बकरियां पालना एक लाभदायक व्यवसाय है

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GOAT FARMING
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बकरियां पालना एक लाभदायक व्यवसाय है

-डॉ. सुमन अहिरवार

 

अपनी अच्छी आर्थिक संभावनाओं के कारण, व्यावसायिक उत्पादन के लिए गहन और अर्ध-गहन प्रणाली के तहत बकरी पालन कुछ वर्षों से गति पकड़ रहा है।  यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि, अच्छे आर्थिक रिटर्न की क्षमता वाले बकरी और उसके उत्पादों की उच्च मांग कई प्रगतिशील किसानों, व्यापारियों, पेशेवरों, पूर्व सैनिकों और शिक्षित मुंह वाले लोगों को वाणिज्यिक स्तर पर बकरी उद्यम लेने के लिए प्रेरित कर रही है।  वर्तमान में, बकरी पालन एक लाभदायक व्यवसाय बन गया है और इसकी आवश्यकता है।

 

भारत वर्ष में बकरी पालन एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है बकरी को गरीबों की गाय भी कहा जाता है । कम लागत से अधिक आय बकरी पालन से अर्जित की जा सकती है । साथ ही साथ इसके दूध से अपना एवं अपने बच्चों का भरण पोषण बकरी पालक आसानी से कर सकता है । गरीब की गाय के नाम से मशहूर बकरी हमेशा ही आजीविका के सुरक्षित स्रोत के रूप में पहचानी जाती रही है । बकरी छोटा जानवर होने के कारण इसके रख – रखाव का खर्च भी न्यूनतम होता है । सूखे के दौरान भी इसके खाने का इंतजाम आसानी से हो सकता है , इसके साज – संभाल का कार्य महिलाएं एवं बच्चे भी कर सकते हैं और साथ ही आवश्यकता पड़ने पर इसे आसानी से बेचकर अपनी जरूरत भी पूरी की जा सकती है । इस प्रकार बकरी पालन सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए एक मुफीद स्रोत है ।

बकरी पालन की जरूरत क्यों ?

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बकरी एक बहुकार्यात्मक जानवर है , और देश में लघु एवं सीमात किसानों की अर्थव्यवस्था तथा पोषण में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । बकरी पालन ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का एक बहुत अच्छा साधन है । भारत में ग्रामीण एवं कृषि निर्वाह क्षेत्रों में बकरियों को आपदा के खिलाफ एक बीमा के रूप में एवं अतिरिक्त आय के स्त्रोत रूप में पाला जाता है । बकरियों से मांस , दूध एवं ऊन की उपज की सकती है । इसके अलावा बकरियाँ कई समाजों में धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है ।

 बकरी पालन के फायदे

  • बकरी पालन में प्रारंभिक निवेश कम लागत है । बकरियों के छोटे शरीर एवं विनम्र स्वभाव के कारण इनका रख – रखाव तथा प्रबंधन आसान होता है । बकरी एक अनुकूल जानवर है . एवं लोगों के द्वारा आसानी से संभाला जा सकता है ।
  • बकरी उर्वरक जानवर है । 10-12 महीने की उम्र में इनमें यौन परिपक्वता आ जाती है तथा 16-17 महीने की उम्र में ये गर्भधारण योग्य हो जाती है । उनकी गर्भावस्था का समय औसतन 150 दिन आका गया है । इनमें जुड़वा बच्चे को जन्म देना आम है . तथा तीन एवं चार बच्चों का जन्म भी कभी – कभी मिलता है ।
  • वाणिज्यिक खेती की स्थिति में , बड़े जानवरों की तुलना में बकरियों के नर एवं मादा दोनों को बराबर महत्व दिया जाता है ।
  • मिश्रित चराई के लिए बकरियाँ आदर्श होती हैं । मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त काँटेदार झाडिया , खरपतवार , फसल के अवशेष पर अच्छी तरह पल सकते उचित प्रबंधन के तहत , वातावरण बिन्द नकसान पहुँचाए बकरियाँ चराई भूमि को सुधारकर बनाये रख सकती है , एवं झाड़ी के अतिक्रमण ( जैविक नियंत्रण ) को रोक सका है ।
  • अपने देश में बकरी के मांस की उपयोगिता पर किसी तरह की कोई धार्मिक भ्रांति नही है ।
  • बकरी के मांस कम कोलेस्ट्राल होने की वजह से इसे कम ऊर्जा आहार पसंद लोगों के लिए विशेषकर गर्मियों में खाने के लिए प्राथमिकता दी जाती है ।इसकी  मटन से ज्यादा होने की वजह से बकरी मांस को मटन की तुलना में ज्यादा पसंद किया जाता है ।
  • गाय के दूध की तुलना में बकरी के दूध का पाचन आसान होता है , क्योंकि बकरी के दूध में छोटे वसा ग्लोब्यूलस एवं समान रूप से होमजीनाइज्ड होते है ।
  • बकरी के दूध को भूख एवं पाचन दक्षता के सुधार के लिए महत्वपूर्ण कहा गया है । बकरी का दूध गाय के दूध की तुलना में गैर एलर्जी माना जाता है ।
  • बकरी के दूध में कवक विरोधी , जीवाणु विरोधी गुण होने की वजह से , कवक से उत्पन्न होने वाले मूत्रजननागी ( Urogenital ) बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होता है ।
  • बकरी पालन गरीब ग्रामीणों को अवैतनिक परिवार श्रम के अलावा रोजगार प्रदान करता है । बकरियों के मांस एवं दूध उत्पादन तथा त्वचा का फाइबर के मूल्य संवर्धन ( Value addition ) की वजह से कुटीर उद्योगों की स्थापना की पर्याप्त गुंजाइश है ।
  • दुधारू बकरियों को चलता – फिरता फ्रिज कहा गया है । क्योंकि इनसे कभी भी दिन में दो बार से ज्यादा दूध दुहा जा सकता है ।
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उपरोक्त सभी बातो को ध्यान मे रखकर बकरीपालन  के साथ ही एक अच्छा उत्पादन ले सकते है l


डॉ. सुमन अहिरवार 

पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, महू (एम. पी.)

 

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