते हैं जिससे उनके उत्पादन में तो गिरावट आती ही है साथ ही साथ पशु न्यूमोनिया जैसे रोगों के कारण मृत्यु को भी प्राप्त कर सकते हैं। पशुपालकों को चाहिए कि वह अपने पशुओं का सर्दी के मौसम में विशेष ध्यान रखें तथा उन्हें सर्दी से बचाने के निम्नलिखित उपाय करें –

  1. पशुशाला के दरवाजे खिड़कियां वह अन्य खुले स्थान पर रात के समय बोरी त्रिपाल व टाट को टांगना चाहिए जिससे पशुओं को सीधी ठंडी हवा से बचाया जा सके।
  2. रात के समय पर पशुशाला के फर्श पर पराली या भूसा को बिछाएं जिससे फर्श से सीधी ठंड पशुओं को न लगे।
  3. पशुशाला का फर्श ढलान युक्त होना चाहिए जिससे पशुओं का मूत्र बहकर निकल जाए ताकि बिछावन सूखा बना रहे।
  4. पशुओं को दिन के समय धूप में छोड़ें इससे पशुसाला का फर्श अथवा जमीन सूख जाएगा तथा पशु को गर्माहट भी मिलेगी।
  5. पशु को ताजा व स्वच्छ पानी ही पिलाएं जो अधिक ठंडा ना हो।
  6. नवजात बच्चों व बीमार पशुओं को रात के समय किसी बोरी या तिरपाल से ढक दें तथा सुबह धूप निकलने पर हटा दें।
  7. पशुओं को हरे चारे विशेषकर वरसीम के साथ तूड़ी अथवा भूसा मिलाकर खिलाएं। रात के समय में पशुओं को सूखा चारा आहार के रूप में उपलब्ध कराएं।
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उचित आहार व्यवस्था:

पशुओं को उनकी आवश्यकता अनुसार संतुलित आहार खिलाना चाहिए। पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराएं तथा 25 से 50 ग्राम खनिज मिश्रण एवं नमक भी चारे के साथ अवश्य देना चाहिए।

स्वास्थ्य सुरक्षा:

पशुओं को समय-समय पर रोग निरोधक टीके लगवाएं। बीमार पशुओं को स्वस्थ , पशुओं से अलग रखें तथा किसी कुशल पशु चिकित्सक द्वारा इलाज कराएं। पशुओं को आंतरिक परजीवीयों से बचाने के लिए समय-समय पर पशु चिकित्सक की सलाह पर क्रमी नाशक औषधि देनी चाहिए। वाहय परजीवीओं जैसे मच्छर मक्खी, जुएं, किलनी अर्थात कलीली आदि की रोकथाम के लिए पशुशाला की सफाई के साथ-साथ पशु चिकित्सक के परामर्श पर बाहय परजीवी नाशक औषधियों, एंटीसेप्टिक, एंटीमाइक्रोबॉयल दवाइयों एवं डिसइनफेक्टेंट का छिड़काव करें।

पशुसाला की सफाई व्यवस्था:

पशुपालकों को पशु घर की साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। गोबर व अन्य ठोस पदार्थ पशुशाला से दिन में कम से कम 2 से 3 बार हटाने चाहिए तथा सप्ताह में कम से कम एक बार फिनाइल के घोल से पशु आवास के फर्श की और दीवालों की सफाई करनी चाहिए।

ठंड से बचाव हेतु पशुपालन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा जारी सलाह/ दिशा निर्देश:

शीत ऋतु में गोवंश की देखभाल बहुत ही सावधानी और समुचित तरीके से करनी चाहिए। सर्दियों में पशुओं को ठंड लगने की आशंका रहती है। जिससे पशुओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है साथ ही साथ दुग्ध उत्पादन भी प्रभावित होता है। निम्न 10 बिंदुओं पर बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है : –
1.सबसे महत्वपूर्ण यह है कि पशुशाला या गौशाला मैं जल निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।2.गौशाला में संरक्षित गोवंश को सर्दी से बचाने के लिए गौशालाओं में टॉट की बोरी या त्रिपाल इत्यादि व ज्वार एवं बाजरा की कड़वी टॉट बांधकर सर्द हवाओं और सर्दी से बचाव करें।

  1. सर्दियों के दिनों में पशुओं को धूप में बांधे परंतु ठंडी हवा से बचाव करना अति आवश्यक है।
  2. पशुओं के बैठने के स्थान को सूखा रखने का प्रयास करें पराली या पुआल या कोई नरम सस्ती तथा पानी सूखने वाली वस्तु द्वारा पशुओं के नीचे फर्श सूखा रखें जिससे साफ सफाई भी आसानी से हो सके।
  3. पशुओं को स्वच्छ जल ही पिलाएं जो अधिक ठंडा या अधिक गर्म ना हो।
  4. पशुओं को बरसीम या अन्य हरा चारा खिलाने से पूर्व थोड़ा सा सूखा चारा अवश्य खिलाएं अथवा बरसीम आदि के चारे, को सूखे चारे में मिलाकर खिलाना चाहिए जिससे पशुओं को अफारा की शिकायत ना हो।
  5. सर्दियों में रात के समय सूखा चारा खिलाना अत्यंत लाभदायक रहता है इससे पशुओं का तापमान संयमित रहता है।
  6. यदि संभव हो तो अलाव की व्यवस्था की जाए परंतु यह ध्यान रखें की आग लगने की संभावना ना हो।
  7. समय-समय पर डिसइनफेक्टेंट का छिड़काव करके आश्रय स्थलों एवं पशु शालाओं को भी विसंक्रमित किया जाए।
  8. समय-समय पर संबंधित पशु चिकित्सा अधिकारियों द्वारा गोआश्रय स्थलों का भ्रमण किया जाए तथा बीमार होने की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल चिकित्सा की जाए।
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