मुर्गियों में होने वाले प्रमुख रोग एवं लक्षण

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मुर्गियों में होने वाले प्रमुख रोग एवं लक्षण

स्निग्धा श्रीवास्तव, पूजा दीक्षित एवं आलोक कुमार दीक्षित

पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, रीवा (म.प्र.)

संक्रामक बरसल रोग (आई बी डी)

यह रोग मुर्गियों में तीव्र और अत्याधिक संक्रामक संक्रमण है| 0 से 6 सप्ताह तक के चूजे अधिक संवेदनशील होते हैं| यह बिरना विषाणु से होता है|

लक्षण:

पानीदार और सफेद रंग का दस्त, दाना न खाना, अवसाद और कांपना|

मेरिक्स (एम  डी)

यह हरपीज विषाणु के द्वारा होने वाली संक्रामक बीमारी है जिसमें तंत्रिका का विस्तार हो जाता है| इसके दो मुख्य प्रकार हैं- एक्यूट एवं क्लासिकल |

एक्यूट रूप  अचानक मृत्यु के साथ प्रकट होता है, 4 सप्ताह से छोटे पक्षी आमतौर पर इस रूप से पीड़ित होते हैं और मृत्यु दर 60% तक जा सकती है| क्लासिकल रुप से 12 सप्ताह से ऊपर के पक्षी पीड़ित होते हैं और मृत्यु दर 10 से 30% होती है|

इस रूप में आमतौर पर पक्षियों के खड़े होने में असमर्थता के साथ लंगड़ापन, पंख और पैरों का आंशिक या पूर्ण पक्षाघात, गर्दन की मरोड़ टॉर्टिकॉलिस होता है|

रानीखेत

यह एक सबसे गंभीर विषाणु बीमारियों में से एक है| यह पैरामिक्स विषाणु के द्वारा होता है| तथा अन्य संक्रमित पक्षियों के मल, दूषित वायु और अन्य दूषित पदार्थ से फैलता है| इस रोग की ऊष्मायन अवधि 2 से 15 दिन तक होती है|

रोग के लक्षण –

मुर्गियों का संतुलन बिगड़ना,  गर्दन लरकाना, हरे रंग का दस्त होना, अंडे के उत्पादन में गिरावट|

 

संक्रामक कोराइजा

यह मुर्गियों के ऊपरी श्वसन पथ का एक तीव्र संक्रामक जीवाणु रोग है जो हीमोफाइल पैरागैलिनेरम से होता है|

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लक्षण:

नाक एवं आंखों से छीकने वाला बलगम जैसा स्त्राव और चेहरे की सूजन, गंभीर स्थिति में बंद आंखों के साथ नेत्र प्लेस, सूजे हुए वेटल्स और सांस लेने में कठिनाई देखी जा सकती है| अंडा उत्पादन में कमी हो जाती है

संक्रामक ब्रोंकाइटिस (आई बी)

यह चूजो का एक अत्यधिक संक्रामक और संक्रमण श्वसन रोग है जो करोना वायरस से होता है| 6 सप्ताह की आयु तक के युवा चूजों में श्वसन संबंधी लक्षण जैसे खांसी, आंख से पानी आना और नाक से स्त्राव अधिक आना हैं| चूजों में मृत्यु दर 25 से 60% हो सकती है| अंडे का उत्पादन कम हो जाता है|

मुर्गी चेचक

यह सामान्य गति से फैलने वाली संक्रामक विषाणु बीमारी है| सभी उम्र के मुर्गियो को प्रभावित करते हैं|

यह दो रूप में प्रगट होता है- त्वचीय और डिप्थेरिक|

डिप्थेरिक रूप में शुरुआत में मुंह फिर अन्य प्रणाली और श्वास नली श्लेष झिल्ली पर छोटे-छोटे पिंड बन जाते हैं|

कोक्सिडियोसिस

यह सबसे महत्वपूर्ण प्रोटोजोअल बीमारियों में से एक है|प्रकोप 3 से 6 सप्ताह के आयु के चूजा में आम हैं| ब्रायलर और उत्पादको में भी भारी मृत्यु का कारण बनता है| यह ईमेरीया की किन्ही 7 प्रजातियों के कारण से हो सकता है|प्रभावित पक्षी डूपिंग के साथ निर्जलित दिखाई देते हैं| गंभीर पानी या खूनी दस्त होता है| प्रभावित पक्षियों की मल में  खून होता है|

https://www.pashudhanpraharee.com/newcastle-disease-nd-or-ranikhet-disease-rd-in-poultry/

https://animalhusbandry.rajasthan.gov.in/Booklets/4.pdf

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