गाय की भारतीय नस्लें – भाग 3

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पशु स्वास्थ्य एवं पशुधन प्रबंधन
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गाय की भारतीय नस्लें – भाग 3

*मध्यप्रदेश* में गाय की कुल चार नस्लें विकसित हुई जिनमें तीन द्विकाजी है और एक भारवाहक।

बालाघाट, छिंदवाड़ा, दुर्ग, सिवनी और राजनन्दगाँव में *गौलाओ* नस्ल विकसित हुई। इस नस्ल की गायें औसतन 600 लीटर दूध देती हैं और इनके बैल तेज़ी से भारवाहन के लिए उपयुक्त हैं। इस नस्ल की एक ब्यान्त में 725 लीटर तक दूध देने वाली गाय देखी गई है।

राजगढ़, शाजापुर और उज्जैन के इलाके में *मालवी* नस्ल विकसित हुई। जहाँ इसके बैल भारी लोड लेकर तेज़ी से चलने के लिए प्रसिद्ध हैं वहीं इसकी गायें औसतन 900 लीटर दूध देने में सक्षम हैं। वैसे 1200 लीटर तक दूध देने वाली मालवी गायें देखी गई हैं। इस नस्ल की बेहतरीन गायों का चयन करके उनके संवर्धन की आवश्यकता है।

बुंदेलखंड से लगते हुए टीकमगढ़ एरिया में *केनकाठा* नस्ल विकसित हुई जो मूलतः भारवाहक नस्ल है।

मध्यप्रदेश के निमाड़ एरिया में *निमाड़ी* नस्ल विकसित हुई। मूलतः यह भी भारवाहक नस्ल है मगर इसकी गायें भी औसतन 750 लीटर दूध देती हैं मगर 950 लीटर तक दूध देने वाली गायें देखी गई हैं।

बाकी प्रदेशों की नस्लों के बारे में अगली पोस्ट में…

अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें

*डॉ संजीव कुमार वर्मा*
*प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण)*
*भाकृअनुप – केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान*
*मेरठ छावनी – 250001*
*9933221103*

गाय की भारतीय नस्लें – भाग 1

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