गोवेर्धन और गाय

0
709

डॉ रविंद्र गिरी, पशुधन विशेषज्ञ, पटना

गोवेर्धन और गाय

दीपावली के पांच दिन के त्योंहारों के क्रम में आज गोमय यानि गोबर की पूजा की जाती है क्योंकि गाय का मल ( गोबर ), मल नही मलशोधक है, पूरे विश्व में केवल गोमाता के ही मल यानि गोबर की पूजा होती है, गो-वर, अर्थात यह गौ का वरदान है, हवन स्थल या घर को पवित्र करने के लिए गोबर का लेपन लगाया जाता है, सभी प्रकार के दोषों, यहाँ तक कि आणविक प्रभाव को भी निष्फल करने की ताकत है इस गोबर में, गोबर की खाद से आज जो अन्न या सब्जी उपजाई जा रही है, उसकी मांग और मूल्य दोनों ही ज्यादा है क्योंकि इसकी गुणवत्ता ही अलग है।
इसलिए हमारे शास्त्र कहते है
“गोमय वसते लक्ष्मी”

हम अपने जीवन से, गौ को नहीं हटा सकते। हमारी ऐसी परंपराएं है जो ऐसा होने नहीं देंगी, गौ पृथ्वी स्वरूपा माँ है, यह प्राणी नहीं प्राण है और जानवर नही जान है इस देश की। जीवन से मृत्यु तक के सारे के सारे 16 संस्कार और त्यौहार चाहे दीपावली हो या होली हो विजयदशमी हो या नवरात्रे बिना गौ के नहीं हो सकते।
भगवान का जन्म ही गौ की रक्षा के लिए हुआ रामायण की चौपाई बोल रही है
विप्र धेनु सुर संत हित,
लीज मनुज अवतार ।।

सात्विकता और संस्कार की जननी है माँ और गौमाता,
समाज में फैली पाशविकता को सात्विकता और अच्छे संस्कार से भी समाप्त किया जा सकता है, और गाय तो विश्व की माता है, क्योंकि वेद कहते हैं-
गावः विश्वस्य मातरः

READ MORE :  जैविक खेती करने की विधियाँ

इसलिए आज का पर्व या भी कह रहा है यथा संभव गौ का रक्षण-संवर्धन करें! क्योकि यह मानव कल्याण के लिए उपयोगी है।

विज्ञान भी कहता है
कैंसर अवरोधी करक्यूमिन नाम का chemical भी गोमूत्र मै प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है । वह भी digestive form में, यह भी गोवेर्धन से ही संभव है।

मिट्टी में उपलब्ध सभी 18 micronutrient गो मूत्र में उपलब्ध है। वेद में इसे महौषधि की संज्ञा दी गई है। इसके लिए भी गोवेर्धन आवश्यक है।

सामान्य जल को गंगाजल के समान पवित्र गोमूत्र में परवर्तित करने की क्षमता तो केवल गोमाता में है, इसीलिये तो भगवान कृष्ण भी, गो के आगे नही, पीछे चले वह भी नंगे पैर, हमारे सभी इष्ट देवों ने भी कोई अन्य स्थान न चुनकर, गौ के शरीर में ही अपना वास किया। शास्त्र के अनुसार 33 कोटि देवताओं का वास गोमाता में ही है।

गोमहिमा अनंत है…….
दाह संस्कार के बाद 70-75 किलो का शरीर 20-25 ग्राम राख में परिवर्तित हो जाता है और उस राख का वैज्ञानिक विश्लेषण पर पाया गया कि इसमें सभी 18 micronutrient वही तत्व मौजूद है जो गोमूत्र में है अर्थात शरीर जिन तत्वों से मिलकर बना है वह सभी गो मूत्र में मौजूद है। यह तभी मिल सकता है जब गौ संरक्षित हो,
आज के पर्व की महत्ता, गो के रक्षण संवर्धन से भी है अर्थात गोवेर्धन से है ।

हैप्पी गोवेर्धन या गोवेर्धन की शुभकामनाओं से थोड़ा आगे बढ़े ।
गो-वर्धन में रचनात्मक द्रष्टिकोण अपनाएं।

आइये ! हम सब अपने और स्वस्थ समाज के अस्तित्व के लिए गौ का रक्षण और संवर्धन करें अर्थात गोवेर्धन करें,

READ MORE :  पशुपालकों के लिए पशुपालन कार्यों का माहवार कैलेंडर

वंदे धेनु मातरम 🙏

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON