लंपी स्किन डिज़ीज़ का उपचार

0
8252

लंपी स्किन डिज़ीज़ का उपचार

 

डॉ जितेंद्र सिंह ,

पशु चिकित्सा अधिकारी

कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश

हाल ही में भारत के गौवांशों (Bovines) में गाँठदार त्वचा रोग या ‘लंपी स्किन डिजीज़’ (Lumpy Skin Disease- LSD) के संक्रमण के मामले देखने को मिले हैं।

  • गौरतलब है कि भारत में इस रोग के मामले पहली बार दर्ज किये गए हैं।

प्रमुख बिंदु: 

संक्रमण का कारण: 

  • मवेशियों या जंगली भैंसों में यह रोग ‘गाँठदार त्वचा रोग वायरस’ (LSDV) के संक्रमण के कारण होता है।
  • यह वायरस ‘कैप्रिपॉक्स वायरस’ (Capripoxvirus) जीनस के भीतर तीन निकट संबंधी प्रजातियों में से एक है, इसमें अन्य दो प्रजातियाँ शीपपॉक्स वायरस (Sheeppox Virus) और गोटपॉक्स वायरस (Goatpox Virus) हैं।

 

लंपी स्किन डिज़ीज़ के लक्षण

बुखार, लार, आंखों और नाक से स्रवण, वजन घटना, दूध उत्पादन में गिरावट, पूरे शरीर पर कुछ या कई कठोर और दर्दनाक नोड्यूल दिखाई देते हैं। त्वचा के घाव कई दिनों या महीनों तक बने रह सकते हैं। क्षेत्रीय लिम्फ नोड्स सूज जाते हैं और कभी-कभी एडिमा उदर और ब्रिस्केट क्षेत्रों के आसपास विकसित हो सकती है। कुछ मामलों में यह नर और मादा में लंगड़ापन, निमोनिया, गर्भपात और बाँझपन का कारण बन सकता है।

  • इस बीमारी में शरीर पर गांठें बनने लगती हैं. खासकर सिर, गर्दन, और जननांगों के आसपास.
  • इसके बाद धीरे-धीरे गांठे बड़ी होने लगती हैं और फिर ये घाव में बदल जाती हैं.
  • इस बीमारी में गाय को तेज़ बुखार आने लगता है.
  • गाय दूध देना कम कर देती है.
  • मादा पशुओं का गर्भपात हो जाता है.
  • कई बार गाय की मौत भी हो जाती है.
  • यह पूरे शरीर में विशेष रूप से सिर, गर्दन, अंगों, थन (मादा मवेशी की स्तन ग्रंथि) और जननांगों के आसपास दो से पाँच सेंटीमीटर व्यास की गाँठ के रूप में प्रकट होता है।
  • इसके अन्य लक्षणों में सामान्य अस्वस्थता, आँख और नाक से पानी आना, बुखार तथा दूध के उत्पादन में अचानक कमी आदि शामिल है।
READ MORE :  BOVINE ACTINOMYCOSIS/ LUMPY JAW DISEASE IN LIVESTOCK

प्रभाव:  

वेक्टर: 

  • यह मच्छरों, मक्खियों और जूँ के साथ पशुओं की लार तथा दूषित जल एवं भोजन के माध्यम से फैलता है।

 

निदान: विशिष्ट लक्षणों के आधार पर निदान करना मुश्किल नहीं है। इसे गाय चेचक से अलग करने की जरूरत है, जिसके घाव गैर-बालों वाले हिस्सों थन और अङर तक ही सीमित हैं। प्रयोगशाला द्वारा आसानी से बीमारी का पता लगाया जा सकता है।

रोकथाम और नियंत्रण: प्रबंधन में सुधार।

  • फार्म और परिसर में सख्त जैव सुरक्षा उपायों को अपनाएं।
  • नए जानवरों को अलग रखा जाना चाहिए और त्वचा की गांठों और घावों की जांच की जानी चाहिए।
  • प्रभावित क्षेत्र से जानवरों की आवाजाही से बचें।
  • प्रभावित जानवर को चारा, पानी और उपचार के साथ झुंड से अलग रखा जाना चाहिए, ऐसे जानवर को चरने वाले क्षेत्र में नहीं जाने देना चाहिए।
  • उचित कीटनाशकों का उपयोग करके मच्छरों और मक्खियों के काटने पर नियंत्रण। इसी तरह नियमित रूप से वेक्टर विकर्षक का उपयोग करें, जिससे वेक्टर संचरण का जोखिम कम हो जाएगा।
  •  फार्म के पास वेक्टर प्रजनन स्थलों को सीमित करें जिसके लिए बेहतर खाद प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
  • वैक्सीन – एक फ्रीज ड्राय, लाइव एटेन्युएटेड वैक्सीन उपलब्ध है जो बीमारी को नियंत्रित करने और फैलने से रोकने में मदद करता है। निर्माताओं के निर्देशों के अनुसार शेष जानवरों का टीकाकरण करें।
  • गाँठदार त्वचा रोग का नियंत्रण और रोकथाम चार रणनीतियों पर निर्भर करता है, जो निम्नलिखित हैं – ‘आवाजाही पर नियंत्रण (क्वारंटीन), टीकाकरण, संक्रमित पशुओं का वध और प्रबंधन’।
READ MORE :  Tips on How to Avoid Early Chick Mortalities

उपचार:

लम्पी त्वचा रोग का उपचार:

चूंकि यह वायरल संक्रमण है, इसलिए इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन द्वितीयक जीवाणु संक्रमण से बचने के लिए एंटीबायोटिक्स, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीहिस्टामिनिक दवाएं दी जाती हैं। त्वचा के घावों को 2 प्रतिशत सोडियम हाइड्रॉक्साइड, 4 प्रतिशत सोडियम कार्बोनेट और 2 प्रतिशत फॉर्मेलिन द्वारा एंटीसेप्टिक समाधान के साथ इलाज किया जा सकता है। एस्कॉर्बिक एसिड 10 प्रतिशत को सर्वश्रेष्ठ के रूप में रेट किया गया है लेकिन समस्या यह है कि जलीय एस्कॉर्बिक एसिड स्थिर नहीं है इसलिए ताजा तैयार किया जाना चाहिए।

  • वायरस का कोई इलाज नहीं होने के कारण टीकाकरण ही रोकथाम व नियंत्रण का सबसे प्रभावी साधन है।
    • त्वचा में द्वितीयक संक्रमणों का उपचारगैर-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी (Non-Steroidal Anti-Inflammatories) और एंटीबायोटिक दवाओं के साथ किया जा सकता है
    • हेस्टर बायोसाइंसेज लिमिटेड एलएसडी वैक्सीन विकसित करने वाली एकमात्र भारतीय कंपनी है. इसने वैक्सीन का परीक्षण पूरा कर लिया है, जिसे मूल रूप से बकरी के चेचक के टीके के रूप में रजिस्टर किया गया था. इसे एलएसडी के लिए पुनर्व्यवस्थित करने के लिए अनुमोदन की आवश्यकता होगी.

हमने अपने क्षेत्र अंतर्गत बहुत से पशुपालकों ,जिनका पशुधन, लंपी स्किन डिजीज से  ग्रसित था, को होमियो नेस्ट कंपनी के होम्योपैथी प्रोडक्ट एलएसडि 25 किट के माध्यम से इलाज करके बहुत ही प्रभावी एवं उत्साहजनक परिणाम पाया।

उपचार हेतु होम्योपैथिक पशु औषधि:

 

मेरीगोल्ड प्लस एलएसडी -25 कीट

1.होमियो नेक्स्ट भी ड्रॉप नंबर 25 पिलाने की दवा

डोज: 20 से 25 बूंद दिन में 4 बार

  1. मेरीगोल्ड प्लस लिक्विड एंटीसेप्टिक स्प्रे

घाव पर किए जाने वाले स्प्रे

दिन में 2 से तीन बार घाव पर स्प्रे करें

READ MORE :  पशुओं में खुरपका-मुंहपका रोग का उपचार एवं रोकथाम

 

वैश्विक प्रसार:

  • गाँठदार त्वचा रोग, अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कुछ हिस्सों में होने वाला स्थानीय रोग है, जहाँवर्ष 1929 में पहली बार इस रोग के लक्षण को देखे गए थे।
  • दक्षिण पूर्व एशिया(बांग्लादेश) में इस रोग का पहला मामला जुलाई 2019 में सामने आया था।
  • भारत जिसके पास दुनिया के सबसे अधिक (लगभग 303 मिलियन) मवेशी हैं, में बीमारी सिर्फ16 महीनों के भीतर 15 राज्यों में फैल गई है।
    • भारत में इसका पहला मामलामई 2019 में ओडिशा के मयूरभंज में दर्ज किया गया था। ढेलेदार त्वचा रोग अब तक कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में फैल चुकी है.

निहितार्थ:

  • इससेदेश पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि यहाँ के अधिकांश डेयरी किसान या तो भूमिहीन हैं या सीमांत भूमिधारक हैं तथा उनके लिये दूध सबसे सस्ते प्रोटीन स्रोतों में से एक है।
Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON